“अब राजद को लालू प्रसाद यादव के बिना राजनीतिक करने की आदत डालनी होंगी। क्योंकि बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद की अपनी एक अलग छवि रही है। उसी छवि के बीच राजद को अपनी पहचान बरकरार रखना होगा। लालू प्रसाद जिस समाज और वर्ग की राजनीति करते हैं, उसके बीच अपना स्थान उनके पुत्र तेज प्रताप और तेजस्वी को बनाना होगा।”
पटना (जयप्रकाश नवीन)। बहुचर्चित चारा घोटाला मामले में रांची की विशेष सीबीआई कोर्ट ने शनिवार को अपने ‘शनि’ फैसले में लालू प्रसाद यादव को दोषी करार दिया है। भगवान शंकर की नगरी देवघर कोषागार से अवैध निकासी मामले में राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद यादव को भगवान शंकर ने भी उद्धार नही किया।
देवघर कोषागार से लगभग 85 लाख की अवैध निकासी के आरोप में उन्हें दोषी करार दिया है।सीबीआई की विशेष अदालत नए साल में 3 जनवरी को सजा का ऐलान करेंगी।वही पूर्व मुख्यमंत्री डॉ जगन्नाथ मिश्र को इस मामले में ‘क्लीन चिट’ दे दिया है।
सीबीआई कोर्ट के द्वारा लालू प्रसाद यादव को दोषी करार देने के बाद उन्हें हिरासत में ले लिया गया। वहीं इस मामले में जज शिवपाल सिंह ने15 लोगों को दोषी माना है। जबकि 6 लोगों को आरोप मुक्त कर दिया है।
सीबीआई कोर्ट के इस फ़ैसले पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं भी आने लगी हैं। बिहार के उपमुख्यमंत्री सुशील मोदी ने कहा, ”जो बोया वो पाया! बोया पेड़ बबूल का तो आम कहाँ से होई।यह तो होना ही था ।
वहीं राष्ट्रीय जनता दल के वरिष्ठ नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री रघुवंश प्रसाद सिंह ने अदालत के फ़ैसले पर कहा, ”जगन्नाथ को बेल, लालू को जेल यही है खेल। लड़ेंगे आखिरी दम तक”।
इस केस में लालू यादव पर यह भी आरोप था कि बिहार के मुख्यमंत्री और वित्त मंत्री तौर पर इस घपले के साज़िशकर्ताओं के ख़िलाफ़ जांच की फाइलें अपने क़ब्जे में रखी थीं।
इसके साथ ही यह भी आरोप था कि नौकरशाहों की आपत्तियों के बावजूद लालू प्रसाद ने तीन अधिकारियों को एक्सटेंशन दिया था. सीबीआई का कहना है कि लालू यादव को ग़बन के बारे में पता था फिर भी उन्होंने इस लूट को रोका नहीं था।
इस बीच शुक्रवार की शाम रांची पहुंचने पर लालू प्रसाद ने मीडिया से संक्षिप्त बातें की थी। जिसमें उन्होंने सवालिया लहजे में पूछा कि क्या कोई चीफ मिनिस्टर ट्रेजरी (कोषागार) से रुपये निकाल सकता है? क्या कोई चीफ मिनिस्टर अपना खजाना लुटवाने के लिए षड्यंत्र कर सकता है? अब वो फैसला सुनने आए हैं। उन्हें तथा उनकी पूरी पार्टी को न्यायिक व्यवस्था पर पूरा भरोसा है।
लालू ने ये भी कहा कि सीबीआई का दुरुपयोग कर पहले अटल बिहारी वाजपेयी और फिर नरेंद्र मोदी के समय में उन्हें परेशान किया जा रहा है. उन्होंने कहा, “बीजेपी-एनडीए गठबंधन की सरकार पिछले 25-30 साल से हमको परेशान कर रही है।
उन्होंने कहा, “बेजीपी वाले हमारे बाल-बच्चे तक को परेशान करने में जुटे हैं।जनता ही उनका जवाब देगी। तेजस्वी और तेजप्रताप पर पूरी पार्टी को भरोसा है।ये भले ही छोटे हैं, लेकिन इनके राजनीतिक इरादे मजबूत हैं।”
लालू प्रसाद यादव ने शुक्रवार को फैसला आने के पूर्व संध्या पर कहा था फैसला कुछ भी आए इसका प्रभाव पार्टी पर नहीं पड़ेगा । अब जब लालू प्रसाद यादव इस मामले में दोषी करार दिए गए हैं, तो ऐसे हालात में इसका असर बिहार की राजनीति पर होना तय है।राजद को अब बिन लालू बिहार की राजनीति करनी पड़ेगी ।
लालू प्रसाद अपने राजनीतिक भविष्य जानते थें तभी तो उन्होंने अपने परिवार के सभी सदस्यों को राजनीतिक में सेटल करने लगे थे। बिहार की राजनीति में लगभग हाशिए पर जा रहे लालू प्रसाद और उनकी पार्टी को नीतीश-कांग्रेस नाम की एक संजीवनी मिलती है। 2015 विधानसभा चुनाव में कद्दावर बनकर उभरते हैं ।
15 साल बाद फिर से सत्ता का स्वाद हासिल होता है। अपने एक पुत्र को डिप्टी सीएम तो दूसरे को स्वास्थ्य मंत्री बनाने में कामयाब हो जाते हैं । लेकिन राजनीतिक उलट फेर के बीच दो साल में ही सत्ता हाथ से चल जाती है। इसी बीच आय से अधिक संपत्ति मामले में ईडी की कार्रवाई की जद में उनका पूरा कुनबा आ जाता है।
इधर सीबीआई के फैसले पर राजद की राजनीति में प्रभाव पड़ना तय है।वैसे भी पिछले छह माह से लालू पटना और रांची के बीच झूल रहे थे । अब राजद को लालू प्रसाद यादव के बिना राजनीतिक करने की आदत डालनी होंगी ।
बिहार की राजनीति में लालू प्रसाद की अपनी एक अलग छवि रही है।उसी छवि के बीच राजद को अपनी पहचान बरकरार रखना होगा। लालू प्रसाद जिस समाज और वर्ग की राजनीति करते हैं, उसके बीच अपना स्थान उनके पुत्र तेज प्रताप और तेजस्वी को बनाना होगा ।