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    Saturday, April 20, 2024
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      RTI से हुआ बड़ा खुलासाः 84 मामलों में कभी हाजिर ही न हुये राजगीर के SDO और DSP

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (मुकेश भारतीय)। “शासन व्यवस्था में पारदर्शिता और शिकायत का निवारण हो गया आसान” जैसे नारों के साथ सुशासन- लेकिन आपको जानकर काफी हैरानी होगी कि बिहार लोक शिकायत निवारण अधिकार अधिनियम-2015 की सबसे बुरी हालत सीएम नीतिश कुमार के गृह जिला नालंदा में ही अधिक परिलक्षित है।

      LOK SHIKAYAT NALANDA 4हालांकि नालंदा जिले के हिलसा और बिहारशरीफ अनुमंडल का आंकलन करें तो स्थिति संतोषजनक नजर आती है लेकिन, राजगीर अनुमंडल में स्थति काफी गंभीर नजर आती है।

      जरा कल्पना कीजिये कि जब अनुमंडल के पुलिस-प्रशासन के मुख्य कर्ता-धर्ता ही लापरवाह हो जाये औऱ उसके खिलाफ कहीं कोई सुध लेने वाला न हो तो नियम-कानून की हालत क्या होगी।

      राजगीर अनुमंडल के डीएसपी संजय कुमार और एसडीओ लाल ज्योति नाथ शाहदेव हैं। आरटीआई एक्टिविस्ट पुरुषोतम प्रसाद द्वारा सूचना अधिकार अधिनियम 2006 के तहत प्राप्त सूचनाएं काफी चौंकाने वाले हैं।

      अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी कार्यालय से प्राप्त अधिकृत सूचना के अनुसार लगातार 84 बार बतौर लोक प्राधिकार राजगीर के डीएसपी और एसडीओ जनहित के मुद्दों को लेकर कभी उपस्थित नहीं हुये हैं।LOK SHIKAYAT NALANDA

      आश्चर्य की बात तो यह है कि लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने कभी ऐसे लापरवाह लोक प्रधिकारों के खिलाफ कोई विधि सम्मत कार्रवाई नहीं की  गई।

      इस मामले में सूचना अधिकार अधिनियम-2006 की धज्जियां भी खूब उड़ाई गई।

      आरटीआई एक्टिविस्ट पुरुषोतम प्रसाद बताते हैं कि उन्होंने सर्वप्रथम श्री चेत नारायण राय, अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह लोक सूचना पदाधिकारी से  सूचना मांगी गई थी।

      लेकिन उनके अचानक स्थानांतरण हो जाने के वजह से उपरोक्त सूचना उन्हें नहीं दी गई।

      उसके बाद उन्होंने वर्तमान अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी सह लोक सूचना पदाधिकारी मृत्युंजय कुमार से संपर्क स्थापित किया तो उन्होंने बताया कि इस मामले में वरीय पदाधिकारी के आदेश के बाद वे सूचना दे सकते हैं।LOK SHIKAYAT NALANDA 1

      उसके बाद श्री पुरुषोतम प्रसाद ने श्री संजीव कुमार सिन्हा प्रथम अपीलीय पदाधिकारी सहज जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी नालंदा के समक्ष प्रथम अपील दाखिल किया तो उनके द्वारा अनुमंडलीय लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी को निर्देशित किया गया। उसके बाद यह सूचना मिली, जो काफी चौकाने वाले हैं।

      सबाल उठता है कि कुल स्पष्ट 84 मामलों में लोक प्राधिकार अनुपस्थित रहे। वे कभी हाजिर ही नहीं हुये।

      जबकि वादी महीनों समस्या समाधान की लालसा में लोक शिकायत निवारण कार्यालयों के चक्कर काटते रहे।

      इसकी मूल जबाबदेही किसकी है? क्या वैसे लापरवाह लोक प्राधिकारों पर कहीं से कोई यथोचित कार्रवाई नहीं बनती हैं?LOK SHIKAYAT NALANDA 3

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