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    Friday, April 19, 2024
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      कहीं घर की ‘आशा’ बिगाड़ न दें लोजपा का सारा खेल

      “कभी दामाद से परेशान रहे लोजपा सुप्रीमो रामविलास पासवान अब अपने ही  घर की  ‘आशा’ से परेशान हैं। आशा हाजीपुर संसदीय क्षेत्र में उनका खेल बिगाड़ने में जुट गई है…”

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (बिहार ब्यूरो)। परिवारवाद की राजनीति में अग्रणी लोजपा सुप्रीमो की बेटी आशा पासवान भी अपने परिवार के नक्शे कदम पर राजनीति में कदम रखने जा रही है।

      paswan daughter ASHA LJP 1रामविलास पासवान की बड़ी बेटी आशा पासवान हाजीपुर संसदीय क्षेत्र से अपनी किस्मत आजमाने जा रही है। लेकिन लोजपा के टिकट पर नहीं बल्कि राजद के टिकट पर चुनाव लड़ने की अटकले लगाई जा रही है।

      राजद मुखिया लालूप्रसाद तथा पूर्व सीएम राबडी देवी के साथ पूर्व डिप्टी सीएम तैजस्वी यादव ने भी आशा पासवान को हाजीपुर से लोकसभा चुनाव की हरी झंडी दे दी है।

      लोजपा सुप्रीमो की बेटी के चुनाव मैदान में आने की संभावना के बीच लोजपा खेमे में बेचैनी बढ़ती दिख रही है।

      लोक जनशक्ति पार्टी (एलजेपी) के अध्यक्ष और केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान की बेटी ने भी अब पिता के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा जताई है।

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      आशा पासवान ने ऐलान किया कि अगर उन्हें राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी) से टिकट मिलता है, तो वह हाजीपुर लोकसभा सीट पर चुनाव लड़ने के लिए तैयार है।

      लोजपा प्रमुख की बेटी आशा पासवान ने पिछले दिनों पूर्व सीएम राबड़ी देवी तथा तेजस्वी यादव के साथ मुलाकात की थी।

      इस मुलाकात के बाद राबडी देवी ने आशा को हाजीपुर से राजद उम्मीदवार बनाने की हरी झंडी भी दे चुकी है।

      आशा पासवान वही है, जिन्होंने अपने पिता रामविलास पासवान द्वारा पूर्व सीएम राबड़ी देवी देवी को अंगूठा छाप बोलने पर धरना पर बैठ गई थीं। अपने पिता को माफी मांगने पर मजबूर कर दिया था।

      केंद्रीय मंत्री मविलास पासवान ने 1977 में राजनीति में कदम रखा था। 1977 में जेपी आंदोलन में रिकार्ड मतों से चुनाव जीतकर गिनीज बुक में अपना नाम दर्ज करा चुके हैं।

      1984 तथा 2009 को छोड़कर लगातार हाजीपुर से सांसद निर्वाचित होते रहे हैं। लेकिन इस बार बढ़ती उम्र और स्वास्थ्य को देखते हुए उन्होंने लोकसभा चुनाव नहीं लड़ने का फैसला किया है। वे अब भाजपा भरोसे राज्यसभा को सुशोभित करेगें।

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      ऐसे में पहले अपनी पत्नी रीना पासवान को चुनाव मैदान में उतारने की बात कही जा रही थी। लेकिन लोजपा अब रामविलास पासवान के भाई प्रदेश अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस पर ही दांव खेलने को सोच रही है।

      ऐसे में अगर राजद ने लोजपा सुप्रीमों की बेटी को टिकट दे दिया तो इस बार हाजीपुर में मुकाबला “चाचा-भतीजी” के बीच तय माना जा रहा है।

      देखा जाए तो हाजीपुर(सुरक्षित) संसदीय क्षेत्र में यादव मतों की संख्या काफी निर्णायक रही है। अगर आशा पासवान राजद के टिकट पर चुनाव मैदान में आ गई तो उन्हें अपने स्वजातीय मतों के साथ यादव और मुस्लिम वोट भी मिलना तय है। ऐसे में लोजपा के वोटों में सेंधमारी लोजपा तथा एनडीए को काफी भारी पड़ सकता है।

      वहीं दूसरी तरफ रामविलास के ‘चिराग’ पासवान फिलहाल जमुई से सांसद है। लेकिन इस बार उनकी स्थिति ठीक नहीं बताई जा रही है। वहीं जदयू की निगाहें भी जमुई सीट पर है। चिराग पासवान द्वारा कभी नवादा से भी चुनाव लड़ने की खबरें मिल रही थी।

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      अगर राजद हाजीपुर से आशा को टिकट देती है तो लोजपा को हाजीपुर में पशुपति कुमार पारस पर दांव लगाने के लिए सोचना भी पड़ सकता है। ऐसे में लोजपा के लिए हाजीपुर से एकमात्र विकल्प चिराग हो सकते है। लेकिन कुनबे को डर है कि कहीं पशुपति पारस नाराज न हो जाए।

      आशा रामविलास पासवान की पहली पत्नी राजकुमारी देवी की दो बेटियों में से एक हैं। पासवान की दूसरी पत्नी रीना पासवान से चिराग और एक बेटी है। पासवान ने 1981 में राजकुमारी को तलाक देने के बाद 1983 में रीना से शादी की थी।

      आशा पटना में अपने पति अनिल साधु के साथ रहती हैं, जो कभी  एलजेपी की दलित सेना के प्रदेश अध्यक्ष थे। अपने ससुर से मतभेद तथा उपेक्षा के बाद उन्होंने लोजपा से इस्तीफा देकर राजद में शामिल हो गए थे। कभी उन्होंने भी अपने ससुर के खिलाफ चुनाव लड़ने की इच्छा जाहिर की थी।

      2019 लोकसभा चुनाव में हाजीपुर लोकसभा का चुनाव काफी दिलचस्प होने वाला है।यहां कुनबे की लड़ाई दिख सकती है। “चाचा-भतीजी” या “बुआ- भतीजे” की लड़ाई में बाजी कौन मारेगा, यह देखना दिलचस्प होगा।

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