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    Saturday, April 20, 2024
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      हैंडवाश योजना फेल, यूं बढ़ाई चापानल की ऊंचाई, फतांसी की हद

      “प्रायः स्कूलों में चापानल की उंचाई बढ़ाएं जाने से बच्चे काफी परेशान हैं बच्चे उंचाई में चढ़ कर चलाते हैं और कभी-कभी तो गिर भी जाते हैं…..”

      कोडरमा (काशिफ़ अख्तर)। बच्चों को स्वच्छ व निरोग रखने के लिए विधालय की व्यवस्था सुदृढ़ करने को लेकर एवं प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का स्वच्छ भारत मिशन का सपना पूरा करने के उद्देश्य से सभी विधालय में बच्चों के लिए हाथ धुलाई के लिए हैंडवाश बेसिन का निर्माण करवाया गया।

      परंतु मोदी जी का सपना तो पूरा नहीं हुआ, हां हैंडवाश बेसिन बच्चों के लिए नई मुसीबत बन कर सामने ज़रूर आ गई हैं। वह भी उन्हीं की मातहत पार्टी की सरकार में। जहां के विधायक शिक्षा मंत्री बने हुए हैं।kodarma education cruption 3

      बताते चलें कि सभी उच्च विद्यालय, मध्य विद्यालय व प्राथमिक विद्यालय में हाथ धुलाई के लिए हैंडवाश बेसिन बनया गया है।

      लेकिन हैंडवाश बेसिन योजना में बरती गई अनियमितता जिला प्रशासन एवं शिक्षा विभाग की पोल खोल रही हैं।

      जी हां लापरवाही और जनप्रतिनिधि पर बंदरबांट करने आरोप भी बराबर लगते रहा हैं।

      निर्माण कार्य में घटिया सामग्री का उपयोग किया गया हैं। पंचायत के मुखिया, विधालय प्रबंधन समिति अध्यक्ष एवं विधालय के प्रधानाध्यापक ने ऐसे लोग को अध्यक्ष और सचिव का चुनाव किया था, जो सिर्फ देखाने के लिए थे।

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      हालांकि, इस स्कूल में चापानल की जो ऊंचाई थी, अब उसे फजीहत होने के बाद कम कर दिया गया है….

      कोडरमा जिले के सैकड़ों सरकारी विद्यालयों में चापानल खाराब है। अगर बात ख़राब चापानलों की जाएं तो विभिन्न विधालय प्रबंधन के द्वारा कई बार विभाग को सूचना देने के बावजूद इस भीषण गर्मी में भी विभाग कि कानों पर जूं तक नहीं रेंगती।

      वहीं लगभग विद्यालयों में चापानल की उंचाई बढ़ाएं जाने से बच्चे काफी परेशान हैं । बच्चे उंचाई में चढ़ कर चलाते हैं और कभी-कभी तो गिर भी जाते हैं।

      सोचने वाली बात यह है कि राज्य के शिक्षा मंत्री डॉ नीरा यादव का जिला कोडरमा होने के बावजूद शिक्षा व्यवस्था में सुधार आई या नहीं आई।

      यह अलग विषय है, लेकिन विधालय में बच्चों को दी जाने वाली सुविधाओं को भी दरकिनार कर दिया गया है।

      वहीं हैंडवाश बेसिन योजना के नाम पर विद्यालय के चापानलों खराब कर दिया गया है। चाहे वह विद्यालय शहरी क्षेत्र में हो या ग्रामीण क्षेत्र में हो। लगभग सभी प्रखण्डो में स्थिति यही है।

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