पटना। भाजपा देश के सभी जिला मुख्यालय में पार्टी दफ्तर खोलने के लिए एक एकड़ जमीन खरीदने का फैसला लिया है। इस फैसले के तहत बिहार के 25 जिले में बीजेपी ने पार्टी दफ्तर के लिए जमीन कि खरीदारी की है। उसमें नोटबंदी के एक सप्ताह पहले भी खरादीरी हुई है और बाद में भी खरीदारी चल रही है।
अधिकांश खरीदारी अगस्त से सितम्बर के बीच हुई है। हलांकि बीजेपी का कहना है कि हमने सारा पैंसा आरटीजीएस के माध्यम से किसान को दिया है।
सवाल उठता है कि बिहार में जो सरकारी मूल्य है, क्या उस मूल्य पर जमीन मिलता है। अगर नही मिलता है तो बीच का पैसा किसान को अगर दिया गया तो वो धन कालाधन कहलायेगा कि नही? वो राशी कहां से आयी?
दूसरा बात जब पूरे देश की जनता से कालाधन से निपटने के लिए 50 दिन का समय मांग रहे हैं तो भाजपा को यह बताना चाहिए कि बिहार के 25 जिला मुख्यालय में सरकारी दर की ही बात करे तो लगभग 20 करोड़ से अधिक कि राशि की जो जमीन खरीदी गई है, वह राशि किसने दिया ?
बकौल भाजपा, उसकी पार्टी बेवसाईट पर पूरा डिटेल्स है कि किससे जमीन खरीदी गयी कितने राशि में खरीदी गई, सब कुछ लिखा हुआ है। लेकिन उस साइट पर कहीं भी यह उपलब्ध नहीं है।