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    Friday, April 19, 2024
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      सिलाव पशु हाट बाजार के पिछे भ्रष्टाचार का एक बड़ा खेला

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिले के राजगीर अनुमंडल कार्यालय एवं सिलाव नगर पंचायत कार्यालय की लापरवाही से हर साल करीब 6 लाख रुपये से उपर का सरकारी राजस्व का नुकसान होने का मामला प्रकाश में आया है।

      खबर है कि पिछले एक दशक से अधिक समय से उक्त दोनों कार्यालय के भ्रष्ट कर्मी बिना व्यवसायिक टैक्स के अवैध परितोष लेकर सिलाव पशु हाट का संचालन करवा रहे हैं। इसे तत्काल बंद कर दोषियों को दंडित करने के लिये सिलाव डीह निवासी जयकांत कुमार एवं पुरुषोतम प्रसाद द्वारा जिला लोक शिकायत निवारण कार्यालय में एक परिवाद-527310227041800021 दायर किया गया है।   

      SILAO PASHU HAT CRUPTION 1

      इस दायर वाद की सुनवाई के दौरान सिलाव नगर पंचायत के कार्यपलाक पदाधिकारी ने पत्रांक 433 दिनांक 06.06.2018 से प्रतिवेदित किया कि राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी के प्रतिवेदन पत्रांक 1242 दिनांक 11.06.2009 से रैयती भूमि पर वाणिज्‍यिक लगान लगाने पर रोक है।

      यह प्रतिवेदन बिल्कुल गलत और अत्‍यंत भ्रामक है। यदि रैयती भूमि पर व्‍यावसायिक लगान नहीं लगाया जाना है तो उस पर पशु हाट लगाने की अनुमति कैसे दी गयी। साथ ही प्रति वर्ष वसूली करने हेतु कोई अनुमति क्यों नही ली गई।

      जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी ने अपने अंतरिम आदेश में राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी को पुरे मामले की समीक्षा कर सुनवाई की अगली तिथि 11.07.2018 को प्रतिवेदित करने को कहा है।

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      बता दें कि सिलाव नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी द्वारा प्रस्तुत प्रतिवेदन में राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी के कार्यालय पत्रांक-1242, दिनांकः11.06.06.2009 में अंकित माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार रैयती भूमि पर वाणिज्यिक लगान लगाने पर रोक का हवाला दिया गया है।

      साथ ही यह भी सूचित किया गया है कि दिनांकः18.04.2011  के बोर्ड की बैठक में प्रस्ताव संख्या-05 में निर्णय लिया गया था कि ग्राम-रामनगर, वार्ड संख्या-03 निवासी श्री राजेन्द्र प्रसाद यादव, पिता-स्व. फते दास से पशु हाट की अनुज्ञप्ति शुल्क वर्ष 2007-08 से लिया जाये। अनुज्ञप्ति का नवीनीकरण प्रत्येक वर्ष 31 मार्च को करना होगा।

      सिलाव नगर पंचायत के कार्यपालक पदाधिकारी ने अपने प्रतिवेदन के साथ  अनुज्ञप्ति वर्ष 2007-08 से लेकर वर्ष 2018-19 तक के लिये गये शुल्क का एमआर रशीद एवं राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी का पत्र संख्या-1242, दिनांकः 11.06.2009 का पत्र एवं दिनांकः 18.04.2011 को बोर्ड की में लिये गये निर्णय की छाया प्रति संलग्न समर्पित किया गया है।

      उक्त प्रतिवेदन में सिर्फ माननीय उच्च न्यायालय के आदेशानुसार रोक की बात कही गई है, लेकिन उस आदेश की प्रति या संबंधित मामला-आदेश का परिप्रेक्ष्य का कोई उल्लेख नहीं किया गया है।

      इससे साफ जाहिर होता है कि राजगीर अनुमंडल कार्यालय और सिलाव नगय पंचायत की घालमेल से भ्रष्टाचार का एक बड़ा खेला हुआ है।  इस मामले में अनुमंडल कार्यालय-राजगीर व अंचल कार्यालय-सिलाव एवं नगर पंचायत सिलाव के भ्रष्ट कर्मी का उच्च स्तरीय आर्थिक अपराध के सरकारी अभिलेख का खुलासा हुआ है।  साथ ही तीनों कार्यालय के अधिकारियों की लापरवाही का भी खुलासा है। SILAO PASHU HAT CRUPTION 2

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