नालंदा (राम विलास)। मंगलवार को नालंदा विश्वविद्यालय के गवर्निंग बोर्ड की बैठक नई दिल्ली में हुई । बैठक को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा एशियाई देशों में नालंदा विश्वविद्यालय की परिकल्पना भारत और पूर्वी एशिया देशों के बीच बौद्धिक समन्वय की सेतू के रूप में की गई है। यह भारत के साफ्ट पॉवर का प्रभावी प्रतीक है।
उन्होंने कहा भारत सरकार नालंदा के विकास के लिए सतत प्रयत्नशील और कृतसंकल्प है। विदेश मंत्री ने कहा मेरे लिए नालंदा एक ड्रीम प्रोजेक्ट है। उन्होंने विश्वविद्यालय के तमाम गतिविधियों में तेजी लाने की आवश्यकता पर जोर दिया ।
नालंदा विश्वविद्यालय के कुलाधिपति डॉक्टर विजय भटकर ने विश्वविद्यालय की उपलब्धियों और योजनाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला । कुलाधिपति ने विश्वविद्यालय के भावी योजनाओं और प्रस्तावों तथा विचारों से बोर्ड को अवगत कराया । विदेश मंत्री ने कुलाधिपति के द्वारा तैयार योजनाओ से काफी प्रसन्न और प्रभावित हुईं ।
बैठक में विश्वविद्यालय के भावी योजनाओं पर विस्तार से चर्चा की गई । इस बैठक में विदेश राज्यमंत्री एम जे अकबर, विदेश सचिव एस जयशंकर, सचिव ( ई आर ) अमर सिन्हा , नालंदा विश्वविद्यालय के पदान्कित कुलपति प्रोफ़ेसर सुनैना सिंह, प्रभारी कुलपति पंकज एन मनमोहन, गवर्निंग बोर्ड के सदस्य एन के सिंह , बिहार के मुख्यमंत्री के प्रधान सचिव चंचल कुमार , केंद्रीय मानव संसाधन एवं विकास मंत्रालय के सचिव केवल कुमार शर्मा , भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद के अध्यक्ष प्रो लोकेश चंद्र, नीति आयोग के उपाध्यक्ष डॉक्टर अरविंद पनगढ़िया , लाओस पीडीआर के राजदूत साउथम सोकनहिन्निओम शामिल हुए ।