” नालंदा जिले के चंडी प्रखंड के स्कूलों में छात्रों से काम लेने का यह कोई पहला मामला नहीं है। इससे पहले भी कई स्कूलों में स्कूल भवन निर्माण के दौरान छात्रों से सिर पर ईट और मिट्टी ढोबाई गई है।“
चंडी (संजीत)। एक ओर शिक्षा विभाग द्वारा स्कूलों में छात्रों की संख्या बढाने के लिए आधुनिक शिक्षा के साथ साथ पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। लेकिन चंडी प्रखंड के उतक्रमित मध्य विधालय गदनपुरा में बच्चों को किताब की जगह हाथ में कुदाल फावड़ा थमा कर उनसे मिट्टी ढुलवाई जा रही है । छात्रों को पढ़ाने के वजाय उनसे बाल मजदूरी करवाई जा रही है।
शनिवार को उतक्रमित मध्य विधालय के छात्र जब स्कूल पहुँचे तो शिक्षक ने पढ़ाने की जगह उनसे मिट्टी ढोने का फरमान सुना दिया। फिर क्या था कुछ छात्र अपने हाथ में कुदाल और फावडे लेकर मिट्टी उठाने के कार्य में लग गए।
छात्र इसे शिक्षक की मनमानी तथा अपनी मजबुरी की दुहाई देकर चुप हैं । अगर शिक्षक के फरमान को नहीं मानते हैं तो डर है कहीं हेडभास्टर साहेब कही सरकारी योजना के लाभ पर ग्रहण न लगा दें । जिसके चलते पढ़ाई भी बाधित हो रही है। वही शिक्षक के अक्सर फरमान से बच्चों में भय का महौल बना रहता है।
वही बीईओ बिंदु कुमारी इसकी नैतिकता की दुहाई दे रही है। उनका कहना है कि छात्र अपने ही स्कूल का काम कर रहें है।
बताया जाता है कि स्कूल के परिसर की भराई के लिए मिट्टी गिराया गया था । स्कूल परिसर की भराई मजदूर से कराने की जगह छात्रों से मिट्टी भराई शिक्षक करा रहे हैं।
स्कूल के छात्रों से कार्य कराना यह एक दंडनीय अपराध है। साथ ही छात्रों से मिट्टी ढुलाई करवाकर हो सकता है उनके कार्य पर मजदूरों से कार्य दिखाकर अवैध राशि भी निकाली जा सकती है। इससे इंकार नही किया जा सकता है।
इस पर बीईओ बिंदु कुमारी ने कहा कि ऐसा मामला संज्ञान में नहीं है । संज्ञान में आने पर कारवाई की जाएगी।
अब सवाल यह है कि छात्र स्कूल पढ़ने के लिए आता है या फिर स्कूल में मिट्टी या ईट ढोने के लिए। अगर ऐसे में कोई दुर्घटना छात्र के साथ हो जाती है तो कौन जिम्मेदार होगा?