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    Friday, March 29, 2024
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      सीएम नीतीश के राजगीर में बड़ा घोटाला, पार्षद ने खोली कच्चा चिठ्ठा, निगरानी जांच की मांग

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालंदा के राजगीर नगर पंचायत कार्यालय में  विभिन्न सरकारी योजनाओं के फाइल चोरी होने के बाद जनप्रतिनिधियों के साथ अफसरों की कार्यशैली पर भी अँगुली उठना स्वभाविक है।

      नगर पँचायत के वार्ड 7के पार्षद अंजली कुमारी ने इस संबंध में करोड़ो के घोटाला के पूरे साक्ष्यों को  उजागर करते हुए कहा निगरानी विभाग से जाँच की मांग कर रही है।

      उन्होंने एक साजिश  के तहत सभी महत्वपूर्ण फाइलों की  चोरी की चोरी का आरोप राजगीर नगर पंचायत के उपाध्यक्ष पिंकी देवी के पति  अशोक राय पर लगाया है। जिसमें नगर अभियंता कुमार आनंद भी सम्मिलित हैं। उन फाइलों में वैसे फाइल भी गायब किया गया है। जो योजनाओं मे करोडों रुपये का लुट खसोंट किया गया है।

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      नगर पँचायत के वार्ड 7के पार्षद अंजली कुमारी……

      इन लोगों के माध्यमों से 11 सौ लीटर का डस्टबिन 25 पिस, जो प्रति पिस 40 हजार 2 सौ 54 रुपये खरीदा गया है। बाजार में इसका रेट प्रतिशत पीस 18 हजार रुपया है।

      हॉट डिप वोडी डस्टबिन 240 लिटर का 50 पिस  12 हजार 2 सौ 88 रुपये प्रति पिस खरीदा गया, जिसका बाजार का रेट प्रति मात्र 65 सौ रुपए पिस है। साथ ही ई-रिक्शा कचरा उठाव 6 पिस डेढ लाख रुपये प्रति पिस खरीदा गया था। जबकि बाजार का रेट मात्र 90 हजार रुपये प्रति पीस है।

      वहीं  ट्रैक्टर एक पिस 9 लाख 70 हजार रुपये मे खरीदा गया जो महज 7 लाख में आम आदमी को मिलता है। टैंकर स्टील वाटर जो 35 सौ लिटर का तीन पिस 5 लाख 75 हजार रुपये में खरीदा, जो कि बाजार में ढाई लाख रुपये में मिलता है।

      वहीं टैंकर स्टील वाटर 5 हजार लिटर का दो पीस, जो प्रति पिस 6 लाख 75 हजार खरीदा गया। जबकी मार्केट कीमत  3 लाख 50 हजार रुपये प्रति पीस है। एयर लिपट  इलेक्ट्रिक वर्क एक पीस, जो 27 लाख 53 हजार रुपये खरीदा गया, वह मात्र 13 लाख में मिलता है।

      फौक्सिंग मशीन एक पिस 6 लाख 84 हजार रुपये में खरीदा गया। जबकी इसका बजार का रेट मात्र 3 लाख 50 हजार रुपये है।cruption

      उन्होंने कहा कि यह नगर विकास विभाग के अधिकारियों एवं महालेखाकार को पत्र लिखा गया है ताकि पूरी निष्पक्ष जांच हो सके। सरकारी राशी का दुरुपयोग नही हो।

      उन्होंने कहा कि नगर पंचायत द्वारा गुम हुई फाइल में नगर कनीय अभियंता कुमार आनंद की भूमिका संदिग्ध है, क्योंकि कार्यालय के करोड़ो के विभागीय कार्य की अवैध निकासी उनके और उपाध्यक्ष पति के मिलीभगत से हुई है। 

      गलत प्राक्कलन बनाकर पिछले कुछ समय मे विभागीय कार्य के नाम पर विभिन्न योजनाओ से अवैध निकासी करोड़ो में की गई है। उसी तरह नगरपालिका के आंतरिक मद से विभिन्न कार्यो में प्राक्कलन की हेरा फेरी कर करोड़ो की निकासी हुई है।

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      वार्ड 11 के पछयरिया टोला में शिव मंदिर पर जलापूर्ति पर लाखों की निकासी की गई, जबकि वहां पूर्व से ही बोरिंग और समरसेबुल लगा हुआ था बाबजूद इसके  बिल की निकासी कर ली गई। विभागीय कार्य के नाम पर महज खानापूर्ति कर लाखो राशि गबन हुआ है।

      वहीं विभिन्न वार्डो में विभागीय योजना क्रियान्वयन करने के जगह अवैध निकासी की गई। यही वजह है कि सड़क, गली, नली के योजनाओं में गुणवत्ता का अभाव होने के बाबजूद नगर पँचायत बोर्ड द्वारा कनीय अभियंता के वेतन में लगातार करते हुए वृद्धि 15 हज़ार से 27 हज़ार की गई और प्रोन्नति के लिए भी नगर बोर्ड द्वारा अनुशंसा की गई।

      यदि नगर पँचायत के द्वारा क्रियान्वयन किये गए सभी टेंडर, विभागीय कार्य, खरीद की सभी योजनाओं की जांच हो तो सारा मामला से परत खुल सकता है।

      इधर फाइल चोरी घटना को लेकर नगर प्रबंधक राजमणि गुप्ता बड़ा हास्यास्पद बात की है। उनका कहना है कि  घटना की जांच पता चल रही है। अभी तक  कौन-कौन योजनाओं का फाइल चोरी हुई है, उसका अभी तक लिस्टिंग नहीं किया गया है।

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