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    Tuesday, March 19, 2024
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      बस अपनों के दिल में रहना आना चाहिए…

      मैं रूठा, तुम भी रूठ गए
      फिर मनाएगा कौन ?
      आज दरार है, कल खाई होगी
      फिर भरेगा कौन ?
      मैं चुप, तुम भी चुप
      इस चुप्पी को फिर तोडेगा कौन ?
      बात छोटी सी लगा लोगे दिल से,
      तो रिश्ता फिर निभाएगा कौन ?
      दुखी मैं भी और तुम भी बिछड़कर,
      सोचो हाथ फिर बढ़ाएगा कौन ?
      न मैं राजी, न तुम राजी,
      फिर माफ़ करने का बड़प्पन दिखाएगा कौन ?
      डूब जाएगा यादों में दिल कभी,
      तो फिर धैर्य बंधायेगा कौन ?
      एक अहम् मेरे, एक तेरे भीतर भी,
      इस अहम् को फिर हराएगा कौन ?
      ज़िंदगी किसको मिली है सदा के लिए ?
      फिर इन लम्हों में अकेला रह जाएगा कौन ?
      मूंद ली दोनों में से गर किसी दिन एक ने आँखें….
      तो कल इस बात पर फिर
      पछतायेगा कौन ?

      कुछ हँस के बोल दिया करो,
      कुछ हँस के टाल दिया करो,
      यूँ तो बहुत परेशानियां है तुमको भी मुझको भी,
      मगर कुछ फैंसले वक्त पे डाल दिया करो,
      न जाने कल कोई हंसाने वाला मिले न मिले..
      इसलिये आज ही हसरत निकाल लिया करो !
      हमेशा समझौता करना सीखिए..
      क्योंकि थोड़ा सा झुक जाना किसी रिश्ते को हमेशा के लिए तोड़ देने से बहुत बेहतर है ।
      किसी के साथ हँसते-हँसते उतने ही हक से रूठना भी आना चाहिए !
      अपनो की आँख का पानी धीरे से पोंछना आना चाहिए !
      रिश्तेदारी और दोस्ती में कैसा मान अपमान ?

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