“यूँ तो भूकंप की भविष्यवाणी नहीं की जा सकती है। लेकिन विज्ञान की तरक्की से भूकंप की संभावना का पता तो चल ही जाता है। देश में गुजरात और महाराष्ट्र के बाद अगर कभी भूकंप की ज्यादा संभावनाएँ दिखती है तो वह दिल्ली और बिहार है।दोनों ही भूकंप जोन में आते है…”
पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क)। पिछली बार 2015 में आई भूकंप ने जहाँ नेपाल को तहस-नहस कर दिया है, वही बिहार में भी बड़े जानमाल का नुकसान हुआ।
साथ ही कई दिनों तक भूकंप महसूस होते रहे जिससे लोगों में इतना खौफ समा गया था कि लोग घर से बाहर खुले मैदान में सोना शुरू कर दिया था। अब ऐसे ही एक और खतरे की संकेत मिल रहा है।
आईआईटी कानपुर ने एक ताजा अध्ययन के बाद एक बड़े खतरे का संकेत दिया है जिसमें दिल्ली से बिहार के बीच एक बड़ा भूकंप आ सकता है। जिसकी तीव्रता रिएक्टर स्केल पर 7•5 से 8•5के बीच होने की आशंका है।
सिविल इंजीनियरिंग विभाग के प्रोफेसर जावेद एन मल्लिक के अनुसार, इस दावे का आधार यह है कि पिछले पांच सौ साल में गंगा के मैदानी क्षेत्र में कोई बड़ा भूकंप रिकॉर्ड नहीं किया गया है। रामनगर में चल रही खुदाई में 1505 और 1803 में भूकंप के अवशेष मिले थे।
1885 से 2015 के बीच देश में सात बड़े भूकंप दर्ज किए गए है।इनमें तीन भूकंपों की तीव्रता 7•5 से 8•5 के बीच थी। 2001में भुज में आएं भूकंप ने करीब तीन सौ किलोमीटर दूर अहमदाबाद में भी बड़े पैमाने पर तबाही मचाई थी।
इसके बाद भी यदा कदा कई भूकंप ने अच्छी खासी तबाही मचाई है। 2015 के बाद अभी तक ज्यादा तीव्रता वाला भूकंप दर्ज नहीं किया गया है।
बताया जाता है कि शहरी नियोजकों, बिल्डरों और आम लोगों को जागरूक करने के लिए केंद्र सरकार के आदेश पर डिजिटल एक्टिव फाल्ट मैप एटलस तैयार किया जा रहा है। इससे लोगों को पता चलेगा कि वे भूकंप की फाल्ट लाइन के कितना करीब है।
इस एटलस को तैयार करने के बाद टीम ने उतराखंड के रामनगर में जमीन के गहरे गड्डे खोदकर सतहों का अध्ययन शुरू किया गया। जिम कार्बेट नेशनल पार्क से छह किलोमीटर की रेंज में हुए इस अध्ययन में 1505 और 1803 में आएं भूकंप के प्रमाण मिले है।