बड़े शर्म की बात है कि पिछले एक महीने के दौरान किसानों ने सरकार का ध्यान अपनी बदहाली की ओर खींचने के लिए नित नए सांकेतिक तरीकों को अपनाया है। इस क्रम में उन्होंने गले में खोपड़ी की माला पहना, सड़क पर सांभर-चावल खाए, सांपों को जीभ पर रखा, चूहे खाए यहां तक कि निर्वस्त्र होकर प्रदर्शन किया और अब बोतलों में मूत्र जमा कर रखा है। किसानों का कहना है अगर मोदी सरकार ने हमारी मांगें नहीं मानीं, तो हम मूत्र पान के बाद मल खाने के लिए मजबूर होंगे।
बकौल एक प्रर्दशनकारी किसान, ‘हमें तमिलनाडु में पीने को पानी नहीं मिल रहा है। प्रधानमंत्री मोदी हमारी प्यास को नजरअंदाज कर रहे हैं। इसलिए हमारे पास अपना मूत्र पीने के अलावा और कोई चारा नहीं है।’
उल्लेखनीय है कि जंतर-मंतर पर इन किसानों के समर्थन में कई नेता और दक्षिण भारतीय अभिनेता पहुंचे हैं। राहुल गांधी के अलावा मणिशंकर अय्यर और डीएमके सांसद कनिमोझी किसानों से मिल चुकी हैं। भारतीय किसान यूनियन ने भी समर्थन की घोषणा की है।
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