“डीएम ने शिष्टमंडल के बातों को धैर्य से सुनने के बाद मेला को सरकारी स्तर पर लगाने का आश्वासन देते हुए कहा कि पहले की तरह मकर मेला का आयोजन किया जाएगा……”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। ऐतिहासिक नालंदा जिले के अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन नगरी राजगीर के पौराणिक और धार्मिक मकर संक्रांति मेला को सरकारी स्तर पर लगाने और राजकीय मेला का दर्जा देने की मांग को लेकर अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा और मकर संक्रांति मेला समिति का एक शिष्टमंडल नालंदा के डीएम डा त्यागराजन एसएम से मिला।
मौके पर ही उन्होंने राजगीर के एसडीओ संजय कुमार और नगर कार्यपालक पदाधिकारी विपिन बिहारी सिंह को मौखिक आदेश भी जारी किया।
देश के आजादी के बाद बिहार के पहले मुख्यमंत्री डॉ श्रीकृष्ण सिंह ने इस मेले की शुरुआत सरकारी स्तर पर की थी। यह मेला तब से सरकारी स्तर पर बड़े ही जोश खरोश से लगाया जाता था।
इस ग्रामीण मेला में सरकार के विभिन्न विभागों की आकर्षक पंडालों में प्रदर्शनिया लगाई जाती थी। किसान अपनी उत्पादों को मेला में प्रदर्शन के लिए लाते थे। सरकार उम्दा प्रदर्श वाले किसानों को पुरस्कृत भी करती थी।
इसके अलावे पशु प्रदर्शनी, किसान मेला ग्रामश्री मेला आदि लगाए जाते थे। तरह-तरह के खेलकूद और प्रतियोगिताओं का भी आयोजन किया जाता था। इस मेले में सरकार की उपलब्धियों को जनता तक प्रदर्शनी के माध्यम से पहुंचाया जाता था।
मगध के जिलों के लाखों श्रद्धालु मेले में आकर गर्म जल के कुंडों में स्नान करते और मकर संक्रांति का पारंपरिक भोजन का सुखद आनंद लेते थे।
श्रद्धालुओं और मेले में आते तीर्थ यात्रियों के मनोरंजन के लिए कला-संस्कृति एवं युवा विभाग और सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के कलाकारों द्वारा रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाता था।
इस मेले की संस्कृति और परंपरा को बचाए रखने के लिए स्थानीय स्तर पर जन सहयोग से इस मेला को लगाया जा रहा है, जो काफी नहीं है। अतः इस मेले को सरकार के द्वारा पहले की तरह आयोजन की जाए।
यही उनकी मांग और सरकार से अपेक्षा भी है। प्रतिनिधिमंडल ने कहां कि मकर संक्रांति मेला को राजकीय मेला का दर्जा भी देना अपेक्षित है। यदि मकर मेला को राजकीय मेला का दर्जा मिल जाता है, तो राजगीर के पंच पहाड़ियों की तरह नालंदा में पांच राजकीय मेला का आयोजन संभव हो सकेगा।
डेलिगेशन ने बताया कि पहले यह मेला राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के द्वारा लगाया जाता था। तब इस मेला की बंदोबस्ती राजगीर के अंचलाधिकारी के द्वारा किया जाता था।
लेकिन वर्ष 2011-12 में इस मेले को नगर पंचायत राजगीर को ट्रांसफर कर दिया गया है। तब से यह मेला शिथिल हो गया है।
डीएम ने शिष्टमंडल को भरोसा दिलाया कि मेला जिस तैयारी से पहले लगता था उसी तैयारी से इस बार भी लगेगा। इस मेले को यादगार और ऐतिहासिक बनाने में स्थानीय लोगों का भी भरपूर सहयोग मिलना चाहिए।
इस शिष्टमंडल में अखिल भारतीय श्री पंच दिगंबर अनी अखाड़ा के अखिल भारतीय महामंडलेश्वर स्वामी अंतर्यामी शरण जी महाराज, बड़ी संगत के महंत स्वामी विवेक मुनि जी महाराज, सतगुरु कबीर आश्रम के महंत द्वारिका दास जी महाराज, कैलाश विद्यातीर्थ के महंत ब्रह्मचारी बालानंद जी महाराज, अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के राष्ट्रीय महामंत्री डॉ धीरेंद्र कुमार उपाध्याय, वार्ड पार्षद श्रवण कुमार, वार्ड पार्षद अंजली कुमारी, जामा सिंह, अभिषेक कुमार गोलू, अनुपम कुमार क्षत्रिय शामिल थे।