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    Saturday, November 23, 2024
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      चर्चित जल मीनार कांडः मुखिया की भूमिका संदिग्ध, लेकिन जांच-कार्रवाई शिथिल

      नालंदा में बागड़ ही खेत खा रही है। पंचायत जनप्रतिनिधियों ने विकास योजना को महज खाने-पकाने की जरिया बना रखा है। यहां लूट-खसोट की जब भी कोई मामले सामने आती है तो प्रशासनिक तौर पर ऐसी त्वरित जांच-कार्रवाई नहीं की जाती, विकास के दीमकों में कानून का भय बने। ”

      nalanda cruption 3एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिले के नगरनौसा प्रखंड के गोराईपुर पंचायत के गिलानीचक गांव में ‘वार्ड-05 जलमीनार कांड’  की विभागीय जांच में मुखिया पति की भूमिका संदिग्ध पाई गई है। हालांकि प्रशासन द्वारा इस मामले में अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं की जा सकी है।

      अधिकारिक सूत्रों के अनुसार हिलसा के अनुमंडल पदाधिकारी सृष्टि राज सिन्हा ने ‘जलमीनार कांड’ में  मुखिया पति की भूमिका की जांच का जिम्मा नगरनौसा प्रखंड विकास पदाधिकारी अरविंद कुमार सिंह को सौंपा। इसके बाद श्री सिंह ने अपनी जांच में मुखिया पति की भूमिका काफी संदिग्ध बताई है।

      बता दें कि गिलानीचक गांव के वार्ड-05 में अचानक धाराशाही हुये जलमीनार की पड़ताल में कई सनसनीखेज तत्थ उभरकर सामने आये। इसी वार्ड के जदयू-भाजपा नीत नीतिश सरकार के कद्दावर मंत्री ललन सिंह निवासी हैं।

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      गिलानीचक गांव ‘जल मीनार कांड’ के घेरे में पंचायत मुखिया पति राजू चौधरी उर्फ राजनंदन उर्फ रंजन चौधरी……

      इस गांव के वार्ड संख्या-05 में जल-नल योजना के तहत जल मीनार निर्माण के लिये प्राक्कलित करीब 13 लाख रुपये की सरकारी राशि में वार्ड समिति को करीब 11 लाख रुपये आवंटित कर दिये गये।

      वार्ड समिति के खाते में 11 लाख उपलब्ध कराने की एवज में पंचायत सचिव की मिलीभगत से मुखिया पति ने दबाव डालकर वार्ड सदस्य के खाते की क्रमशः 304429 एवं 304430 संख्या की दो चेक हड़प लिये, जोकि मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की लोदीपुर नगरनौसा शाखा के खाता संख्या- 71750100167276 से निर्गत थे।

      उन दोनों चेक में एक चेक संख्या-304429 का भुगतान दिनांकः 09.10.2017 को 1,50,000.00 (एक लाख पचास हजार) रुपये राजनंदन के नाम से एवं दूसरे चेक संख्या-304430 का भुगतान दिनांकः 12.10.2017 को 5,71,000.00 (पांच लाख इकहत्तर लाख) रुपये रंजन चौधरी के नाम से भुगतान हुआ। राजनंदन और रंजन चौधरी पंचायत मुखिया पति के ही दो अलग-अलग नाम उभर कर सामने आये।nagarnaussa cruption minister village

      इस अवैध लेन-देन से एक रोचक घटना भी जुड़ा है। करीव तीन माह पहले  7 लाख रुपये से उपर की सरकारी राशि की  अवैध लेन-देन को लेकर  वार्ड सचिव और मुखिया पति के बीच नगरनौसा स्थित ग्राम सेवक के आवास पर जमकर मारपीट व कुर्ता फाड़ा-फाड़ी भी हुई।

      वार्ड सचिव का कहना था कि मुखिया ने धोखे से ब्लैंक चेक ले लिया। उधर मुखिया पति का कहना था कि उसका जो ‘अधिकार-हिस्सा’ बनता है, उसे वह लिया। तब गणीमत रही कि यह मामला थाना में नहीं पहुंचा, अन्यथा भ्रष्टाचार का यह खेल उसी समय उजागर हो जाता।nalanda fir cruption minister village 1

      इस जलमीनार के निर्माण कार्य में सरकारी नियम-प्रावधानों की धज्जियां उड़ाते हुये भ्रष्टाचार का खुला खेल खेला गया। इस मामले की गंभीरता को देखते हुये जिलाधिकारी डॉ. त्यागराजन एस एम ने नगरनौसा प्रखंड विकास पदाधिकारी को दोषियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने के आदेश दिये। 

      तत्पश्चात, पंचायत सेवक द्वारा संबंधित चंडी थाना में कनीय अभियंता समेत वार्ड क्रियान्वयन व संचालन समति के सदस्यों समेत 8 लोगों के खिलाफ मामला दर्ज हुआ। लेकिन लंबे अरसे बाद भी पुलिस अब तक कोई कार्रवाई करने में पंगु साबित है।

      उक्त जलमीनार कांड को लेकर एक और गंभीर तथ्य सामने आये। सीएम सात निश्चय के तहत जल-नल योजना की कार्य एजेंसी वार्ड समिति होती है। लेकिन गोराईपुर पंचायत के वार्ड-05 में इस एजेंसी के खाते से आवंटित करीब 11 लाख रुपये में 7.25 लाख चेक द्वारा मुखिया पति के खाते में चली गई।

      इस बाबत मुखिया पति का कहना था कि उसे वे रुपये वार्ड समिति ने जलमीनार निर्माण की सामग्री आपूर्ति के लिये दिये। उधर वार्ड सचिव का कहना रहा कि मुखिया पति ने जालसाजी व जबरदस्ती कर वार्ड सदस्य के खाते की क्रमशः 304429 एवं 304430 संख्या की दो चेक हड़प लिये,जो कि मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की लोदीपुर नगरनौसा शाखा के खाता संख्या- 71750100167276 से निर्गत थे।

      nalanda fir cruption minister village 2उन दोनों चेक में एक चेक संख्या-304429 का भुगतान 1,50,000.00 (एक लाख पचास हजार) रुपये राजनंदन के नाम से एवं दूसरे चेक संख्या-304430 का भुगतान 5,71,000.00 (पांच लाख इकहत्तर लाख) रुपये रंजन चौधरी क नाम से भुगतान हुआ।

      मुखिया पति के बैंक एकाउंट स्टेटमेंट से यह बात साफ जाहिर हुआ कि उसने वार्ड सदस्य के खाते से जो एकमुश्त बड़ी राशि हड़पी, उसका इस्तेमाल स्वार्थवश दूसरे उदेश्यों में किया।

      मुखिया पति ने अपने खाते में अचानक आई बड़ी राशि से राजधानी पटना के एक ऑटोमोबाईल एजेंसी से एक नई बोलोरो गाड़ी खरीदी। इसकी पुष्टि मुखिया पति के बैंक एकाउंट से उक्त एजेंसी के नाम जारी राशि के अवलोकन से भी साफ स्पष्ट हुआ।

      बहरहाल, बिहार सरकार के मंत्री के पैत्रिक गांव में उजागर हुये भष्ट्राचार के मामले के संदिग्ध बेफिक्र है। उसे व्यवस्था में ‘पैसा फेंको और मौज करो’ की चलन पर विश्वास है। प्रशासन के जिम्मेवार अफसर भी ऐसे मामलों में गंभीर नहीं दिख रही है या फिर सारे ‘खेला’ में शामिल प्रतीत हो रहे हैं। इससे विकास के लुटेरों का मनोबल वढ़ना लाजमि है।  

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