“जल के अक्षय भंडार को हम लोग दोनों हाथ से बर्बाद कर रहे हैं। जल संकट का सबसे ज्यादा असर किसानों पर पड़ा है। कृषि क्षेत्र में गाड़े गए बोरिंग फेल हो रहे हैं। असमय कुएँ सुख रहे हैं। नदियां गाद से भर गई है। नदियों ,तालाबों , सरोवरो, नहर और पइन की हालत भी बदतर है । उनमें गाद तो भरे ही हैं ऊपर से बड़े पैमाने पर अतिक्रमण हुआ है। पारंपरिक जल श्रोतो को अतिक्रमण मुक्त हर हाल में कराया जाना चाहिए।“
नालंदा (राम विलास)। अंतर्राष्ट्रीय पर्यटन केंद्र राजगीर में तीन दिवसीय राष्ट्रीय जल साक्षरता सम्मेलन का आयोजन अगले साल के फरवरी में किया जाएगा। इस सम्मेलन में भारत के विभिन्न राज्यों के अलावा कई देशों के जल प्रेमी जल, जल योद्धा शामिल होंगे। सम्मेलन की तैयारी को लेकर किसान- मजदूर संघर्ष मोर्चा के बैनर तले बुधवार को यहां बैठक हुई।
बैठक के बाद मोर्चा के संयोजक एवं राष्ट्रकवि रामधारी सिंह दिनकर स्मृति न्यास के अध्यक्ष नीरज कुमार ने बताया कि राजगीर के अंतरराष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर में 2324 25 फरवरी को राष्ट्रीय जल साक्षरता सम्मेलन का आयोजन किया जाएगा।
इस सम्मेलन में जल जन जोड़ो एवं राष्ट्रीय जल बिरादरी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजेन्द्र सिंह समेत देश और दुनिया के करीब दो हजार जल प्रेमी व जल योद्धा शामिल होंगे।
उन्होंने बताया कि विश्व में जल संकट तेजी से बढ़ रहा है। इस जल संकट को लेकर सर्वत्र कोहराम मचा है। साठ फीसदी पानी भारत में वर्वाद हो रहा है। पानी की बर्बादी को रोकने के लिए और भूगर्भीय जल के शोषण पर रोक लगाने के लिए इस सम्मेलन का आयोजन किया जा रहा है। पानी की हो रही बेतहाशा बर्बादी को रोकने के लिए आज जन जागरूकता की निहायत जरूरत है।
उन्होंने कहा कि आज देश और दुनिया में जल के जितने संकट हैं। आने वाले 10 वर्षों में और विकराल होगा। बिहार के शायद ही तालाब, नदी – नाले, आहर – नहर , पइन -पोखर ऐसे हैं जिनका अतिक्रमण नहीं हुआ है।
वैद्यनाथ प्रसाद सिंह ने कहा कि देश में और प्रदेश में बढ़ रहे जल संकट को देखते हुए ‘ वाटर बैंक ‘ का निर्माण किया जाना चाहिए।
जल की बर्बादी पर सख्ती से रोक लगाने की आवश्यकता पर बल देते हुए उन्होंने कहा वाले समय में भूकंप से भी भयावह स्थिति जल संकट को लेकर बिहार में होगी।
उन्होंने कहा देश को बचाना है तो पानी को बचाना ही होगा।
गुजरात से आए डॉ केशु भाई देसाई ने कहा बिहार नदियों का प्रदेश है। यहां एक से बढ़कर एक सुरसर नदियाँ हैं । इसके बावजूद यहां जल संकट तेजी से बढ़ रहा है। जिन क्षेत्रों में कभी पानी सूखते नहीं थे। क्षेत्र की नदियां, वहां के नहर , तालाब और पोखर अब अक्टूबर-नवंबर में ही जल विहीन हो गए हैं। यह जल संकट की भयावहता को प्रदर्शित करता है। वातावरण प्रदूषित हो रहा है। गर्मी तेजी से बढ़ती जा रही है।
यह ग्लोबल वार्मिंग का असर है कि बरसात का घनत्व घटता जा रहा है। औसत से भी वर्षा कम हो रही है। इतना ही नहीं असमय वर्षा होने लगी है, जिसका कृषि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है ।
उन्होंने कहा कि समय रहते आम नागरिक नहीं चेते तो आने वाले 10- 15 वर्षों में जल संकट सिर चढ़कर बोलने लगेगा। कई देशों में जल संकट सातवें आसमान पर है। सीरिया इसका उदाहरण है । जल की हो रही बर्बादी और जल संकट से निपटने के लिए बृहद जन आंदोलन की जरूरत है।
डॉ केशुभाई देसाई ने कहा भूगर्भीय जल के शोषण पर रोक लगाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार दोनों को कानून बनाने की आवश्यकता है। पानी को बेतहाशा बर्बाद करने वालों के खिलाफ भी कारवाई की आवश्यकता है । लोग गाड़ियों और घरों को धोने में जरूरत से कई गुना अधिक पानी का इस्तेमाल कर रहे हैं, जो जल की बर्बादी है । भूगर्भ जल तेजी से नीचे जा रहा है।
इस मौके पर आरा के मुन्ना पाठक, अमित कुमार पासवान, अरुण कुमार सिंह, नरेन्द्र शर्मा, गोपाल शरण सिंह, परीक्षित नारायण सुरेश एवं अन्य लोग उपस्थित थे।