ठेला पर डॉक्टर, यही है सुशासन-विकास का ‘मंगल’ राज !

0
300

विकास-सुशासन वाले बिहार के भागलपुर में स्वास्थ्य व्यवस्था की दुर्गति की तस्वीर आए अभी 24 घंटे भी नहीं हुए थे कि सुपौल में स्वास्थ्य व्यवस्था ठेले पर लदकर जाती दिखी है। बीते कल भागलपुर में एक शख्स को दवा दुकान में मौत के बाद ‘सुशासन-विकास’ क  ‘मंगल’ राज में ढंग से शवयात्रा तक नसीब नहीं हुई तो दूसरी तरफ आज गुरुवार को ठेले पर अस्पताल जाते डॉक्टर ने फिर से दिखा दिया कि बिहार सरकार का स्वास्थ्य मंत्रालय हाईटेक वायरस कोविड से ठेले पर ही जंग लड़ रहा है

पटना (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज डेस्क)।  ठेला पर कोविड केयर सेंटर पर डॉक्टर के जाने की ये तस्वीर बिहार के सुपौल जिले की हैं। यहीं के नगर पंचायत के वार्ड नंबर 12 में पब्लिक रेस्ट हाउस में कोविड केयर सेंटर बनाया गया है। वो सेंटर ठेले पर जा रहे डॉक्टर के ठीक पीछे दिख रहा है।bihar corona civid 19 crupt helth systm 1

अब ये सेंटर नगर पंचायत के वार्ड में है या किसी टापू पर, ये आप खुद तय कर लीजिए। लेकिन इतना तो तय है कि बिहार सरकार का स्वास्थ्य विभाग कोरोना से कैसे जंग जीतेगा, इस पर शक ही है।

कोविड केयर सेंटर में डॉक्टर अमरेंद्र की ड्यूटी लगी है। बीते मंगलवार को डॉक्टर अमरेंद्र जब हाल के दिनों की तरह ठेले पर जा रहे थे तो उनकी तस्वीरें कैमरे में कैद हो गई।

जब उनसे इस बारे में पूछा गया तो जवाब सुनकर ऐसा लगा कि मानों बिहार में 15-20 साल पुराना दौर वापस आ गया है। डॉक्टर अमरेंद्र के मुताबिक पिछले दो-तीन दिनों से कोविड केयर सेंटर के कैम्पस में घुटने भर से ज्यादा पानी जमा है।bihar corona civid 19 crupt helth systm 3

ऐसी हालात में ठेले के अलावा अंदर जाने का कोई दूसरा उपाय है ही नहीं। नर्स तक को अंदर जाने के लिए कोरोना से पहले इस गंदे पानी से जंगल लड़नी पड़ती है।

डॉक्टर अमरेंद्र के मुताबिक बारिश के बाद जमा हुए पानी के चलते सेंटर के दोनों मरीजों को पहले फ्लोर पर शिफ्ट कर दिया गया है। लेकिन सवाल ये है कि मरीज पहले कोरोना के संक्रमण से लड़ेगा या फिर इस गंदे पानी से फैलने वाले संक्रमण से। जवाब शायद सिस्टम के पास नहीं है।

बुधवार की दोपहर एक दुकान पर सांस की बीमारी की दवा लेने शख्स की मौत हो गई। दवा दुकानदार के मुताबिक उसे सांस का ही दौरा पड़ा था। दुकानदार ने भागलपुर से एसपी, कोतवाली थाने और कोविड-19 एंबुलेंस को भी फोन किया था। प्रशासन घंटों तक झांकने नहीं आया।

एंबुलेंस आई तो ये कहकर लौट गई कि ये कोरोना का केस नहीं है। अगर कोरोना का केस नहीं हो तो क्या बाजार में दर्दनाक मौत के शिकार किसी भी मृतक को एंबुलेंस तक मुहैया नहीं कराई जाएगी… हद है!

अब सवाल ये कि उंगलियां राज्य के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडेय पर ही क्यों उठ रही हैं? सवाल तो उठेंगे ही। विश्व की सबसे बड़ी महामारी में जंग लड़ने के लिए स्वास्थ्य विभाग ही फ्रंट पर है। लेकिन जिस जंग से डॉक्टरों को लड़ना है, उस जंग के मैदान में पहुंचना ही अगर जंग के बराबर हो जाए तो क्या सवाल नहीं पूछे जाएंगे। बिल्कुल पूछे जाएंगे।

bihar corona civid 19 crupt helth systmमंत्री जी, अभी भी चेतिए नहीं तो कोई ठीक नहीं है कि ‘मंगल’ राज में ऐसा अमंगल कहीं आपके साथ न हो जाए। ठीक वैसा ही अमंगल जो पटना की बरसात में राजेंद्र नगर में आपके डिप्टी सीएम के साथ हुआ था। समस्या आम और खास को पहचान कर थोड़े ही न आती है।

इस पर आरजेडी चीफ लालू प्रसाद यादव ने भी ट्वीट किया है। लालू ने लिखा है- ’15 वर्षों का सुशासन कथित विकास के प्रचार के बोझ तले इतना दब गया है कि कर्तव्यपरायण डॉक्टर साहब को ठेले में लद कर कोविड केयर सेंटर जाना पड़ता है। सुशासनी कोविड केयर को खुद केयर की सख़्त ज़रूरत है। विज्ञापन का हज़ारों करोड़ मूलभूत सुविधाओं में लगाते तो यह नहीं देखना पड़ता ना??’  

ठेले पर डॉक्टर के जाने का यह वीडियो सोशल मीडिया पर काफी वायरल हो रहा है। साथ ही यह वीडियो बिहार में स्वास्थ्य व्यवस्था की सारी पोल खोल रहा है।