“थाने में यदि सफेदपोश, पैसे ,पैरवी वाले लोग जाते है तो पुलिस पदाधिकारी बहुत सम्मानपूर्वक व्यवहार करते हैं। लेकिन वही यदि एक गरीब शोषित, कमजोर आदमी थाने जाता है तो थाना एक मुंशी भी दुर्व्यवहार से पेश आता है………….”
उन्होंने कहा कि बिहार पुलिस के समक्ष विभिन्न चुनौतियां हैं, लेकिन अपने कर्तव्यों, दायित्वों का निर्वहन करके ही हम अपने आपको समाज और देश की सेवा में लगे रह सकते हैं।
बिहार पुलिस एकेडमी द्वारा आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत डीजीपी गुप्तेश्वर पांडेय, पुलिस ट्रेनिग कैम्प के उप महानिरीक्षक परवेज अख्तर ने दीप प्रज्ज्वलित कर उदघाटन किया।
डीजीपी ने कहा कि बिहार पुलिस को गरीब, शोषित,कमजोर वर्ग के लोगो की पीड़ा और आवाज को समझना है, आम जनता की नज़र में क्या सत्य है, इसकी बारीकी को समझकर निष्ठा पूर्वक अपने कर्तव्यों का पालन करना है।
बिहार पुलिस की बदनाम छवि वाली मानसिकता को बदलने के लिए चापलूसी और दलाली प्रवृत्ति वाले शख्सों को पहचान करे। सामाजिक न्याय के लिए घटनाओं का पूरी तरह अध्ययन कर सच्चाई से रूबरू होकर विभिन्न माध्यमों से जमीनी सतह पर पहुंच पूरी सत्यता के साथ इंसाफ कार्य करे।
डीजीपी ने इस क्रम में अपने जीवन से जुड़ी आपबीती और पुलिस शैली की प्रैक्टिकल लाइफ के कठिनाई और चुनौती पर भी विशेष प्रकाश डाले।