रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। कोरोना वायरस संक्रमण से शेल्टर होम में रहने वाले या बाल सुधार गृह में रहने वाले बच्चों को बचाने की दिशा में पहल शुरू कर दी गई है।
भारत सरकार ने इस संबंध में एक पत्र राज्य सरकार को भेजा है, जिसमें आदेश दिया गया है कि शेल्टर होम में रहने वाले बच्चों को उनके परिजनों को सौंप दिया जाए।
भारत सरकार के समाज कल्याण विभाग के द्वारा राज्य भर के सीडब्लूसी के पदाधिकारी व सदस्यों को इसकी ट्रेनिंग भी दी गई।
सुधार गृह में रहने वाले बच्चों पर दर्ज केस की समीक्षा कर उन्हें भी बाहर निकालने की प्रक्रिया शुरू होगी। किशोर न्यास बोर्ड व डालसा के द्वारा सुधार गृह में बंद बच्चों पर दर्ज केस की समीक्षा की जाएगी।
इसके बाद उनकी जमानत पर छोड़ने का फैसला लिया जाएगा, ताकि ये बच्चे संक्रमण से बच सकें। मंगलवार को राज्य भर के सीडब्लूसी के पदाधिकारियों व सदस्यों की ट्रेनिंग हुई।
ऑनलाइन ट्रेनिंग के जरिए सभी को बताया गया कि शेल्टर होम में रहने वाले या यहां से परिवार के पास भेजे जाने के बाद भी सीडब्ल्यूसी पूरी जिम्मेदारी निभाएगी।
दत्तक ग्रहण एजेंसी, खुला आश्रय गृह में बच्चों को सुरक्षित रखने के लिए ऑनलाइन या वीडियो सेशन करना होगा। जो बच्चे परिवार के पास भेजे जाएंगे, उनकी देखरेख टेलीफोन के जरिए की जाएगी।
बाल देखरेख संस्थाओं में निवासरत बच्चों एवं स्टाफ की समस्याओं के समाधान के लिए राज्यस्तर पर ऑनलाइन डेस्क भी बनेगा।
हिंसा की घटनाओं पर नजर रखें: आशंका जतायी गई है कि लॉकडाउन या कोरोना वायरस बीमारी के भय से तनाव व चिंता की स्थिति उत्पन्न हो सकती है।
ऐसी स्थिति में यौनजनित घटनाएं बढ़ने की आशंका जतायी गई है। वीडिया कांफ्रेंसिंग, व्हाट्सएप व फोन के माध्यम से समस्या घटनाओं पर नजर रखने की जिम्मेदारी भी सीडब्ल्यूसी की होगी।
किशोर न्यास बोर्ड सुधार गृह में बंद बच्चों को रिहा करेगा। जमानत पर उन बच्चों की रिहाई होगी, जिनकी रिहाई की स्पष्ट व वैध वजह हो। सुधार गृह में रहने वाले बच्चों के लिए परामर्श सेवाएं उपलब्ध कराने का आदेश भी दिया गया है।
किशोर न्यास बोर्ड को आदेश दिया गया है कि लॉकडाउन या कोराना संक्रमण के दौरान यौनजनित हिंसा न हो, इसके लिए लगातार सुधार गृह का निरीक्षण करें।