“नालंदा का अपना एक गौरवशाली इतिहास रहा है। प्राचीन नालंदा विश्वविद्याल कभी जितना विश्वविख्यात रहा है, उतना ही जिले में नालंदा कॉलेज बिहार शरीफ का योगदान रहा है। लेकिन आज इस कॉलेज को मजाक बना कर रख दिया गया है…”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। सीएम नीतीश कुमार के अब तक के शासन काल में अगर सबसे अधिक दुगर्ति हुई है तो यहां शिक्षा की। एक ओर जहां प्रायः नेताओं के संरक्षण में प्राइवेट स्कूल-कॉलेज की शिक्षा के नाम पर लूट के अड्डे बने हैं, दूसरी तरफ सरकारी शिक्षण संस्थानों का बेड़ा गर्क हुआ है। वह भ्रष्टाचार का अड्डा दिख रहा है।
आज मगध विश्वविद्यालय की अंगीभूत नालंदा कॉलेज में बीए पार्ट- 2 की परीक्षा चल रही थी। परीक्षा का समय शाम 4 बजे से शाम 7 बजे निर्धारित था।
इस दौरान कॉलेज प्रबंधन की ओर ऐसी व्यवस्था की गई, जिसे देख किसी को भी चक्कर आ सकता है।
यहां सीधे कॉलेज के प्राचार्ज शैलेन्द्र कुमार के ईशारे पर परीक्षा में छात्रों के लिए खुल्लेआम चोरी और परीक्षक की सीनाजोरी की व्यापक व्यवस्था थी। प्रश्न पत्र पहले ही लीक कर दिए गए। परीक्षार्थी अंधेरे में मोबाईल टॉर्च की रौशनी में उत्तर पुस्तिका लिखते नजर आए।
इस ओर जब ध्यान दिलाया गया तो परीक्षक सरेआम परीक्षार्थियों को धमकी देते नजर आए कि थोड़ा सा भी बोले तो कॉपी मोबाइल ले लेंगे और चोरी नकल करने नहीं देंगे।
इस कॉलेज में पैरवी बल 16 साल से जमें प्राचार्य भी अपने इस व्यवस्था को उत्तम श्रेणी कहते रहे।
कहते हैं कि किसी के द्वारा यहां 14 मुन्ना भाई नकल करते पकड़े गए। लेकिन प्राचार्य ने अपनी स्वार्थपूर्ति करते हुए इसकी सूचना न तो विश्वविद्यालय को दी और न ही स्थानीय पुलिस-प्रशासन को।
इस कॉलेज में कुछ दिन पहले भी बिहार सरकार के आदेशो को ताक पर रख के एससी/एसटी का बीए और बीएससी के नामांकन में पैसा लिया गया और जब सत्तारुढ़ दल के ही एक छात्र संगठन नेता ने इसकी आवाज उठाई तो पैसा रिटर्न्स करने का नोटिस जारी किया।
इधर छात्र जदयू के वरीय नेता नवीन कुमार ने विश्वविद्यालय के कुलपति से मांग की है कि वर्तमान प्राचार्य के कार्य काल मे जो भी बिल का भुगतान हुआ है, उसकी जांच की जाए और प्रभारी प्राचार्य के पद से तुरंत हटा हटाकर कॉलेज में स्थायी प्राचार्य की नियुक्ति 26 जून से पहले की जाओ, ताकि पार्ट-1 की परीक्षा में ऐसा भ्रष्ट आलम न रहे।
बहरहाल, विश्वविद्यालय का स्पष्ट नियम आदेश है कि 40 परीक्षार्थियों पर एक परीक्षक रखा जाए, लेकिन यहां 55 से अधिक परीक्षार्थियों पर एक परीक्षक रखा गया, ताकि शैक्षणिक भ्रष्टाचार के एक बड़े रैकेट का खेल जारी रहे।