रांची (मुकेश भारतीय)। बच्चियां हमारे समाज के आधार हैं। उनकी शक्ति से देश को काफी उम्मीद है। कस्तुरबा गांधी बालिका आवासीय विद्यालयों के बच्चियां पढ़ाई-लिखाई के साथ खेल-कूद में काफी तेज हैं। इसलिये सोचा कि राज्य के ऐसे सभी विद्यालयों में जाऊं और उनका हौसला आफजाई करुं।
उक्त बातें आज सुबह करीब 11 बजे झारखंड के प्रथम नागरिक महामहिम राज्यपाल द्रौपदी मुर्मु कस्तुरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय ओरमांझी में छात्राओं को संबोधित करते हुये कहीं।
महामहिम ने कहा कि इस से विद्यालय सत्य-अहिंसा के बल हमें आजादी दिलाने वाले राष्ट्रपिता महात्मा गांधी और माता कस्तूरबा गांधी जी के त्याग, तपस्या एवं बलिदान जुड़े हैं। इसलिये हम सबका यह कर्तव्य है कि उनके सपनों को साकार कर एक मिसाल कायम करें।
उन्होंने कहा कि बालिकाएं दुर्गा, लक्ष्मी, स्वरसती के अवतार हैं। आज समाज मे जिस तरह की घटनाएं घट रही है और सामाजिक विकृतियों का बोलबाला है, उसे अपने साहस बल से हर हाल में दूर भगाना है। महामहिम ने कहा कि लड़का और लड़कियों में फर्क किये जाने की बात को वे नहीं मानते। क्योंकि माता-पिता कभी भी अपने संतानों के बीच फर्क नहीं करते। माता पिता सिर्फ यही चाहते हैं कि वे जब दूसरे घर की शोभा बने तो उन्हें कोई भी जिम्मेवारी दी जाये, उसका वह कुशलतापूर्वक निर्वहन करे। इसके लिये जरुरी है कि बच्चियां पढ़ाई-लिखाई के साथ हर क्षेत्र में निपुनता लायें और परफेक्ट पर्दशन करे। आधी आबादी को अबला कहने वालों के सामने यह साबित करना होगा कि वे लाचार नहीं बल्कि शक्ति के पर्याय है।
महामहिम ने कहा कि लोग कहते हैं कि कैशलेस बनों। लेकिन वे कहते हैं, खासकर बच्चियों से कहते हैं कि आप सब स्पोटलेस बनें। ऐसे काम करो और ऐसे स्वचरित्र का निर्माण करो कि कहीं दाग नजर न आये। जीवन में आगे बढ़ने और लक्षित सफलता के यह करके दिखाना ही होगा।
उन्होंने कहा कि बच्चियों को किसी से डरने की जरुरत नहीं है। डर आधी आबादी के विकास के लिये बड़ा घातक है। इसलिये डरना नहीं, हर बिना डरे आगे बढ़ते जाना है।
इस मौके पर बीडीओ मुकेश कुमार, सीओ राजेश कुमार, बीईओ माला कुमारी सिन्हा, जिला शिक्षा परियोजना के संयोजिका सीमा शर्मा, वार्डेन अनिता टोप्नो, मुखिया बीना देवी, पंसस शबनम आरा आदि लोग मौजूद थे।
इसके पूर्व विद्यालय की बैंड पार्टी ने महामहिम को गार्ड ऑफ ऑनर दिया और सभी छात्राओं ने एक सुर में स्वागत गान से अभिवादन किया।
छात्राओं के बीच अपने उद्गार व्यक्त करने के बाद महामहिम ने सभी कक्षाओं का जायजा लिया और उनकी भावनाओं से रुबरु हुये। उन्होंने रसोई-भोजन व्यवस्था का मुआयना भी किया। वे बच्चियों के स्थानाभाव में एक चौकी पर 6-7 बच्चियों को अध्ययन करते देख दुःखी भी नजर आये।