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Tuesday, December 5, 2023
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    किसी के पास जवाब है कि अच्छे दिन कैसे आ गए :मीसा भारती

    हम सबने बचपन में एक कहानी ज़रूर पढ़ी होगी जिसमें एक दर्ज़ी राजा के लिए एक ऐसा कपड़ा सिलने का दावा करता है जो सिर्फ़ समझदार आदमी को ही दिखाई देगा, मूर्खों को नहीं।

    दर्ज़ी ने झूठ मूठ ऐसा वस्त्र सिल दिया जो दरअसल था ही नहीं। नतीजतन मुर्ख करार दिए जाने के डर से सभी उस अस्तित्वहीन वस्त्र की ख़ूबसूरती की बड़ाई करने में जुट गए।

    कुछ ऐसी ही स्थिति आज हमारे देश की है। चालाक दर्ज़ी हमारे देश को काल्पनिक अच्छे दिन के वस्त्र के अस्तित्व का लगातार दावा करने में भिड़े हैं। और जो कोई इस दावे का खंडन करता है उसे देश द्रोही, विकास विरोधी और पूर्वाग्रह पीड़ित बता दिया जाता है।

    सोशल मीडिया पर मोदी भक्त गालीगलौज पर उतर कर अपनी परवरिश की दुहाई देने लगते हैं। इलेक्ट्रॉनिक मीडिया में कम से कम दो ऐसे हिंदी चैनल हैं जिन्हें संवाददाता हलकों में मोदी चैनल 1 & 2 का नाम दे दिया गया है।

    अच्छे दिन कैसे आ गए हैं, इसका किसी के पास जवाब नहीं है। एक साल में नए नामकरण से पुरानी योजनाओं को लागू करने, नयी बोतल में पुरानी शराब डालने, बिना रोडमैप और फंडिंग की योजनाओं को पूरे ताम झाम के साथ लागू करने, फ़ोटो ऑप्स में गवर्नेंस को सीमित करने, कल्याणकारी योजनाओं के आवंटन को कम करने के अलावा और कुछ नहीं किया गया है।

    ऊपर से व्यापम घोटाला, ललित मोदी प्रकरण, घर वापसी, जुमलेदार बातें, हावी नौकरशाही, झुठलाए वादे और महंगाई-भ्रष्टाचार का दंश इत्यादि ।

    ना देश साफ़ हुआ-ना गंगा, ना चीन रुका- ना पाकिस्तान, ना दाऊद आया- ना बांग्लादेशी गए, ना महिला सुरक्षित- ना अल्पसंख्यक, ना अर्थव्यवस्था सुधरी- ना रक्षा, ना किसान खुश- ना जवान और ना नौजवान ।

    देश पूछ रहा है हैरान, तो फिर अच्छे दिन कैसे आ गए छप्पन इंच की छाती वाले पहलवान?

    पूरा देश आज काल्पनिक ‘अच्छे दिन’ रुपी वस्त्र पहन कर सहमा हुआ नंगा खड़ा है और एक ओर चालाक दर्ज़ी 12 लाख का सूट पहन कर मंद मंद मुस्कुरा रहा है।   

    ….. राजद सुप्रीमों लालू प्रसाद की पुत्री  मीसा भारती  अपने फेसबुक वाल पर

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