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    Thursday, April 25, 2024
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      सुसाइड के पहले शिव ने SP, DGP, CM, PMO तक यूं लिखा था नोट

      सुसाइड के पहले शिव ने लिखा- मेरी 4 दीदी राखी से पहले खो रहीं हैं इकलौता भाई

      “शिव ने सुसाइड से करीब 6 घंटे पहले बुधवार की शाम 7.47 बजे उसने पीएमओ, डीजीपी, रांची पुलिस, एसएसपी, एसपी सिटी, आइजी मुख्यालय, आइजी सीआइडी (संगठित अपराध), आइजी निगरानी व मुख्यमंत्री झारखंड को ई-मेल कर सुसाइड नोट भेजा था।इन लोगों को भेजा था सुसाइड नोट। लेकिन कहीं से कोई त्वरित कार्रवाई नहीं हुई।”

      नमस्ते सर/मैम,

      suside ranchi 1 मेरा नाम शिव सरोज कुमार है और मेरी उम्र 27 वर्ष है। मैं धनबाद का रहने वाला हूं। मैं शनिवार को 12 बजे एयर एशिया की फ्लाइट से अपने पासपोर्ट के कुछ काम के सिलसिले में दिल्ली से रांची आया था। मुङो स्टे करना था, सो ओयो रूम के माध्यम से स्टेशन रोड स्थित होटल रेडिएंट में कमरा बुक कराया था। शाम करीब चार बजे मैं वहां चेक इन किया और मुझे कमरा नंबर 402 दिया गया। रात में करीब दस बजे के आसपास वहां कुछ लोग शराब पीकर हल्ला करने लगे तो मैंने उन्हें मना किया। इस पर वे लोग धमकियां देने लगे।

      RANCHI POLICE CRIME 1अगले दिन होटल वालों ने मुझे कमरा बदलवा दिया और कमरा नंबर 201 दिया। रविवार को मैं करीब रात के 10 बजकर 05 मिनट पर अपने रूम से डिनर के लिए बाहर गया, तभी मोड़ पर एक ब्लैक रंग की कार रुकी और मुझसे एवीएन प्लाजा का पता पूछा।

      मैं बताने के लिए उनकी तरफ बड़ा, फिर किसी ने मेरे मुंह पर हैंकी रख दिया और मुझे बेहोशी होने लगी। जब मुझे होश आया तो पीछे की डिक्की में खुद को पाया। मेरा एक फोन मेरे जींस में था, सो मैंने 100 डायल करके सूचना दी और अपने जीजा जी को कॉल करके सूचना दी।

      तभी मेरे हाथ से फोन ले लिया गया। उसके बाद मैं खुद को एक तालाब में पाया और जैसे-तैसे करके ऊपर की तरफ बढ़ा और कुछ बाइक से मदद मांगी। उसके बाद मुझे ज्यादा अच्छे से याद नहीं। उसके बाद मेरे साथ क्या हुआ, क्या नहीं, यह पता नहीं। मैंने खुद को महावीर अस्पताल में पाया। यह समाचार सभी समाचार पत्रों में निकला। बाद में मेरे पापा धनबाद से आए और मेरा इलाज कराने लगे।

      यह केस रांची के चुटिया थाने में दर्ज हुआ और यहां जो हमारे साथ हुआ, उसका दर्द बयां नहीं कर सकता। सोमवार को दो बजे अस्पताल से डिस्चार्ज लेकर हम थाने गए, ताकि होटल से अपना सामान लें, लेकिन वहां पता चला कि मेरे रूम का सामान सब बिखरा पड़ा था और चुटिया थाने के थाना प्रभारी अजय वर्मा केस हैंडल कर रहे थे।

      उनसे जब बात शुरू हुई तो ऐसा लगा ही नहीं कि एक थाना प्रभारी से बात हो रही थी। वे मां-बहन की गालियां दे रहे थे। बार-बार मारने की धमकी व जेल भेजने की धमकी मुझे व मेरे पापा दोनों को दे रहे थे। मुझसे होश में बयान लिये बिना उन्होंने क्या-क्या लिख दिया, पता ही नहीं चला।

      मेरी स्थिति अच्छी नहीं थी और रिपोर्ट में भी यह लिखा हुआ था कि मुङो कुछ दिनों तक रेस्ट चाहिए। पर थाने में किसी ने हमारी एक नहीं सुनी और दो बजे से वहीं पर बैठाए रखा कि डीएसपी सर केस हैंडल कर रहे हैं, सो वो आएंगे तो सामान मिलेगा आपको। बाद में सिटी डीएसपी थाने आए।

