एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (मुकेश भारतीय)। बिहार में सुशासन है। जीरो टॉलरेंस है। इससे इतर सत्ता पक्ष कुछ भी सुनने को तैयार नहीं। सीएम नीतिश कुमार भी इसी भ्रम में हैं कि हर तरफ सब कुछ बढ़िया है। कहीं कोई दिक्कत नहीं। आम जनता उन्हें एक ईमानदार और बेहतर सुशासक मानती है। लेकिन क्या बाकई में उनकी सोच और बनी छवि के अनुरुप सब कुछ हो रहा है।
अगर हम उनके गृह जिले नालंदा की ही बात करें तो परिदृश्य विपरित और भयावह नजर आती है। न कहीं सुशासन दिखती है और न कहीं जीरो टॉलरेंस। आला अफसरों की मेहरबानी से हर तरफ व्यवस्था का बेड़ा गर्क दिखता है।
नालंदा जिले के राजगीर नगर स्थित बीचली कुंआ निवासी आरटीआई एक्टीविस्ट पुरुषोतम प्रसाद ने हाल ही में अपने पद से सेवानिवृत हुये नगर कार्यपालक अधिकारी बुलंद अख्तर के कथित भ्रष्ट आचरण के खिलाफ 1 अक्टूबर, 2017 को एफआईआर दर्ज करने के संबंध में ऑनलाइन शिकायत दर्ज की थी। उस शिकायत का टोकन नंबर 201710010016 है।
अपनी शिकायत में श्री प्रसाद ने “राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा अपने पद का दूरुपयोग कर स्वच्छ भारत अभियान की राशि विभागीय निर्देश को ताक पर रख अपात्र को लाभ देने के संबंध में” शीर्षक से की गई शिकायत में साफ उल्लेख है कि राजगीर के वर्तमान (अब सेवानिवृत) कार्यपालक पदाधिकारी मो. बुलंद अख्तर द्वारा अपने पद का दुरुपयोग कर वैसे लोगों को भारत स्वच्छता मिशन के तहत लाभ पहुंचा रहे हैं, जो लाभुक की योग्यता नहीं रखते।
आर्थिक जाति आधारित जनगणना के अनुसार वैसे चिन्हित परिवार जिनके घर में पूर्व में शौचालय था, उसे भी दिया जा रहा है। सरकारी जमीन पर बसे परिवार को भी शौचालय मद की राशि दिया गया है। यह सब राजगीर नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी के नेतृत्व में हो रहा है।
अतः पद का दुरुपयोग करने, सरकारी राशि लुटने-लूटवाने और भविष्य में राजगीर में अव्यवस्था उत्पन्न करने की शाजिश रचने को लेकर राजगीर के नगर पंचायत पदाधिकारी और उनके गैरकानूनी खेल में शामिल अन्य लोगों को चिन्हित कर तत्काल मामला दर्ज करने की कृपा करें।
श्री पुरुषोतम प्रसाद की इस गंभीर शिकायत पर त्वरित कार्रवाई करते हुये उन्हें यह निर्देश दिया गया कि वे अपनी शिकायत प्रोपर चैनल के तहत राजगीर के एसडीओ और नालंदा के डीएम से करें। जिनके निर्देश के बाद पुलिस एक्शन लेगी।
इसके बाद श्री प्रसाद ने मिले निर्देश के अनुसार 30 अक्टूबर, 2017 को राजगीर के एसडीओ ज्योतिनाथ शाहदेव और 28 अक्टूबर, 2017 को नालंदा के डीएम डॉ. त्यागराजन एस एम को ऑनलाइन मिले निर्देश की छायाप्रति संलग्न करते हुये आवेदन सौंपा। उस आवेदन में उन्होंने अनुरोध किया था कि ऑनलाइन देय निर्देशानुसार यथाशीघ्र भौतिक जांच कर अग्रेतर कार्रवाई के लिये नालंदा पुलिस को निर्देशित की जाये।
लेकिन बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा में सुशासन और जीरो टॉलरेंस की बखिया उघेड़ते हुये एसडीओ तो दूर डीएम स्तर से कोई जांच-कार्रवाई तत्काल तो दूर, अब तक कोई संज्ञान नहीं लिया गया है।
जबकि इसी बीच कथित भ्रष्टाचार में संलिप्त राजगीर नगर पंचायत पदाधिकारी बुलंद अख्तर बीते 31 दिसबंर, 2017 को आराम से सेवानिवृत हो गये।
बता दें कि पटना में उजागर हुये ठीक इसी तरह के शौचालय घोटाला के मामले में डीएम स्तर से कार्रवाई की गई और कई भ्रष्ट अफसरों-कर्मियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज गिरफ्तारियां तक की गई।
अब नालंदा जिला प्रशासन खुले भ्रष्टाचार पर तत्काल कोई कार्रवाई की जगह जिस तरह से अब तक पर्दा डाले हुये है, उससे उसकी नियत पर भी साफ सबाल खड़े होने लाजमि है।