हजारीबाग (संवाददाता)। विगत 14 अगस्त 2015 को किसान अधिकार महारैली के दौरान ढेंगा में हुए गोलीकांड मामले में पुलिस गोली के शिकार हुए मंटू सोनी के द्वारा दायर परिवाद वाद संख्या 2252/15 के आलोक में कोर्ट आदेश के बाद बड़कागांव थाना में दर्ज कांड संख्या 214/16 में आज शिकायतकर्ता मंटू सोनी का बयान बड़कागांव थाना प्रभारी अकील अहमद ने लिया।
बयान में मंटू सोनी ने पूरे घटनाक्रम को रखा। उन्होंने थाना प्रभारी के बताया कि किसान अधिकार महारैली के पुलिस लाठीचार्ज के दौरान अचानक भगदड़ हुई,पत्थरबाजी और आंसू गैस भी छोड़े गए, पुलिस अधिकारी के सामने एक टाटा सूमो को आग के हवाले किया जा रहा था जिसमें कुछ पुलिस जवान भी थे। बगल में मेरी बजाज डिस्कवर मोटरसाइकिल खड़ी थी। गाडी लाने के लिए जब पास खड़े एसडीओ अनुज कुमार,डीएसपी दिनेश गुप्ता,इन्स्पेक्टर अवधेश सिंह को इशारा करके गाडी निकालने का आदेश मांगा तो उन लोगों ने सामने बुलाया और ही गाडी में बैठे अधिकारियों ने जवानों को मेरी तरफ इशारा करते हुए गोली मारने आदेश दिया। उसके बाद पुलिस ने गोलियां चलानी शुरु कर दी। जो कि मंटू सोनी के सीने में तथा बाईं बांह में गोली लगी।
मंटू सोनी बताया कि तात्कालीन थाना प्रभारी रामदयाल मुंडा भी उन्हें टारगेट कर गोली चलाए। फिर कुछ देर बाद गोली के शिकार हुई एक अन्य युवक संजय राम के साथ कुछ लोगों ने बड़कागांव अस्पताल पहुंचाया। जहाँ प्राथमिक इलाज के बाद उन्हें हजारीबाग सदर अस्पताल में भर्ती हुआ,जहाँ मेरा इलाज हुआ। अस्पताल में एक पुलिस अधिकारी ने धमकी देते हुए उनका फोन ले लिया।
उसके बाद 17 अगस्त को मंटू सोनी को घायलावस्था में सदर थाना लाया गया,जहाँ पहले से मौजूद इन्स्पेक्टर अवधेश सिंह ने थाना प्रभारी के चेंबर में ले जाकर बयान बदलने को कहा और कहा कि बोल दो की उन्हें योगेंद्र साव के लोगों ने गोली मारी है। इससे मना करने पर उन्होंने मंटू सोनी को मारते हुए मेरा हाथ मोड़ दिया और जबरन तीन सादा पेपर पर हस्ताक्षर करवाया और एक हथियार पकड़वा कर मेरा फिंगर प्रिंट लिया और उसे रुमाल से उठाते हुए यह धमकी देते हुए कहा कि हमलोग का प्लान ही था। वहां लाश बिछाने का जिसके लिए ऊपर से आदेश था और वहां के नेता को भी मार के गिरा देते लेकिन, वो बच गया ।
इसके बाद मंटू सोनी को वहां से कार्मेल स्कुल के बगल में आवासीय कोर्ट ले जाते समय साथ में चल रहे पुलिस अधिकारी अनिल सिंह को बोला कि सारी घटना वह जज को बता देगा तो उन्होंने मंटू सोनी को धमकी दी कि ज्यादा बोलोगे तो कस्टडी से भागने के आरोप में इनकाउंटर कर दूंगा। उसके बाद मंटू सोनी के साथ मारपीट भी करते हुये पुलिस अधिकारी ने कहा कि कहीं कुछ नहीं बोलना है। फिर मंटू सोनी को जेल भेज दिया गया। उन्होंने जेल से ही घायलावस्था में न्यायलय को पत्र लिखकर मामला दर्ज करने का आवेदन दिया था।
परिवार वाद 2252/15 में कोर्ट ने 21 नवम्बर को मामला दर्ज करने का आदेश दिया लेकिन दस माह बाद बड़कागांव थाना में कांड संख्या 214/16 दर्ज हुआ। फिर कोर्ट ने पुलिस से स्टेटस रिपोर्ट की मांग किया जिसके आलोक में आज मंटू सोनी का बयान लिया गया। घटना में कुल 6 लोग पुलिस गोली के शिकार हुए थे। जिसमें संजय राम, संतोष राम, सन्निदेवल राम, श्रीचंद राम, जुबैदा खातून हैं। सभी ने अलग-अलग मामला दर्ज करवाया है। इस कांड में यह पहला बयान लिया गया।
इस मामले में कुल 17 अभियुक्त बनाए गए थे जो इस लिस्ट में है। अभियुक्तों में एसडीओ अनुज प्रसाद, डीएसपी दिनेश गुप्ता, इंस्पेक्टर अवधेश सिंह, सीओ प्यारे लाल, बीडीओ अशोक चोपड़ा, एनटीपीसी के ईडी आरके राठी, एसजीएम एसके तिवारी, दारोगा रामदयाल मुंडा, पंकज भूषण, विजय केरकेट्टा, हवलदार जयप्रकाश सिंह, कवींद्र सिंह सहित 17 अभियुक्त हैं ।