      उस टाइम मुझे लगा कि चलो सर डिसेंट हैं, वो अच्छे से हैंडल कर देंगे। लेकिन जब उन्होंने बोलना शुरू किया तो गालियों से ही बात हुई। मां-बहन की गाली। मेरे पापा से बस गलती ये हुई कि जब 100 डायल पर उन्होंने कॉल किया तो मुझे आइटी अफसर बताने की जगह घबराहट में आइबी अफसर बता दिया, क्योंकि रात एक बजे उन्हें उनके बेटे के मुसीबत में होने की खबर मिली थी और उस टाइम कैसा फील होता है, जब आपका अकेला बेटा हो और ऐसी स्थिति में हो।

       बस इसी बात को लेकर डीएसपी सर ने पापा को मेरे सामने मां-बहन की गालियां दी और उनका कॉलर पकड़कर धमकी देने लगे। बाकी सारे केस पर से फोकस चला गया, बस अब उस बात को लेकर अनुसंधान होने लगा। मैं पीड़ित था और मुझसे आरोपी की तरह व्यवहार किया जाने लगा।

      मेरे पापा के साथ वहां बहुत ज्यादा बदतमीजी हुई। हमें वहां दो बजे दोपहर से सुबह के सात बजे तक रखा गया। होटल के स्टाफ और मालिक भी आए थे, लेकिन मालिक बहुत जल्दी चले गए। मेरे सामने वहां के सिपाही होटल वालों से पैसे की सेटिंग करने लगे। हमारे साथ जानवरों जैसा व्यवहार किया गया। जैसे पीड़ित वो हैं और हम आरोपी।

      डीएसपी सर भी मेरी इंवेस्टिगेशन करने में लग गए। वो कॉल डिटेल्स निकाल कर मेरी दीदी और मेरे संबंध के साथ मेरे कनेक्शन को बताने लगे।

      पापा ने बोला कि वो मेरी बेटी है, तो बोले कि आप झूठ बोल रहे हैं, आपका बेटा यहां लड़की से मिलने आया था और पता नहीं क्या-क्या किया। देखते ही देखते वह पूरा केस ही मोल्ड करने लगे। मुझे व पापा को अलग-अलग बुलाकर बार-बार प्रताड़ित किया। गालियां दी, मारने की धमकी और जेल में डालने की धमकी दी।

      मेरे सामने मेरे पापा जलील होते रहे और मैं कुछ नहीं कर पाया। वो एक रिटायर्ड पर्सन हैं। बीसीसीएल धनबाद से 2017 में सेवानिवृत्त हुए हैं। पर उनके साथ जैसा व्यवहार किया गया है, उसे देखकर मुङो समझ आ गया कि आम लोग पुलिस से हेल्प क्यों नहीं लेना चाहते हैं। पब्लिक सर्वेट तो बस नाम के होते हैं, थाने में जो होता है, वह मुझे पता चल गया। वहां मेरे व पापा के साथ जानवरों जैसा सुलूक किया गया। सामान मेरी चोरी गई, दो फोन, गोल्ड रिंग, 10 हजार रुपये नकद, लैपटॉप।

      इसके बावजूद मेरे कमरे को नहीं खोला गया, ताकि मुझे पता चल सके। हमें बार-बार इंट्रोगेट किया जा रहा था कि हम अपना बयान बदल दें और होटल के ओनर को कुछ भी नहीं हुआ, बस उनके स्टॉफ को इंट्रोगेट किया गया।

      मेरे पापा बहुत ही सीधे इंसान हैं। आज तक पुलिस स्टेशन नहीं गए थे और मैं भी नहीं गया। पर कल रात जो हमारे साथ हुआ, उसके बाद से मेरी रूह कांप जाती है वहां जाने से। अब मैं जीना नहीं चाहता, जो मेरे सामने मेरे पापा के साथ हुआ है।

      आज मैं सुसाइड करने जा रहा हूं, क्योंकि मुङो पता है थाने में केस को पूरी तरह से चेंज कर दिया गया है और पीड़ित को आरोपी और आरोपी को पीड़ित बनाया जा रहा है। मुङो धमकी दी गई कि जेल भेज कर करियर बिगाड़ दिया जाएगा। मेरी पूरी फैमिली को कॉल करके परेशान किया गया। “

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