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    Thursday, April 25, 2024
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      बिहार राज्य उतराधिकारी संगठन ? 30 साल पहले सीएम ने सैरात भूमि पर रख दी आधारशिला !

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क। एक तरफ जहां पटना प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर राजगीर परिषदन में नालंदा के आला अफसरों के साथ लॉजिंग व हाउसिंग कमेटी का पुनर्गठन कर उसे सशक्त बनाने के दिशा में महती बैठक कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि के एक अतिक्रमणकारी कानून व्यवस्था की सरेआम धज्जियां उड़ा रहा था।

      rajgir land crime 2 राजगीर गौरक्षणी के समीप सुबह से ही कुछ मजदूर एक घेराबंदी की गेट पर खुदाई कर रहा था। लोग यह समझ नहीं पा रहे थे कि आखिर मलमास मेला की सैरात भूमि की चिन्हित भूमि पर हो क्या रहा है। बाद में जब वहां एक नया विवरण प्लेट लगाया गया तो उसे लेकर लोग दंग रह गये।

      अतिक्रमित घेराबंदी को स्वतंत्रता सेनानी अतिथिशाला का नाम दिया गया है। बिल्कुल नये इस नेम प्लेट में अंकित है कि इसकी आधारशिला तात्कालीन मुख्यमंत्री बिन्देश्वरी दुबे ने करीब 30 साल पहले 3 अप्रैल, 1987 को रखी थी।

      rajgir land crime 4जबकि यह एक कानूनी सच्चाई है कि मेला सैरात भूमि पर कोई सरकारी या गैर सरकारी निर्माण कार्य की आधारशिला नहीं रख सकते, चाहे वे वर्तमान, पूर्व या फिर भूतपूर्व सीएम ही क्यों न हों। सैरात भूमि की बिक्री या आवंटन या बंदोवस्ती का सबाल ही नहीं उठता है। क्योंकि धर्म, आस्था और विश्वास से जुड़े इन पहलुओं को राजा-महाराजाओं या आक्रांताओं ने भी न तो कभी छेड़ा है और न ही उसे संकुचित करने का जोखिम उठाया है।

      फिलहाल यह  2.85 एकड़ की यह सैरात भूमि, जिस पर चन्द्र भुषण प्रसाद , ज्ञान विकास पंडित, सुनील कुमार , अनील कुमार, गौरक्षणी  एवं शिवनंदन प्रसाद  ने अतिक्रमण कर रखा है, वह राजगीर मलमास मेला भूमि की सैरात पंजी में खसरा नंबर-5020  में दर्ज है।

      इस कथित स्वतंत्रता सेनानी अतिथिशाला के प्रबंधक ने खुद को बिहार राज्य उतराधिकारी संगठन का महासचिव बताया है। इसके पहले यहां कभी कोई बोर्ड या इस तरह का नेम प्लेट कभी नहीं देखा गया है। लोग समझ नहीं पा रहे हैं कि इस तरह के संगठन क्या मायने रखते हैं। बिहार राज्य उतराधिकारी संगठन का क्या औचित्य है।

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      सबसे बड़ी बात कि उक्त अतिक्रमित घेराबंदी के अंदर क्या होते हैं? किसी को कुछ पता नहीं है। जंग लगे गेट और उसको जकड़े घास-लतियां साफ बयां करती है कि उसे शायद ही खोला जाता रहा हो।

      आखिर राजगीर प्रशासन किसी ऐसे अतिक्रमणकारी की करतूतों का संज्ञान क्यों नहीं लेती है। उसके नाक नीचे इस तरह का गोरखधंधा खुल्लेआम कैसे हो रहा है?  …………  

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