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    Thursday, April 18, 2024
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      है राजमणी देेवी का राज, लेकिन भाजपा नाराज !

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज (संतोष) । सरायकेला- खरसावां भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष के पद से हटाई गई राजमणी देवी को भाजपा ने कभी सम्मान नहीं दिया, उल्टा जब उनके प्रयासों से महिला मोर्चा मजबूत होकर उभर रही थी तो अचानक पार्टी ने उन्हें असंवैधानिक तरीके से पद से मुक्त करने का फैसला लेकर सबको चौंका दिया।

      बतौर राजमणी देवी पार्टी के इस फैसले से वे आहत जरूर हैं, लेकिन वो जानतीं हैं कि उनके मामले में पार्टी की नहीं बल्कि व्यक्ति विशेष की भूमिका अधिक रही है।

      उन्होंने बताया कि पार्टी में  कभी किसी पद की अभिलाषा लेकर नहीं आई थी, पार्टी का जब महिला मोर्चा कमजोर पड़ रहा था, तब उन्हें जबरन जिला अध्यक्ष का पद दिया गया था, लेकिन जैसे-जैसे महिला मोर्चा मजबूती के साथ उभरकर सामने आने लगा, उन्हें दरकिनार कर दिया गया।

      bjp rukmini deviवैसे राजमणि देवी को पद से हटाए जाने का पार्टी में भी अंतर्कलह साफ समझा जा सकता है, जिसे आने वाले दिनों में देखा जा सकेगा। हालांकि राजमणि देवी ने बताया कि उनका पार्टी छोड़ने या गुटबाजी करने का कोई इरादा नहीं है। अब वह अपना पूरा ध्यान अपने वार्ड के विकास और परिवार पर केंद्रित करना चाहती हैं।

      पार्टी में किसी जिम्मेवारी के सवाल पर उन्होंने साफ इनकार करते हुए कहा की अब कुछ भी नहीं रह गया है जिस पार्टी के लिए सब कुछ त्याग दिया उस पार्टी ने मेरी भूमिका को गौण कर दिया।

      भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष के नाते कभी मंच नहीं दिया गयाः  भारतीय जनता पार्टी महिला मोर्चा की जिला अध्यक्ष रहते राजमणि देवी को पार्टी के किसी कार्यक्रम में शायद ही किसी ने मंच पर देखा हो। राजमणि देवी हमेशा ही जमीन पर बैठकर पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेती रही और महिला मोर्चा को सशक्त बनाने का काम करती रही।

      वैसे इस सवाल पर पार्टी के बड़े नेता कभी कुछ भी बोलने की स्थिति में नजर नहीं आए। जब भी पार्टी के बड़े नेताओं से पूछा जाता वह टाल जाते। फिर भी राजमणि देवी के चेहरे पर कभी शिकन या पार्टी विरोधी काम करते नहीं देखा गया।

      क्या है मामलाः राजमणि देवी शुरू से ही अपने धुन में काम करने वाली नेत्री के रूप में जानी जाती रही। चाहे अपने वार्ड के विकास को लेकर हो या पार्टी के कार्यक्रमों में हिस्सा लेने को लेकर। जिला स्तर से लेकर राज्य स्तर तक के कार्यक्रमों में राजमणि देवी खुद अपने खर्च पर अपने साथ जुड़े महिला मोर्चा के सदस्यों को लेकर पहुंच जाती और पार्टी के निर्देशों का  पालन करने का काम करती रही।

      वैसे पार्टी के कुछ बड़े नेताओं को उनका सरल और काम करने का तरीका नागवार गुजरा। सबसे ज्यादा नागवार इस बात का हुआ कि उन्होंने कभी किसी बड़े नेताओं की चापलूसी नहीं की। कभी किसी का आधिपत्य स्वीकार नहीं किया। और यही उनके लिए सबसे ज्यादा आत्मघाती साबित हुआ।

      आदित्यपुर नगर निगम का तीन-तीन बार वार्ड पार्षद रही राजमणि देवी अपने वार्ड में काफी लोकप्रिय नेत्री के रूप में जानी जाती रही है। वैसे मामला नगर निगम चुनाव के दौरान ही गरमाया जब पार्टी की कुछ नेत्रियों को को उन्होंने निकाय चुनाव के दौरान पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल पाया और उनके खिलाफ कार्रवाई कर दी।

      जिसके बाद कुछ बड़े नेताओं को उनके द्वारा की गई कार्यवाई रास नहीं आई और उन्होंने पार्टी के कुछ नेताओं के साथ मिलकर बगैर संवैधानिक प्रक्रिया का पालन किए तुगलकी फरमान सुनाते हुए उन्हें पदमुक्त करने का फैसला कर लिया।

      हालांकि पार्टी के नेताओं ने उन्हें बड़ी जिम्मेदारी देने की बात कहीं है, लेकिन देखना यह दिलचस्प होगा कि क्या राजमणि देवी बड़ी जिम्मेदारी लेने को सामने आती हैं या नहीं!

      असर पड़ेगा पार्टी के जनाधार परः वैसे तो राजमणि देवी मजबूत जनाधार वाली नेत्री के रूप में जानी जाती रही है। अपने वार्ड में एक समर्पित नेत्री के रूप में उनकी छवि रही है।

      उन्होंने अपने वार्ड के लिए हर स्तर पर विकास का एक नया पैमाना स्थापित किया है। सभी वर्ग के लोगों में उनके प्रति श्रद्धा रही है।

      हाल ही में नगर निगम के चुनाव के दौरान लोगों को लग रहा था की राजमणि देवी की हार तय है। लेकिन उनके वार्ड की जनता ने उनके  पक्ष में अपना मत देकर यह साबित कर दिया की राजमणि देवी का मतलब सिर्फ और सिर्फ विकास है, जिसे नकारा नहीं जा सकता।

      किसी भी दल के बड़े नेता उनसे बड़े ही अदब से पेश आते हैं, और उनकी खिलाफत करने का दुस्साहस नहीं जुटा पाते। बल्कि उनके विकास में सहयोगी बन जाते हैं, और यही छवि उन्हें सबसे अलग कर देती है।

      इधर राजमणि देवी को पद से हटाए जाने का हर और चर्चा हो रहा है, कुछ संगठन तो खुलकर उनके समर्थन में सामने आ गए हैं। हो सकता है आने वाले चुनाव में पार्टी को इसका बड़ा खामियाजा उठाना पड़ सकता है।

      वैसे सरायकेला विधानसभा की अगर हम बात करें तो यहां जीत हार का अंतर बहुत ही मामूली होता है, ऐसे में अगर एक वर्ग नाराज हो गया तो साफ समझा जा सकता है कि ईसका पार्टी के सेहत पर क्या प्रभाव पड़ेगा।

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