Home कला-संस्कृति पौराणिक सिद्धनाथ मंदिर के विकास को लेकर पीएमओ में शिकायत दर्ज

पौराणिक सिद्धनाथ मंदिर के विकास को लेकर पीएमओ में शिकायत दर्ज

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अखिल भारतीय जरासंध अखाड़ा परिषद के राष्ट्रीय महासचिव एवं राजगीर के समाजसेवी श्याम किशोर भारती ने प्रधानमंत्री कार्यालय में इस ऐतिहासिक धरोहर को विकसित करने का आवेदन दिया है। आवेदनोपरांत प्रधानमंत्री कार्यालय के जन शिकायत सेल द्वारा आवेदन को स्वीकृति प्रदान करते हुए जन शिकायत संख्या PMOPG/E/2019/0495681 दर्ज किया है…………….……..”

एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। कई सदियों से उपेक्षित राजगीर के पुरातात्विक धरोहर सिद्घनाथ मंदिर के दिन बदल सकते हैं। धार्मिक नगरी राजगीर के पौराणिक एवं पुरातात्विक ऐतिहासिक धरोहर वैभारगिरी पर्वत के शिखर पर स्थित भगवान शंकर के सिद्धनाथ मंदिर के विकास के लिए आवेदन प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) में रजिस्टर्ड कर ली गयी है।rajgir sidhhnath temple 2

समाजसेवी श्याम किशोर भारती ने अपने लिखित आवेदन में महाभारत कालीन इस ऐतिहासिक, पुरातात्विक धरोहर को विकसित करने की मांग की है।

श्री भारती ने कहा कि एक ओर राजगीर के विभिन्न धर्मों के केन्दों का नियमित विकास हो रहा है किंतु राजगीर के सबसे प्राचीनतम धरोहर का विकास नही होना चिंता का विषय है।

 राजगीर के अन्य धर्मो से जुड़े स्थलों का विकास हो रहा है, किंतु ऐतिहासिक महत्व के इस पुरातात्विक धरोहर आज बिहार सरकार के पर्यटन मानचित्र पर भी नही है,जो निंदनीय है। राजगीर के वैभारगिरी पर्वत पर पहाड़ी वादियों के बीचो बीच स्थापित इस मंदिर की स्थापना महाभारत काल में मगध सम्राट जरासंध ने की थी।

उन्होंने बताया कि 5 हज़ार वर्ष पुराने इस ऐतिहासिक धरोहर की सरकारी स्तर पर इतनी उपेक्षा है कि इसकी पुरानी दीवारें भी किसी समय गिर सकती है। राजगीर के अन्य धार्मिक स्थलों के विकास पर सरकार खजाने खोल रखी है, लेकिन राजगीर के रमणीक वादियों में धार्मिक पर्यटन के इस महत्वपूर्ण केंद्र की उपेक्षा से देशी विदेशी पर्यटक सहित स्थानीय लोग काफी नाराज है।

उन्होंने कहा कि यदि सरकार इस स्थल का पूरा अध्ययन कर इसका सम्पूर्ण विकास करे तो धार्मिक,पुरातत्विक धरोहर के साथ राजगीर के पर्यटन में यह चार चांद लगा सकता है, क्योंकि इस स्थल तक पहुँचने में जिस तरह पहाड़ी घाटियों से लेकर जंगली खूबसूरती की छटा दिखती है, वह अलौकिक दृश्य है।

धार्मिक आस्था के महत्वपूर्ण केंद्र में पूरे सावन प्रतिदिन  हज़ारो श्रद्धालु हज़ारों सीढ़ी चढ़कर इस मंदिर में जलाभिषेक करने पहुँचते है। इस मंदिर परिसर के पास की विडंबना है कि के उक्त परिसर के आसपास न तो सरकार द्वारा  पानी की व्यवस्था है और न ही प्रकाश की। बिहार सरकार द्वारा इस परिसर तक पर्यटकों को ध्यानाकर्षण करने के लिए शहर में कही बोर्ड, होर्डिंग भी नहीं लगे है।

श्री भारती ने प्रेस प्रतिनिधियों को संबोधित करते हुए कहा कि बीते 5 अगस्त को अखाड़ा परिषद द्वारा आयोजित जलाभिषेक सह धरोहर सुरक्षा संकल्प यात्रा के क्रम में सभी श्रद्धालुओं ने इसकी रक्षा सुरक्षा का संकल्प लिया है। जिसके बाद इस धरोहर की वस्तु स्थिति से बिहार एवं केंद्र सरकार को विभिन्न माध्यमों से सूचित कर इसके विकास की मांग की जा रही है।

इसी क्रम में प्रधानमंत्री कार्यालय को सूचित किया गया है और एक प्रतिनिधिमंडल बिहार के मुख्यमंत्री एवं मंत्रीगण से भी मुलाकात कर इसके विकास की बात रखेंगे।

यदि समय रहते इस धरोहर का विकास नही हुआ तो पूरे बिहार के श्रद्धालु इसके लिये अनशन भी करेंगे। वहीं सिद्धनाथ मंदिर के विकास का आवेदन प्रधानमंत्री कार्यालय में पहुँचने पर स्थानीय लोगो ने उम्मीद जताई है कि शीघ्र ही इसका विकास होगा।

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