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    Saturday, November 23, 2024
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      नालंदा जिले के चंडी पुलिस के खिलाफ हो उच्चस्तरीय जांच

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क/मुकेश भारतीय। समूचे बिहार में सुशासन यानि कानून का राज होने का दंभ भरने वाले सीएम नीतिश कुमार के घर जिले नालंदा के चंडी थाना पुलिस के खिलाफ उच्चस्तरीय जांच की जरुरत है। सीएम के स्वजातीय होने का रौब झाड़ने वाले पूर्व थाना प्रभारी धर्मेंद्र कुमार ने अपराध की नई परिभाषा गढ़ दी थी। जिसकी झलक वर्तमान थाना प्रभारी कमलजीत कुमार के कार्यकाल में भी साफ दिखती है।

      नालंदा से हमारे प्रमुख संवाददाता जयप्रकाश नवीन की खबर है कि नालंदा के चंडी थाना के नए थानेदार को उच्चके रोज सलामी दे रहे हैं। बैंक से लेकर सड़क तक उचच्कों का राज है। तीन दिन पहले एक रिटायर्ड शिक्षिका से उच्चकों ने 20 हजार रूपये लूट लिए थे। वह मामला अभी ठंडा भी नहीं हुआ था कि उचच्कों ने एक बार फिर चंडी थानेदार को सलामी देते हुए बाइक सवार एक हाईस्कूल शिक्षिका से उच्चके पर्स छिनकर भाग चले। उस पर्स में नकद 50 हजार, एक मोबाइल फोन तथा कुछ स्कूली कागजात थे।

      चंडी थाना क्षेत्र के दस्तुरपर निवासी वीरेन्द्र प्रसाद की पत्नी अंजुला देवी, जो थरथरी थाना क्षेत्र के भतहर हाईस्कूल में शिक्षिका हैं, उनके साथ दिन दोपहर इस घटना को अंजाम दिया गया। शिक्षिका अपने पुत्र के साथ बाइक से बिहारशरीफ जा रही थी कि सालेपुर से थोड़ा आगे राष्ट्रीय उच्च मार्ग पर अवस्थित मेंहदीविगहा के पास एक अपाचे पर सवार दो युवकों ने पहले बाइक रूकवाया और फिर शिक्षिका  से पर्स छिनकर चंडी की तरफ भाग निकले। पीड़ित शिक्षका और उसके पुत्र गौतम ने तत्काल इस घटना की जानकारी चंडी थाना को दी।

      इससे पहले चंडी थाना क्षेत्र के लोदीपुर निवासी रिटायर्ड शिक्षिका ललिता देवी चंडी पीएनबी बैंक से 20 हजार रूपये निकालकर अपने गांव लौट रही थीं, तभी रामघाट के पास बाइक सवार उच्चके उनके रूपये लूट कर फरार होने में सफल रहे थे। पुलिस के हाथ इस घटना में अभी तक खाली हैं।

      विगत 31 जनवरी को भी थानाध्यक्ष कमलजीत कुमार के पदभार ग्रहण करते ही सड़क लूटेरों ने चिरैयापर के पास आधा दर्जन वाहनों के साथ लूटपाट की थी। इस घटना के शिकार तेलमर ओपी के पुलिस प्रभारी राजन मालवीय भी हुये थे।

      वही चंडी बीच बाजार स्थित पंजाब नेशनल बैंक उचच्कों का अड्डा बना हुआ है। यहां पिछले डेढ़ साल में एक दर्जन लोग अपनी मोटी रकम उचच्कों के हाथ लूटा चुके हैं। थाना में शिकायत करने के बाद पुलिस पीड़ित को ही शक की नजर से देखती है या फिर डांट फटकार कर भगा देती है। पुलिस की नजर में उचच्कों द्वारा दिया गया घटना कोई घटना नहीं होती है। पुलिस ऐसे घटनाओं के प्रति मूकदर्शक और लापरवाह बनी रहती है। शायद इसलिये कि उनका अपराधिक ग्राफ सधा रहे। हो सकता है कि थाना पुलिस को उपर से ही यह निर्देश जारी रहता है कि फाईलों में अपराध न दिखे, चाहे जमीनी स्तर पर लोग कितने भी लुटते-मरते रहें।

