एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के हिलसा नगर में इस साल मुसलमान भाई मुहर्रम के मौके पर ताजिया जुलूश नहीं निकालेंगे। सभी मुसलमान भाईयों ने एक बैठक कर यह निर्णय लिया है।
उनका कहना है कि पिछले साल मुहर्रम में पुलिस-प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए बेमतलब ज्यादती की हद कर दी थी। एक अफवाह मात्र पर उसने चुन-चुन कर इस समुदाय के सभ्रांत लोगों पर एफआईआर दर्ज कर जेल भेज दिया था।
पुलिस उत्पीड़न के प्रायः शिकार लोग शांति कमिटि के लोग तो हुए ही थे, देश-विदेश के विभिन्न हिस्सों में रहकर अपनी गुजर-बसर करने वाले लोगों को भी नहीं वख्शा गया था।
मुस्लिम समुदाय का साफ कहना है कि पुलिस-प्रशासन पर उन्हें विश्वास नहीं है। उन्हें भय कि पिछले साल की कार्रवाई यहां फिर न दोहरा दी जाए। इसीलिए वे सब एकजुट होकर मुहर्रम ताजिया जुलूश नहीं निकालने का फैसला लिया है।
कहा जाता है कि पिछले साल मुहर्रम और दशहरा पर्व लगभग समान दिनों में मनाए जा रहे थे। उस समय प्रशासन ने दोनों समुदाय के लोगों पर जुलूश के दौरान डीजे नहीं बजाने के आदेश दिए गए थे।
इस आदेश के बाद दशहरा जुलूश में डीजे नहीं बजाया गया, लेकिन जब मुहर्रम जुलूश निकाला गया तो कुछ असमाजिक तत्वों ने उस दौरान डीजे बजाए जाने की अफवाह फैला दी।
इस अफवाह के बाद एक समुदाय विशेष से जुड़े कुछ कट्टर संगठन के लोग सड़क पर उतर आए और आपत्तिजनक नारे लगाने लगे। इससे माहौल बिगड़ गया।
इसके बाद फिर 3 दिन बाद वरीय प्रशासनिक अफसरों की पहल पर मुहर्रम जुलूश निकाले गए। लेकिन उसके बाद स्थानीय पुलिस-प्रशासन ने अपनी नाकामी छुपाने के लिए दोनों पक्षों से जुड़े लोगों पर मनमाने ढंग से प्राथमिकी दर्ज कर डाली और अनेक संभ्रांत लोगों को भी जेल काटनी पड़े।