सूरजकुंड। कहते हैं कि किसी भी राज्य या देश की पहचान होती है उसकी कला, संस्कृति और प्राकृती। झारखण्ड प्रदेश को उसके वृहत प्राकृतिक छटाओं के लिए ही जाना जाता रहा है। जिसकी झलक फरीदाबाद में आयोजित सूरजकुंड मेले के झारखण्ड पवेलियन में देखी जा सकती है।
झारखण्ड पवेलियन मेले में झारखण्ड की कला, संस्कृति और परिवेश को प्रदर्शित किया जा रहा है। मेले में आने वाले दर्शक झारखण्ड पवेलियन में वहां की कला और संस्कृति से परिचित होने के साथ-साथ उसका हिस्सा बनना भी पसंद कर रहे हैं। साथ ही मेले में भाग लेने वाले कलाकार भी खुश नजर आ रहे हैं। आज मेले के पहले रविवार को बड़ी संख्या में दर्शकों का आवा-गमन देखा गया। दर्शकों द्वारा कलाकारों से उनके अनुभव पूछे जाने पर प्रतिक्रिया बहुत ही सकारात्मक दिखाई दी। झारखण्ड पवेलियन में जादों पटिया पेंटिंग प्रदर्शित कर रही पूना कुमारी ने बताया की वो झारखण्ड के दुमका ज़िले से आती है। मेले में उनका अभी तक का अनुभव काफी सकारात्मक रहा है।
कपड़ो का स्टाल लगाने वाले सुड्डा जिले के मोहमद ज़ैद आलम ने कहा की मेला के आयोजकों ने इस मेले को बहुत ही व्यवस्थित रूप से आयोजित किया है। हमें हर्ष है की झारखण्ड पर्यटन विभाग ने हमें इस मेले का हिस्सा बनने के लिए आमंत्रित किया।
प्रदेश से आये लोक कलाकारों का भी अनुभव कुछ ऐसा ही रहा है। उनका मानना है की वो इससे कार्यक्रमो में भाग ले चुके है लेकिन यहाँ ( सूरज कुंड मेले ) का अनुभव सबसे अच्छा है। दर्शको को थीम एरिया में बनाये गए अपना घर (परम्परिक संथाली घरों का नमूना) भी लुभा रहा है।