       अब सबाल उठता है कि गांव स्तर से लेकर एसपी स्तर तक एक मजबूत पुलिस तंत्र होने के बाबजूद यहां अपराधी इतने बेलगाम क्यों है? यदि हम क्षेत्र में घट रही घटनाओं को गहराई से अन्वेषन करें तो साफ स्पष्ट है कि इसमें पुलिस तंत्र सिर्फ लारवाह ही नहीं है बल्कि संलिप्त भी है।

      कुछ दिन पहले लोदीपुर गांव में एक गंभीर वारदात हुई। उसे तात्कालीन थाना प्रभारी धर्मेंद्र कुमार ने काली कमाई करते हुये यूं ही दबा दिया। जबकि ऐसे घटनाओं को जन्म देने वाले ही भविष्य में वेखौफ होकर अपराधों को अंजाम देते हैं। उस घटना का सार है कि गांव के चार-पांच युवक बिना किसी खास अवसर के अचानक “बाईजी का नाच” (इसे गांव वाले ‘रंडी नाच’ भी कहते हैं) का आयोजन किया। बीच गांव में आयोजित इस नाच में कई युवक प्रतिबंधित शराब के नशे में मदमस्त होकर नाजायज पिस्तौल से कई फायरिंग की। इस फायरिंग में नाच देख रहे एक बच्चे को गोली लगी। उसे गंभीर हालत में अस्पताल में भर्ती कराया गया। नशे में धुत होकर गोली चलाने वाला युवक संरपंच का भतीजा था। इसलिये उसने पंचायत के मुखिया के साथ मिल कर पहले तो पीड़ित बच्चे के परिवार को धमकाया। फिर थाना प्रभारी के जरिये मामले को दबा दिया।

      अगर हम इस घटना के अपराधिक पहलुओं पर गौर फरमाये तो ‘रंडी नाच’ की परमिशन पुलिस प्रशासन से नहीं ली गई थी। युवकों ने प्रतिबंधित शराब का जी भर इस्तेमाल किया था, वह कहां से आया था। पुलिस सब कुछ जानते हुये भी गोली लगे बच्चे का ईलाज नीजि अस्पताल में करवाया। इस घटना में तीन तरह के गंभीर अपराध हुये थे। फिर भी पुलिस ने असमाजित तत्वों को ही प्रश्रय दिया और उसे बचाने की रणनीति अपनाई।

      यदि हम चंडी पंजाब नेशनल बैंक के अंदर या बाहर हुये लूट-छिनतई की घटनाओं का आंकलन करें तो पुलिस ने एक भी घटना का कभी कोई एफआईआर दर्ज कर गंभीरता नहीं बरती। कुछ लोग तो यह भी कहते हैं कि इस तरह की घटनाओं में थाना पुलिस से ही कुछ लोग मिले होते हैं। बैंक वाले भी नहीं चाहते हैं कि ऐसी घटनाओं की पड़ताल हो क्योंकि उसमें उनकी भी गर्दन फंस सकती है।

      चंडी पुलिस प्रतिबंधित शराब के खिलाफ मुहिम का दावा करती है। लोकिन यह भी एक कड़वा सच है कि क्षेत्र के चप्पे-चप्पे में मंहगी दरों पर शराब उपलब्ध है। चिरैयापर पुल के पास शराब की एक बड़ी खेप पकड़ी गई थी। उस मामले में कहा जाता है कि पुलिस वालों ने पकड़ी गई प्रतिबंधित शराब का एक बड़ा हिस्सा अवैध कारोबारियों के हवाले कर दी।

      कथार्थ, चंडी पुलिस के निकम्मेपन से लोग परेशान हैं। नये थाना प्रभारी कमलजीत से लोगों को उम्मीदें है लेकिन, उन्हें इस बात का भी अंदेशा है कि पहले के बने तंत्र से वे किस कदर बाहर निकल कर अपराध को गंभीरता से लेते हैं। अभी तक उनकी गतिविधियां भी नक्कारखाने की तूती साबित हुई है।

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