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    Saturday, April 20, 2024
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      अब शौचालय निर्माण में एक बड़े घोटाले की तैयारी और सांसद भी संतुष्ट !

      पंचायत स्तर पर की योजनाओं में भारी गड़बड़झाला

      -मुकेश भारतीय-

      रांची। प्रखंड और पंचायत स्तर पर योजनाओं में भारी गड़बड़झाला हो रहा है। सरकारी बैठकों में जनप्रतिनिधि सीधे अफसरों को झिड़कते हैं और विभागीय लोग जन नेताओं को आंकड़ा का पाठ पढ़ा यूं हीं निकल जाते हैं।

      ओरमांझी प्रखंड बीस सूत्री कार्यक्रम क्रियान्वयन समिति की बैठक में इसके कई उदाहरण देखने को मिले। आकड़ों का झूठा खेल और हर खेला के पीछे घपलों-घोटालों की बड़ी वुनियाद।

      बहरहाल, मामला है प्रधानमंत्री स्वच्छता अभियान के तहत गांवों में व्यापक पैमाने पर बनाए जा रहे शौचालय निर्माण की। विभागीय कनीय अभियंता रामसुंदर राम ने बैठक में अपना पक्ष रखने में बड़ी सुंदरता दिखाई और उनकी उस सुंदरता पर माननीय सांसद तक फिदा दिखे।

      कनीय अभियंता ने बैठक को बताया कि पेयजल की समस्या को लेकर उनका विभाग युद्ध स्तर पर काम कर रहा है। तीन वाहन इस काम में दिन-रात लगे हैं। यहां चालू माह में 14 मई तक 126 नलकूप मरम्मत हो चुके हैं। उन्हें टारगेट मिला था 210 नलकूप पाईप बदलने का, उसमें वे 195 नलकूप के बदल दिए गए हैं। विभाग को जहां भी पता चलता है, खास कर स्कूलों में तत्परता से कार्य कर दी जाती है।

      सदस्य अमरनाथ चौधरी के शौचालय निर्माण में हो रही गड़बड़ी की शिकायत को लेकर कनीय अभियंता ने बताया कि इसमें मुखिया और जल सहिया लोग मिलकर काम कर रहे हैं। उन्हें जहां भी शिकायत मिलता है, वहां कोई गड़बड़ी नहीं दिखती है। उन्होंने बैठक में उल्टा सबाल कर दिया कि मात्र 12 हजार रुपए में और कैसा शौचालय का निर्माण होगा ? बतौर उदाहरण, प्रकल्लन में 300 रुपये की दरबाजे की बात है और यहां 800 रुपये में दरबाजा मिलता है। शौचालय निर्माण में 900 ईंट का दाम 4000 हजार रुपए दिया हुआ है। यह सब संभव नहीं है।

      कनीय अभियंता के ऐसे तर्कों को माननीय सांसद ने भी स्वीकार किया और कहा कि 12000 की राशि से और बेहतर क्या हो सकता है।

      सच पुछिए तो ओरमांझी प्रखंड में पीएचईडी विभाग द्वारा जिस तरह के गोरखधंधा हो रहा है, उसमें कई घपले छुपे हैं। बात चाहे नए नलकूप की हो या फिर उसके मरम्मत कार्य की। प्राकल्लन कुछ होता है और गाड़ा कुछ जाता है। मरम्मती कार्य के नाम पर सिर्फ खानापूर्ती होता है। प्रभावी जनप्रतिनिधि या पोलखोलू ग्रामीण की शिकायत हुई तो विभागीय लोग हाथ-पैर मारे, अन्यथा सब नक्कारखाने की तूती।

      नलकूप को लेकर सरकारी स्कूलों की कोई शिकायत नहीं  की बात को ही उदाहरणार्थ लीजिए। मुख्यालय प्रक्षेत्र में अवस्थित राजकीय प्राथमिक विद्यालय मुन्ना पतरा परिसर में दो चापानल लगे हैं। एक विद्यालय के लिए तो दूसरा आंगनबाड़ी केन्द्र के लिए। दोनों खराब पड़े हैं। जब प्यास लगती है तो बच्चे बीच गांव के एकमात्र चापाकल पहुंचते हैं और यदि वह खराब हुआ तो वे दूर नदी का पानी पीने को विवश होते हैं।

      अब सबाल जहां शौचालय निर्माण की है तो केन्द्र और राज्य सरकार के मुताबिक मनरेगा अभिषरण के साथ शौचालय निर्माण में मजदूर एवं सामग्री की आवश्यकता

      राजमिस्त्री कुल 6 अदद, मजदूर कुल 13 अदद, प्लम्बर कुल 1 अदद, पैन 1 अदद, पांवदान1 जोड़ा, 4” पी.वी.सी. पाईप 2 मीटर, ईंट 1 248 अदद, सीमेंट 6 बोरा, बालू 1.89 घनमीटर या 67 घनफुट, मिट्टी 0.338 घनमीटर या 12 घनफुट , छड़ 8 एम.एम. 16 किलोग्राम, छत आ.सी.सी. स्लैब, दरवाजा एगिल आयरन एवं जी.सी.आई.सीट 1 अदद साइज 2’-6’’xX6” बाताई गई है। जिसका कुल अधिकतम लागत राशि

      13,082 रुपए है।

      इसके विपरित ओरमांझी के प्रायः गांवों में आलम ही कुछ और है। गरीबी रेखा से नीचे जीवन गुजर-बसर करने वाले लाभुकों से ही तीन फीट का मुफ्त दो गढ्ढा खोदवाने के आलावे रेजा-कुली के काम भी करवाये जा रहे हैं। सामग्री के नाम पर घटिया किस्म के 700-800 ईंट, 3-4 बोरा सिमेंट, 25-30 सीएफटी बालू, 5-6 किलो 6 या 8 एमएम के छड़ आदि दिए जा रहे हैं। शौचालय निर्माण में राजमिस्त्री भी ऐसे लगाए जा रहे हैं कि उनके रहमोकरम से चालू होने के पहले ही सब टें बोल जाए। कमोवेश हर तरफ जिस तरह के शौचालय निर्माण हो रहे हैं, उसकी लागत सात से आठ हजार बमुश्किल होगी, यदि उसे पूरा किया जाए तो। इसमें आधे- अधुरे छोड़ दिये जा रहे शौचालयों के क्या कहने।

      स्पष्ट है कि इस तरह की गड़बड़ियां ग्राम पंचायत के मुखिया, जल सहिया और विभागीय कनीय अभियंता की खाऊ-पकाऊ मंशा से ही संभव है। इन दिनों प्रखंड के कुल 18 पंचायतों में एक-एक हजार लक्ष्य के हिसाब से 18 हजार शौचालय का निर्माण होना है। यदि प्रति शौचालय 12 हजार रुपये की लागत की बात करें तो कुल राशि 21.60 करोड़ होती है। यदि इसी स्तर के लक्ष्य के कार्य किये भी गए, जैसा कि हो रहा है, कुल घपले की राशि 7.20 करोड़ बनती है। सरकारी प्रवधान के अनुसार आंकलान करने पर यह राशि काफी बढ़ जाती है। सबसे बड़ी बात कि  बरसात के इंतजार करते हुए जिस तरह से यहां शौचालय निर्माण का खेल हो रहा है। पिछली योजनाओं की तरह इसे भी धुलना और व्यापक पैमाने पर बंदरबांट होनी तय है।

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