“वेशक कुछ दिन पहले मीडिया की सुर्खियों में अपनी बदहाली समेटे सामने आई सोनम तंग सिस्टम की मार नहीं झेल सकी और भगवान को प्यारी हो गई………..”
एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क। सीएम नीतीश कुमार के मूल गांव कल्याण बिगहा (हरनौत,नालंदा) निवासी सोनम देवी अचानक मीडिया की सुर्खियां पा गई, जब वह अपने ईलाज के लिए दो मासूम बच्चों को बेचने को तैयार थी। उसे टीबी रोग होने के कारण पति छोड़ चुका था। गांव वाले उसे निकाल बाहर करने पर उतारु थे।
मीडिया की सुर्खियां के बाद प्रशासन सामने आई और उसके व उसके कुपोषित बच्चों के ईलाज की समुचित व्यवस्था करने की बात कही। लेकिन उसकी व्यवस्था कितनी जनोपयोगी साबित है, उसकी कलई खुल गई। वह अदद टीबी मरीज को भी न बचा सकी।
हालांकि ऐसे हालातों में अपनी नाकामियों को छुपाने के लिए सिस्टम के पास अंतिम दलील यही होती है कि मौत के कारणों की नई कहानी गढ़ लो। ताकि बुनियादि सुविधाओं के नाम पर जारी सरकारी खजाने से करोड़ों की लूट का भांडा न फूटे।
बीमारी से तंग हाल ही में जी रही सोनम देवी अपने बच्चे को बेचने की कोशिश की और बेचने के बाद मिलने वाली राशि से खुद का इलाज करने की बात कैमरे पर कही थी, लेकिन मीडिया कर्मियों की पहल पर इलाज तो शुरू हुआ लेकिन सरकारी स्वस्थ सेवा ढाक के तीन पात साबित हुआ।
सोनम का इलाज एक सफ्ताह भी नहीं चल सका और वो भगवान को प्यारी हो गयी। सोनम की मौत के बाद सबसे बड़ा सवाल कि उसके दो मासूम बच्चे को लेकर है, जिसे अभी यह भी पता नही की दुनिया क्या है। फिलहाल दोनों बच्चा को उसके परिवार के हवाले कर दिया गया है।
बकौल नालंदा डीएम योगेंद्र सिंह, प्रशासन की ओर से इलाज का पुख्ता व्यवस्था किया गया था। मगर अचानक उसकी तबियत ज्यादा खराब होने लगी तो उसे इलाज के लिए पटना भेजा गया, जहाँ रास्ते मे ही उसकी मौत हो गई।
इसके बाद उसके शव को उसके पति के हवाले कर उसका दाह संस्कार करा दिया गया और उसके दोनों बच्चों को भी उसके पति को सौप दिया गया।
सोनम 12 अगस्त से बिहारशरीफ अस्पताल में भर्ती थी। जिसे देखने कोई परिवार वाला नहीं पहुंचा। लेकिन सोनम की मौत होने के बाद उसके परिवार को ढूंढ लिया गया। यह भी एक विडंवना ही है।