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    Saturday, November 23, 2024
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      कोडरमा-हजारीबागः अवैध खनन और क्रेशरों पर कार्रवाई से उठ रहे सबाल

      यहां सरकार एक तरफ कह रही कोई अवैध खनन और क्रेशर नही है, वही करीब 1890 मुकदमे अवैध खनन के दर्ज है और एनजीटी द्वार गठित कमिटी ने साफ कहा है कि यहां इस काले कारोबार में पूरा सिस्टम ही लिप्त है। ”

      कोडरमा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज/संजय)। पिछले 3 महीने से हज़ारीबाग़ और कोडरमा में अवैध खनन और क्रेशर पर जिला प्रशासन की ताबड़तोड़ कार्रवाई हो रही है।kodarma mines crime 4

      इस आलोक में कोडरमा और हज़ारीबाग़ के उपायुक्त, खनन पदाधिकारी, वन पदाधिकारी और पुलिस पदाधिकारी के समक्ष अहम सबाल उभरते हैं कि  पिछले 20 वर्षों से समूचा ज़िला प्रशासन किस कुम्भकर्णी निंद्रा में थी।

      जब केंद्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल की कमिटी ने कहा कि 100 फीसदी अवैध खनन और क्रेशर एवं राज्य सरकार के पास इसको नियंत्रण करने में सारे मैकनिज्म फेल है, ज़िला टास्क फोर्स बंद कर देना चहिए।

      उधर सरकारी वकील ने शपथ पत्र  में एजीटी  में झारखंड सरकार के तरफ से कोर्ट को जवाब दिया कि यहां कोई अवैध खनन और क्रेशर नहीं है तो  फिर इस तरह के  तमाशा कोर्ट के आदेश की अवमानना के डर से ही जिला प्रशासन कर रहा है।kodarma mines crime 3

      चूकि मामला अब सुप्रीम कोर्ट पहुँचने वाला है। झारखंड सरकार के वकील के हाथ पैर फुल रहे हैं।  कोर्ट ने सरकार की ये भी दलील खारिज़ कर रखी है कि केंद्रीय ग्रीन ट्रिब्यूनल में सत्य प्रकाश वनाम भारत सरकार के मामले और झारखंड हाई कोर्ट में लंबित मामला दोनो एक जैसा है और हाई कोर्ट में NGT के मामला को भेज दिया जाय।

      कोर्ट ने साफ तौर पर यह भी कह दिया है कि झारखंड हाई कोर्ट में झारखंड में अवैध खनन और क्रेशर से संबंधित जितने मामले है, सब को एनजीटी में लाया जाय। उसके बाद कोर्ट अपना निर्णय देगी।

      kodarma mines crime 2इससे सरकारी वकील परेशान है कि शपथ पत्र में दे दिया कि कोई खनन और क्रेशर नही है। वही कमिटी ने कह दिया पूरा अवैध ही है और राज्य सरकार इसे रोकने में लगभग फेल है।

      सत्य प्रकाश याचिकाकर्ता एवं अधिवक्ता का कहना है कि अब झारखंड सरकार के पास अवैध खनन के साथ 20 वर्षो से जिला में रहे अधिकारियों की जिम्मेवारी तय कर कार्रवाई करने के सिवा कोई रास्ता नही है, क्योंकि मामला अब सीधा सुप्रीम कोर्ट ही पहुँचने वाला है। यह मामला भारत में जितने भी अवैध खनन से संबंधित मामले न्यायालय में है, उनसे अलग है।

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