“आश्रितों की सूची में भाई को रखा गया है, लेकिन बहन को इससे अलग किया गया है। बहन को अलग रखने का कोई आधार भी नहीं बताया गया है। बहन का नाम नहीं रहना लिंगभेद का मामला भी बनता है और इसे कानून की नजर में उचित नहीं माना जा सकता है और न संविधान की कसौटी पर……..”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। झारखंड हाई कोर्ट ने एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाते हुए मां-पिता और बहन को अनुकंपा पर नौकरी पाने का हकदार बताया है।
जस्टिस एचसी मिश्र और जस्टिस दीपक मिश्र की अदालत ने कहा कि कई कर्मचारियों की नौकरी के कुछ दिन बाद अविवाहित रहते हुए मौत हो जाती है। उस कर्मचारी पर उनके माता-पिता और बहन आश्रित रहते हैं।
यदि मां-पिता और बहन नौकरी की योग्यता रखते हैं तो उन्हें सिर्फ इस आधार पर नौकरी नहीं दी जा सकती कि उनके नाम कंपनी के आश्रितों की सूची में शामिल नहीं है।
अदालत ने मां, पिता और बहन को अनुकंपा की नौकरी पाने वाले आश्रितों की सूची से बाहर रखने को अन्यायपूर्ण एवं इस नियुक्ति योजना के उद्देश्य के विपरीत बताया है।
अदालत ने कहा कि सीसीएल की आश्रितों की सूची में पत्नी/पति, अविवाहित बेटी, बेटा और कानूनी रूप से गोद लिये गए पुत्र को रखा गया है। साथ ही नौकरी के लिए इस तरह का कोई प्रत्यक्ष आश्रित न हो तो भाई, विधवा बहन/ विधवा पुत्र वधु या मृतक के साथ रह रहे तथा उनकी कमाई पर ही पूरी तरह आश्रित दामाद के नाम पर विचार करने का प्रावधान है।
लेकिन इस सूची में वैसे माता-पिता, बहन के नाम पर विचार नहीं किया गया है, जो पूर्ण तरीके से अपने बेटे और भाई पर आश्रित हो। इसलिए इस सूची को उचित नहीं माना जा सकता है।
दरअसल, सीसीएल में कर्मचारी की मौत के बाद दो महिलाओं की ओर से अनुकंपा पर नौकरी के लिए आवेदन दिया गया था। एक कर्मचारी की मां थी और दूसरी बहन।
सीसीएल ने दोनों के आवेदन को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया कि मृत कर्मचारियों की सूची में वे शामिल नहीं हैं। इसलिए अनुकंपा के आधार पर उन्हें नौकरी नहीं मिल सकती।
इसके बाद दोनों ने उच्च न्यायालय की एकल पीठ में याचिका दायर की। एकलपीठ ने सुनवाई के बाद सीसीएल के आदेश को सही बताया और याचिका खारिज कर दी।
फिर दोनों ने खंडपीठ में अपील याचिका दायर की। इस पर सुनवाई के बाद खंडपीठ ने फैसला सुनाया।