” यहां इस पूरे नियोजन में शिक्षा माफिया का एक रैकेट काम कर रहा है। शिक्षक नियोजन में एक अभ्यर्थी से चार लाख में सौदा तय होता है। दो लाख में संबंधित पंचायत के मुखिया और ग्रामसेवक , पचास हजार प्राधिकार, एजेंट एक लाख, लेखापाल आदि का हिस्सा होता है। लेखापाल द्वारा बीईओ को पांच हजार से दस हजार रूपये दिया जाता है।”
बिहारशरीफ /चंडी (प्रमुख संवाददाता)। कभी जिस नालंदा के ज्ञान पर गर्व करता था बिहार आज उसी नालंदा की धरती पर ‘पैसे दो और गुरू बनों ‘ का गोरखधंधा चल रहा है। नालंदा के चंडी प्रखंड में गुरू बनाओ धंधे का एक बड़ा रैकेट चल रहा है।
इन दिनों प्रखंड में शिक्षा माफियाओ द्वारा पंचायतों में शिक्षक बहाली के नाम पर चार से पांच लाख रूपये वसूली का काला खेल चल रहा है। बाबजूद विभाग चिमाई साधे है। विभाग अब तक फर्जी नियोजन रोकने में बिल्कुल पंगु रहा है।
चंडी में प्राधिकार के आदेश पर पिछले दो माह में लगभग 14 सीट पर शिक्षकों की बहाली हो गयी है। जबकि डेढ़ साल में 42 गुरूजी बहाल हो गए। यहां एक शिक्षक की नियुक्ति में 4 से 5 लाख रुपया लिया जाता है।
शिक्षक नियुक्ति का खेल में पंचायत सचिव और मुखिया का महत्वपूर्ण भूमिका है। वही इस खेल में बीआरसी कार्यालय भी शामिल है। हद तब हो जाती है कि सभी प्राधिकार से बहाल हुए शिक्षकों की उपस्थिति अलग रजिस्टर में बनती है।
3 मई 2017 को एक महिला प्राधिकार का आदेश लेकर पंचायत शिक्षक के पद पर योगदान देने के लिए प्राथमिक विधालय भटन्ना पहुंची तो वहां के प्रभारी प्रधानाध्यपक योगदान लेने से इंकार कर दिया।
उसके बाद शिक्षिका ने 9 मई को दूसरा योगदान पत्र लेकर प्राथमिक विधालय महकार विगहा में योगदान देने पहुंची। जहां उसका योगदान प्रधानाध्यापक द्वारा योगदान ले लिया गया।
वही भगवानपुर पंचायत में दो शिक्षिका 29 जुलाई को प्राथमिक विधालय नोनिया विगहा और मलविगहा में अपना योगदान देने पहुंची। लेकिन वहां का प्रधानाध्यापिका शुरू में योगदान लेने से इंकार कर दिया। उसके बाद योगदान ले लिया गया।
24 मार्च को हुई पंचायत समिति की बैठक में फर्जी शिक्षक की बहाली का मुद्दा पर हंगामा हुआ था। जिस पर बीईओ बिंदु कुमारी ने कहा कि प्राधिकार के माध्यम से बहाली की सूचना हमारे पास नहीं आती है।
इसकी बहाली मुखिया व पंचायत सेवक करते हैं । फिर भी इस मामले की जांच उनके द्वारा कराया गया था। जिसमें अवैध शिक्षक बहाली का मामला सामने भी आया है। जिसकी सूचना वरीय पदाधिकारी को दे दी गई हैं ।
एक प्रधानाध्यापक ने नाम नहीं छापने के शर्त पर बताया कि प्रखंड में जितने भी अवैध शिक्षक जिनका योगदान हो रहा है। उसमें बीआरसी कार्यालय का भी संलिप्ता रहती है। अगर हम लोग शिक्षक का योगदान नहीं लेते है तो बीआरसी कार्यालय से तुरंत दूरभाष पर योगदान लेने का निर्देश मिलता है। फिर भी योगदान लेने से मना करते है तो हमलोग को प्रताड़ित किया जाता है।
बीईओ की मानें तो सालेपुर में छह, बढौना में दो, भगवान पुर में दो, गंगौरा में एक, बेलक्षी में एक, नरसंढा में तीन, सरथा में दो, रूखाई में चार तथा महकार में तीन शिक्षकों की नियुक्ति हुई है। जबकि बाद में सिरनामा में पांच, भगवान पुर में दो तथा महकार में तीन शिक्षकों की नियुक्ति कर दी गई है।
शिक्षा विभाग के पूर्व प्रधान सचिव अंजनी कुमार सिन्हा ने 30-12-2010 तक द्वितीय शिक्षक नियोजन के अभ्यर्थियों को काउंसलिंग कर नियोजन पत्र देने का निर्देश देकर उक्त निर्धारित तिथियों के उपरान्त कोई भी नियोजन नहीं करने का दिशा निर्देश जारी किया था। केवल विवादित मामलों में अपीलीय प्राधिकार के आदेश एवं विशेष विभागीय निर्देश के आलोक में कोई नियोजन किया जाएगा।
जबकि इस निर्णय की धज्जियां प्रखंड में उड़ रही है। इस पूरे नियोजन में शिक्षा माफिया का एक रैकेट काम कर रहा है। शिक्षक नियोजन में एक अभ्यर्थी से चार लाख में सौदा तय होता है । दो लाख में संबंधित पंचायत के मुखिया और ग्रामसेवक ,पचास हजार प्राधिकार, एजेंट एक लाख, लेखापाल आदि का हिस्सा होता है। लेखापाल द्वारा बीईओ को पांच हजार से दस हजार रूपये दिया जाता है।
सिर्फ इतना ही नही गलत तरीके से नियोजित शिक्षक बेखौफ स्कूलों में पढ़ाने के साथ मानदेय भी उठा रहे हैं। अगर किसी शिक्षक का मामला फंस जाता है तो यही लोग शिक्षक को मानदेय दिलाने का काम करते हैं। आखिर सरकार और विभाग कब ऐसे गुरूघंटालों पर कार्रवाई करेंगी?