“मैथिली और मिथिला के नाम पर स्वार्थ सिद्धि करने वालों का जमावड़ा है मिथिला सांस्कृतिक परिषद जमशेदपुर……”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। एक हज़ार से ऊपर सदस्यों वाले पाँच दशक पुरानी इस संस्था के नेतृत्व के लिए ऐसी होड़ देखा जो लोक सभा के चुनाव की याद दिला देती है।
अपने अपने दलों के लिए जी जान लगाकर काम करने वाले कार्यकर्त्ता और कार्यकारणी के उम्मीदवार अपनी अपनी जीत के लिए कोई हथकंडा नहीं छोड़ते।
जीतने के बाद कार्यकारणी के सदस्य कुर्सी से ऐसे चिपकते कि छः साल बाद भी उतरने का नाम नहीं लेते। संस्कृति और समाज का उत्थान करने के उद्देश्य से इस संस्था की स्थापना हुई थी, पर सामाजिक कार्य के नाम पर साल में एक बार सांस्कृतिक कार्यक्रम के आलावा कभी कभी ब्लड डोनेशन कैंप लगा समाज का उपकार करती है यह संस्था।
सांस्कृतिक कार्यक्रम के नाम पर लाखों खर्च कर बहार से गायक आते हैं वो भी ऐसे जिनसे अच्छे कलाकार जमशेदपुर में उपलब्ध होते हैं, पर अपनी वाहवाही और बड़े बड़े नेताओं से परिचय बढ़ाने का मौका की होड़ में हर वर्ष अधिक खर्च कर अपनी वाहवाही का मौका क्यों छोड़ें?
हर संस्था की तरह इस संस्था में भी महिला सदस्यों की कमी नहीं पर ऐसी मूक महिला सदस्य शायद ही किसी और संस्था में मिले। आज तक महिला सदस्य कार्यकारणी के लिए न खड़ी हुई हैं न कोई उन्हें कार्यकारणी में सम्मिलित की गई है।
यहाँ तक कि उन्हें आगे की पंक्ति में भी बैठने का कोई अधिकार नहीं है। अच्छे अच्छे अंतराष्ट्रीय स्तर के संस्थानों से जुडी, अच्छे अच्छे कलाकार महिलाओं को भी मात्र सदस्य बनकर वोट देने का अधिकार मात्र है इस संस्था में।
बीते कल एक अत्यंत ही खेदपूर्ण मामला सामने आया। 1984 में जुडी और बनी आजीवन महिला सदस्य का नाम सदस्यता सूची से बिना किसी सूचना के हटा दी गई।
उस महिला सदस्य को एक महीने से भिन्न भिन्न ग्रुप के सदस्य लगातार सन्देश भेजते थे। अपने अपने ग्रुप के नामांकित सदस्यों को वोट देने लगातार कहते रहे।
यहाँ तक कि कल घर पर आकर भी सूची थमा गए, पर जब वह महिला सदस्य वोट देने गई तो उनका नाम सदस्यों की सूची में नहीं था और उन्हें वोट देने नहीं दिया गया।