सरायकेला (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क)। नक्सलवाद किसी समस्या का समाधान नहीं। सरायकेला-खरसावां पुलिस के लिए खौफ का पर्याय माना जानेवाला हार्डकोर नक्सली महाराज प्रमाणिक दस्ता के दो हार्डकोर नक्सलियों चांदनी और राकेश मुंडा को इश्क हो गया।और दोनों ने नक्सलवाद का रास्ता छोड़ समाज के मुख्य धारा में लौटने का मन बना लिया। जहां आज दोनों ने सरायकेला-खरसावां एसपी मोहम्मद अर्शी के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया है।
एसपी मोहम्मद अर्शी ने दोनों को एक लाख का नगद राशि देते हुए उन्हें झारखंड सरकार की ओर से दी जानेवाली सरेंडर पॉलीसी का सभी लाभ उपलब्ध कराने का भरोसा दिलाया है।
माना जा रहा है कि सरायकेला-खरसावां जिले का हार्डकोर नक्सली महाराज प्रमाणिक दस्ता इनके सरेंडर करने से कमजोर होगा। राकेश मुंडा उर्फ सुखराम मुंडा भी इस दस्ते का इनामी नक्सली रहा है। इसके खिलाफ जिले के अलग- अलग थाना क्षेत्रों में दर्जनों मामले दर्ज हैं।
झारखंड सरकार की ओर से इसपर तीन लाख का इनाम भी रखा गया है। जिले के कई नक्सली वारदातों में इस हार्डकोर नक्सली की पुलिस को तलाश थी।
बीते पंद्रह सालों से सरायकेला-खरसावां जिले का कुचाई, दलभंगा, खरसावां, चौका, ईचागढ़, तिरूडीह, नीमडीह, चांडिल, सरायकेला और गम्हरिया थाना नक्सली गतिविधियों के कारण परेशान रहा है। जहां महाराज प्रमाणिक दस्ता ईलाके में सक्रिय रहा है।
इन दोनों के सरेंडर करने से महाराज प्रमाणिक दस्ता कमजोर होने का दावा किया जा रहा है। बतौर एसपी दोनों ही हार्डकोर नक्सली बम प्लांड करने, आईडी विस्फोट करने औऱ हथियार चलाने में माहिर थे। बताया जाता है, कि रायजामा पिकेट के समीप पिछले दिनों पुलिस वैन को उड़ाने में राकेश मुंडा की बड़ी भूमिका थी।
बताया जाता है कि नक्सल ऑपरेशन के दौरान ही दोनों चांदनी और राकेश मुंडा के बीच नजदीकीयां बढ़ी और दोनों के बीच इश्क हो गया। जहां दोनों ने नक्सलवाद का रास्ता छोड़ समाज के मुख्यधारा में लौटकर नया जीवन शुरू करने की ठानी। और आज पुलिस कप्तान मोहम्मद अर्शी के समक्ष सरेंडर कर दिया।
वैसे दोनों को ओपन जेल में रखा जाएगा। साथ ही सरेंडर पॉलिसी का पूरा लाभ भी दिया जाएगा। वैसे इन दोनों के सरेंडर के पीछे एसपी मोहम्मद अर्शी की बड़ी भूमिका मानी जा रही है।
बताया जा रहा है, कि हाल ही में जिले की कमान संभालने के बाद एसपी ने नक्सलवाद के खात्मे को लेकर विशेष रणणीति के तहत काम करना शुरू किया औऱ काबिंग ऑपरेशन के दौरान रायजामा पिकेट के पास के इलाकों के लोगों को अपने भरोसे में लेकर उन्होंने नक्सलियों तक यह संवाद पहुंचाने का काम किया कि वे समाज की मुख्यधार से जुड़कर सरकार के सरेंडर पॉलिसी का लाभ उठाएं। जिसका असर अब दिखाने लगा है।
वैसे ये काम इतना आसान भी नहीं था। बहरहाल हम उम्मीद करते हैं कि जिले के एसपी अपने इरादों में कामयाब हों, और पड़ोसी जिला जमशेदपुर की तरह यह जिला भी नक्सलवाद मुक्त जिला बन सके।
हालांकि इलाके का खौफ हार्डकोर नक्सली महाराज प्रमाणिक अभी भी पुलिस की पकड़ से दूर है, औऱ इस अपमान का बदला लेने का हर संभव प्रयास वो कर सकता है। ऐसे में जिला पुलिस को और सतर्क रहने की जरूरत है।
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