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    Friday, April 19, 2024
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      सावधान! मलमास मेला में जयरामपेशों का कायम है यूं अंधेरा

      अजीब हालात है नालंदा के राजगीर मलमास मेले की। बिजली नदारत। न सरकारी न कोई प्राईवेट  अपात व्यवस्था। सर्वत्र घुप अंधेरा। कौन है व्यवस्थापक। कौन है तारणहार। जबाब कोई नहीं।

      -: मुकेश भारतीय :-

      राजगीर मलमास मेला इस बार नैतिकता के पहलु पर मजाक बन गया। शासन-प्रशासन के सारे दावे खोखले नजर आये। मीडिया-वुद्धिजीवी सब हमाम में नंगे नजर आये।

      मीडिया में सिर्फ ढपोरशंखी संतों-साधुओं का प्रवचन स्पेस चाहिये। उसी के बीच उनका धंधा है। जनसरोकार से  इनको कोई लेना देना नहीं। वे कम से कम 3 साल की अपनी कोठी भरना चाहते हैं।

      यहां शराब के नशे में कुल 21 शराबी पकड़े गये। लोकिन कारोबारी समेत शराब बरामद नहीं हो सका। ये उनके लिये कोई खबर नहीं हैrajgr malmas mela crime 1

      थियेटरों में नग्न अशलीलता को  शराब के साथ  परोसा जाना आम बात है। राजगृह तपोवन तीर्थ रक्षार्थ पंडा कमेटी  के अध्यक्ष अवधेश उपाध्याय के पुत्र एवं वार्ड-13 के पार्षद ज्योति देवी के देवर भृगुपाल उपाध्याय का दबोचा जाना एक बड़े संकेत है।

      जिसे स्थानीय स्तर पर हर मुख्यधारा के अखबार या अन्य मीडिया प्रसारण ने सब कुछ जानते हुये भी नजरअंदाज कर दिया।

      सोशल साइट पर बातें खूब बड़ी-बडी, लेकिन नतीजा सिफर। जयराम पेशे वाले पूरे मेले में हावी। पुलिस-तंत्र की तमाम दावे खोखले। पर्यटकों की सुविधा-सहायता के प्रशासनिक खूब ढिंढोंरे। परिणाम ठीक उलट।

      कहां खर्च होते हैं सरकारी खजाने के पैसे। किसी पास कोई जबाव नहीं। शायद हमाम में सब नंगे। जिला प्रशासन, नगर पंचायत आदि सब अपनी आंख में अकवन की दूध डाले अंधमुद्रा में हैं।

      यहां कोई अपना चेहरा आयना में देखना नहीं चाहते। सब के सब वहीं अंडा-कचरा से सनी वैतरनी, सरस्वती आदि प्राचीन वैभवशाली अतीत में अपनी छवि चमकाने की जुगत भिड़ाये रहते हैं, जिसका हर वजूद अब वर्तमान में नाला में निहित हो चुकी है.

      राजगीर मलमास मेला सैरात भूमि पर काबिज अतिक्रमणकारी भू-माफिया पर किसी का कोई संज्ञान नहीं। दोषी करार लोग भी अठखेलियां करते रहे, पुलिस के नाक के नीचे। लेकिन किसी का है मजाल कि कोई जुर्रत दिखाये। उल्टे फर्जी केस  का प्लॉट बनाया गया, वह भी मेंबर ऑफ पार्लियामेंट के आंखो के सामने हुई आम बात को लेकर। पुलिस-प्रशासन सब निकम्मी। सिर्फ उल्टी कार्रवाई । सनातन, बौद्ध, जैन, इस्लाम, सिख आदि धर्मों का संगम पर ऐसी अकर्मण्यता मन-मस्तिष्क को झकझोर देती है।

      बहरहाल, हम बात कर रहे थे मलमास मेला के दौरान कायम अंधेरे की। चित्रों को देख कर बखूबी समझ सकते हैं कि इस दौरान जयरामपेशों का आलम क्या होगा। शासन-प्रशासन की भूमिका क्या होगी।

      कुंड पर से वीरायतन जाने वाली रोड में सरस्वती नदी पुल के पास नगर पंचायत के द्वारा एक भी लाइट का व्यवस्था नहीं किया गया है। जबकि ब्रह्मकुंड का निकास द्वार इसी रोड में पुल के आगे बनाया गया है। यहां रात्रि में पूर्णता अंधेरा रहता है

      इस अंधेरे को बरकरार रखने के पीछे किसका क्या मकसद हो सकता है, सब तिसरी आंख की जद में हैं। लेकिन इस आंख के जरिये देखने की फुरसत किसको है? सब ठीकरा जिला पुलिस कप्तान या जिला हाकिम पर तो नहीं फोड़ा जा सकता न?

      देखिये आलम ए मलमास मेला का वीडियो..

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