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    Thursday, April 25, 2024
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      SDO से OSD बने सुबोध कुमार ने लिखा प्रेरक प्रसंग, जरुर पढ़े?

      ? जब अपने सुझाव मैं माननीय CM को लोकसंवाद में 12.6.17 को देने गया तो माननीय CM द्वारा मुझे भूमि संबंधी सुझाव/जानकारी के मद्देनजर फील्ड से हटाकर राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग,पटना में पदस्थापित करने के लिए अधिकारियों को कहा गया…………..

      ? विदित हो कि मैं फील्ड में उस समय शेखपुरा SDO के पद पर तैनात था और मुझे राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग में OSD बना कर पदस्थापित कर दिया गया। तो सुनिए

      ? SDO से OSD बनने पर कुछ लोगों का प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष कमेंट मेरे बारे में—-SUBODH KUMAR 2

      1. चौबे गए छब्बे बनने,दुबे बन के आए।

      2. बड़ा तेज बनता था। इनसे ज्यादा तेज और कोई था ही नहीं।

      3. बड़ा काबिल बुझता था अपने आप को। मिल गया काबिल बनने का फल।

      4. दो-चार सुझाव क्या दे दिए,जैसे आज़ादी का जंग लड़ लिया हो।

      5. कोई पागल आदमी ही अपना काम-धंधा छोड़कर जाएगा CM साहब को सुझाव देने।

      6. बहुत होशियार बन रहे थे। इससे बढ़िया-बढ़िया सुझाव तो कितना पहले ही विभाग में दिया जा चुका है। इ सब से कुछ होनेवाला थोड़े है???

      7. अब सड़ो विभाग में।

      8. ज्यादा सुर्खरू बने,इसलिए शंट कर दिया गया।

      9. बहुत उड़ रहा था। पांवे जमीन पर नहीं था। अब आ गया सही जगह पर।

      10. एक वरिष्ठ अधिकारी(अब स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ले चुके हैं)ने तो यह भी कहा कि आज-कल का लड़का सब इतना उद्दंड हो गया है कि माननीय CM के पास भी पहुँच गया। आदि आदि।

      तो ये भी मिलता है प्रतिफल जनहित में काम करने पर।

      ? ऐसे ओछे कमेंट्स किसी के मनोबल और आत्मविश्वास को तोड़ने के लिए इतना काफी है। मुझे भी लोगों ने तोड़ने का प्रयास किया।

      लेकिन वो नाकाम रहे, क्योंकि मैं दृढ़ आत्मविश्वास से परिपूर्ण हूँ। मुझे कोई हतोत्साहित नहीं कर सकता। मैं सिर्फ और केवल सिर्फ अपने काम पर ध्यान देता हूँ। मुझे अच्छी तरह मालूम है कि लोग ईर्ष्या/जलन के वशीभूत होकर ही ऐसा अनर्गल प्रलाप/कार्य कर रहे थे।  मुझे उनकी नहीं,जनहित की चिंता रहती है। मैंने क्या गलत किया,जिसके लिए लोग मुझे गलत ठहराने/शर्मिंदा करने पर तुले हुए थे।

      ? उपर्युक्त बातों से इतना तो आप भी समझ ही गए होंगे कि जनहित में काम करना भी एक पदाधिकारी के लिए आसान नहीं होता। उसे कई मोर्चों पर दृढ़ आत्मविश्वास के साथ लड़ना पड़ता है। मेरी जनहित के लिए लड़ाई जारी है और आगे भी जारी रहेगी।

      ? मैं चिरकुट लोगों के बात/कृत्य पर ध्यान नहीं देता। मुझे मालूम है कि उनकी सोच और मेरी सोच में जमीन-आसमान का फर्क है। वो कान खोल कर सुन लें।

      मेरी बराबरी करना तो दूर की कौड़ी रही। वो मुझे छू भी नहीं सकते।

      ? I openly challenge them. Touch me if u can.

      ? इसे घमंड न समझें। मेरा दृढ़ आत्मविश्वास बोल रहा है। धन्यवाद। ???

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