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    Wednesday, April 24, 2024
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      बुरुगुलीकेला में बोले सीएम- बिना हिंसा बनाएं ‘अबुआ हाथु आबुआ राज’

      पूरा प्रदेश उनका घर है एवं राज्य की जनता उनके परिवार का सदस्य हैं। ऐसे में राज्य सरकार सबका सुरक्षा सुनिश्चित करने का प्रयास करेगी……..”

      चाईबासा (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। पश्चिमी सिंहभूम जिला के नक्सल प्रभावित क्षेत्र बुरुगुलीकेला में 3 दिन पूर्व पत्थलगड़ी विवाद में हुए नरसंहार मामले में आज राज्य के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन घटनास्थल पर पहुंचकर पीड़ित परिवार के सदस्यों से मिले एवं उन्हें हर संभव मदद का भरोसा दिया

      साथ ही उन्होंने स्पष्ट कर दिया कि सरकार इस मामले को गंभीरता से ले रही है और किसी भी तरह से दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा।

      उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्य की जनता का जान माल के सुरक्षा की जिम्मेदारी राज्य सरकार की है और कानून व्यवस्था के साथ खिलवाड़ करने का अधिकार किसी को नहीं है और ना ही सरकार इसमें कोताही बरतेगी।hemant cm

      गुरुवार की दोपहर गुलीकेरा गांव पहुंचकर मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने घटना पर अफसोस जताया। वहीं मृतकों के आश्रितों से मिलकर उनकी तकलीफों को जानने का प्रयास किया।

      उन्होंने इस घटनाक्रम की साजिश करने वाले लोगों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करने का भी पुलिस प्रशासन को निर्देश दिया। मृतक के विधवाओं को नई व्यवस्था के तहत विधवा पेंशन तथा अन्य सरकारी योजनाओं का लाभ अविलंब दिलाने का मुख्यमंत्री ने आश्वासन दिया।

      इस दौरान उन्होंने पीड़ित परिवार के सदस्यों से पूरे घटनाक्रम की जानकारी ली तथा ग्रामसभा को मजबूत करने का अपील भी किया।

      उन्होंने ग्रामीणों को समझाते हुए कहा कि “अबुआ हाथु आबुआ राज” को मजबूत जरूर करना है, लेकिन ग्रामीण स्तर पर हत्या एवं अन्य किसी भी प्रकार की गैर कानूनी कार्य नहीं करना है।

      इससे पहले मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन हेलीकॉप्टर से लोढाई  स्थित सीआरपीएफ कैंप में उतरे जहां से सड़क मार्ग द्वारा उन्हें घटनास्थल पर ले जाया गया। वहीं नक्सल प्रभावित क्षेत्र होने के चलते मुख्यमंत्री की सुरक्षा के लिए जिला पुलिस एवं सीआरपीएफ की भारी तैनाती की गई थी।

      मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन जब घटनास्थल पर पहुंचे तब वह काफी मायूस लग रहे थे एवं इस घटना से काफी मर्माहत दिखे।

      वेशक, यह घटना मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के लिए एक बड़ी चुनौती साबित होगी कि झारखंड में इस तरह की सामाजिक नक्सल जैसी घटनाएं फिर से ना हो।

      पूर्ववर्ती रघुवर सरकार के कार्यकाल में पत्थलगड़ी अभियान ने पूरे राज्य को अशांत कर दिया था एवं इससे निपटना सरकार के लिए भी एक बड़ी चुनौती थी।

      परंतु हेमंत सरकार ने शपथ लेते ही पत्थलगड़ी के समर्थकों के ऊपर लगे मुकदमों को हटा लिया था और फिर लगभग 1 माह के भीतर ही दर्दनाक नरसंहार की घटना ने हेमंत सोरेन सरकार के उस फैसले पर कई सवाल भी खड़े कर रही है।

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