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    Tuesday, April 23, 2024
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      मध्य बिहार ग्रामीण बैंक में सृजन की तर्ज पर हुये घोटाले, नहीं हो रही कार्रवाई

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। एक तरफ बिहार में जहां सृजन महाघोटाले के महादुर्जनों के खिलाफ अपनी जांच में सीबीआई जी-जान से जुटी है, वहीं सीएम नीतिश कुमार के गृह जिले नालंदा में भारी पैमाने पर फर्जी शिक्षकों के नियोजन के बीच मध्य बिहार ग्रामीण बैंक से जुड़ा एक बड़ा गोरखधंधा किये जाने का खुलासा हुआ है।

      जानकार बताते हैं कि यदि सिर्फ नालंदा जिले में मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की शाखाओं में हुये केसीसी यानि किसान क्रेडिट कार्ड घोटला की यदि गहराई से जांच की जाये तो चारा-सृजन आदि सब मात खा जायेगें।

      इस जिले में मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की कुल 104 शाखाएं हैं और शायद ही कोई ऐसा शाखा हो, जहां फर्जीबाड़ा न हो रहा हो। इस फर्जीबाड़े में एक सुनियोजित रैकेट काम कर रहा है, जिसमें बैंककर्मियों से काफी अंदरुनी सांठगांठ है।

      खबर आई थी कि  मध्य बिहार ग्रामीण बैंक की अमीरगंज शाखा से फर्जी केसीसी व हस्ताक्षर से करोड़ों रूपये की निकासी कर ली गई। विभागीय जांच में इसकी पुष्टि हुई है। यहां 108 ऋण दस्तावेज बैंक से रहस्यमय ढंग से गायब हैं। इन ऋण दस्तावेजों से 13 लाख 966 हजार का ऋण स्वीकृत किया गया है।

      जांच व सत्यापन के बाद की रिपोर्ट भी काफी चैकाने वाले हैं। राजगीर अंचलाधिकारी के पत्रांक-956 दिनांक-15.06.2015 के द्वारा निर्गत सत्यापन प्रतिवेदन के अनुसार 28 के.सी.सी फर्जी है।

      इसी प्रकार अंचलाधिकारी, बेन के पत्रांक-713, दिनांक- 17.07.2017 द्वारा निर्गत सत्यापन रिर्पोट के अनुसार कुल 51 केसीसी फर्जी हैं।

      इस तरह यहां बैंककर्मियों और बिचौलियों के मेल से अब तक कुल 116 खातों से फर्जीबाड़ा किये जाने के मामले प्रकाश में आये हैं।

      इस घपलेबाजी की गंध तब सामने आई, जब बैंक ने अपनी रिकार्ड के अनुसार ऋण वसूली के लिये उन लोगों को नोटिश जारी किये, जो कि बैंक ऋण लिया ही न था।

      बनौली गांव के चंदन कुमार, महेन्द्र यादव, बेदामी देवी, मारो देवी, धानो देवी, उर्विला देवी, बरनौसा पंचायत के सरपंच राजीव रंजन का मामला कुछ ऐसा ही है।

      देवरिया गांव के बाल किशुन प्रसाद और कुमार निलेश सिंह के नाम पर फर्जी केसीसी बनाकर लोन निकाल लिया गया। ट्रैक्टर के लिए उनसे सादा कागज पर हस्ताक्षर करवाया गया, लेकिन अभी तक उन्हें ट्रैक्टर नहीं मिला।

      दाउदपुर गांव के सतीश कुमार व दिनेश कुमार, बारा गांव के पिन्टू कुमार का मामला भी कुछ ऐसा ही है।

      धरहरा गांव के बलराम यादव के बैंक खाता में सिर्फ 390 रूपये थे, लेकिन उनके खाता में 1.5 लाख का ऋण स्वीकृत भी हो गया और पैसे भी निकाल लिये गये। इसी गांव के रामनंदन प्रसाद, रमेश प्रसाद, संतोष कुमार व जगदेव प्रसाद भी इसी तरह फर्जीवाड़े के शिकार हुये हैं।

      बाजितपुर गांव की रेणु देवी और तेतरिया गांव के मिन्ता देवी का कहना है कि शौचालय के लिए खोले गये उनके खाते में भी जालसाजी की गयी है। देवरिया के ही उपेन्द्र राम, रामरती देवी, मालती देवी भूमिहीन हैं। खाता खेलने के नाम पर गरीबन यादव ने दस्तखत टिप्पा लिया और जालसाजी कर बैंक से रूपये निकाल लिया।

      तेतरिया गांव के भूषण केवट, नैयर आलम और सफदर इमाम के नाम पर भी फर्जी केसीसी बनाकर एक-एक लाख रूपये का फर्जीबाड़ा किया गया।

      हालांकि मध्य बिहार ग्रामीण बैंक शाखा अमीरगंज के वर्तमान शाखा प्रबंधक अजय कुमार पंडित द्वारा  पूर्व प्रबंधक रवीन्द्र कुमार, जॉन डीयर ट्रैक्टर एजेंसी, बिहारशरीफ के प्रोपराइटर डब्लू सिंह के आलावे बनौली गांव निवासी गरीबन प्रसाद और अभिनंदन प्रसाद के खिलाफ एक प्राथमिकी दर्ज कराई है। यह नामजद प्राथमिकी 19 जुलाई 2017 को दर्ज करायी गई है।

      लेकिन नालंदा पुलिस ने इस मामले में अब तक कोई कार्रवाई करने में विफल रही है। जाहिर है कि जिस तरह के रैकेट काम कर रहे हैं, उसके विरुद्ध पुलिसिया जांच से ठोस कार्रवाई की उम्मीद भी नहीं की जा सकती है।

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