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    Thursday, April 25, 2024
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      सूरजकुंड मेले में झारखण्ड के छऊ डांस की धूम

      सूरजकुंड। सूरजकुंड इंटरनेशनल क्राफ्ट मेला में दर्शकों का आगमन बढ़ता जा रहा है। इस वर्ष मेले का थीम स्टेट झारखण्डए मेले में आने वाले दर्शकों को अपनी कलाए संस्कृति और पारम्परिक रीतियों से रूबरू करा रहा है। झारखण्ड की थीम का प्रमुख हिस्सा कलाकारों द्वारा दिखाया जा रहा छऊ डांस है।

      आदिवासी परंपरा प्रकृति के बेहद करीब मानी जाती है जिसकी झलक छऊ डांस में भी देखने को मिलती है। इसके प्रदर्शन में भगवान्ए चिड़ियाँए शिकारीए तीर धनुषए फूल आदि का प्रयोग किया जाता है। जिनके प्रयोग से कलाकार अपने भाव और पटकथा को प्रदर्शित करता है। झारखण्ड में प्रचलित सराईकेला छऊ का इतिहास भी काफी रोचक है। सराईकेला की स्थापना 17 वीं शताब्दी के मध्य मानी जाती है। इसी भूमि को संगीत और नृत्य की भूमि भी बोला जाता है। छऊ का क्रियान्वयन अलग अलग अखाड़ों ;घरानोंद्ध द्वारा किया गयाए जो की नूरगढ़ अखाड़ाए राजेंद्र पटनायक अखाड़ा और अमीन सही अखाड़ा है। मूलतयः छऊ के प्रदर्शन में धनुष .बाणए तलवार. ढाल का प्रयोग किया जाता है जिससे की वीर रस या शौर्य का प्रदर्शन किया जा सके।  सूरज कुंड मेले में झारखण्ड के इस डांस फॉर्म पसंद किया जा रहा है। यहाँ प्रदर्शित करने वाले कलाकार में प्रमुख प्रभात कुमार महतो बताते है कि उनका ग्रुप विगत कई सालों से छऊ डांस प्रदर्शित कर रहा है। इस ग्रुप में कुछ ऐसे भी लोग है जो पिछले 30 सालों से पीढ़ी दर पीढ़ी यही कार्य करते आ रहे हैं।

      सराईकेला छऊ का सही मायने में प्रचार प्रसार वर्ष 1938 में माना जाता है। जिस समय श्री पन्ना लाल घोष ने इसका प्रदर्शन यूरोप में किया था। सराईकेला के लोग गर्वान्वित महसूस करते हैं कि उनकी कला को देश विदेश की कई जानी मानी हस्तियों द्वारा भी सराहा गया है। झारखण्ड सरकार ने इस कला के संरक्षण और बढ़ावा देने के लिए सराईकेला में ही एक संस्थान की स्थापना भी की है।

      सूरजकुंड मेले के झारखण्ड पवेलियन में हर दिन विशिष्ठ अथितियों का आगमन भी हो रहा है। मेले के छठे दिन पद्म भूषण श्री राजीव सेठी ने पवेलियन का अवलोकन किया। श्री राजीव सेठी देश के जाने माने डिज़ाइनरए पटचित्रकार और कला क्यूरेटर हैं। इनके सहयोग से ही कई भारतीय कलाकारों को अपनी कला प्रदर्शित करने का अंतरराष्ट्रीय पटल मिला है। इनके काम के लिए इन्हें वर्ष 1980 में संस्कृति अवार्ड और 2010 में इंदिरा गाँधी लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड ने नवाजा गया है। अवलोकन पश्चात श्री राजीव ने झारखण्ड पर्यटन द्वारा किये गए कार्य की सराहना की।

       

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