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    Friday, April 19, 2024
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      सरकारी बॉडीगार्ड-हथियार समेत मंजू वर्मा फरार, उधर सो रही सरकार !

      कानूनन मंजू वर्मा पर प्राथमिकी दर्ज होने के तुरंत बाद सरकार को पूर्व मंत्री को दिए गए सरकारी अंगरक्षकों को क्लोज कर लेना चाहिए था। चर्चा है कि मंजू वर्मा के घर प्रतिबंधित हथियारों के कारतूसों का जो जखीरा बरामद हुआ था, उसे भी उन्ही के अंगरक्षकों ने मुहैया कराए थे……”

      पटना (विनायक विजेता)। मुजफ्फरपुर अल्पावास गृह मामले के बाद चर्चा में आईं पूर्व समाज कल्याण मंत्री मंजू वर्मा फरार हैं। उनकी गिरफ्तारी के लिए बेगुसराय की अदालत ने अजामानतीय गिरफ्तारी का वारंट जारी कर रखा है।

      मंगलवार को मंजू वर्मा को हाइकोर्ट से भी राहत नहीं मिली। उच्च न्यायालय ने उनकी अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी थी। पर राज्य सरकार अपने इस पूर्व मंत्री पर किस कदर मेहरबान है, इसका स्पष्ट उदाहरण है फरार मंजू वर्मा के साथ अब तक रह रहे दो सरकारी अंगरक्षक।sleap nitish

      सुशासन और पारदर्शी सरकार का ढोल पीटने वाले नीतीश सरकार में कई ऐसे मामले पूर्व में हुए जब किसी राजनेता, विधायक या किसी वीवीआईपी पर हुए आपराधिक मुकदमे के बाद उनके सरकारी अंगरक्षक तुरंत वापस ले लिए गए।

      ताजा उदाहरण मोकामा विधायक अनंत सिंह का है। जब महागठबंधन सरकार के कार्यकाल में अनंत सिंह फुटुश हत्याकांड में जेल भेजे गए तो उनके सरकारी अंगरक्षक तो वापस ले ही लिए गए, उनके हाऊस गार्ड तक को क्लोज कर लिया गया। ऐसे कई और उदाहरण हैं।

      फिर मुख्यमंत्री और उनकी सरकार मंजू वर्मा मामले पर चुप्पी क्यों साधे हुए हुए हैं। गौरतलब है कि मुजफ्फरपुर कांड के बाद मंत्री पद गंवाने वाली मंजू वर्मा के बेगूसराय सिथत पैतृक आवास में जब सीबीआई ने छापेमारी की थी तो मंजू वर्मा के आवास से प्रतिबंधित हथियारों के दर्जनों कारतूस बरामद हुए थे।

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      जिसके बाद मंजू वर्मा और विवादों में घिरे उनके पति चन्देश्वर प्रसाद वर्मा पर बेगुसराय के एक थाने में प्राथमिकी दर्ज करायी गई थी। फरार मंजू वर्मा के साथ वही सरकारी अंगरक्षक हैं, जिन्होंने मंत्री पद पर रहते हुए मंजू वर्मा से उनके पति के बारे में सवाल पूछने पर पटना में मीडियाकर्मियों पर हमला बोल दिया था। इस हमले में कई मीडियाकर्मियों को चोटें भी आईं थीं। 

      यह दिगर बात है कि उस वक्त मीडियाकर्मियों की पिटाई हुई थी। अब नीतीश कुमार और उनकी सरकार की ‘नीति और नियत’ की अपरोक्ष रुप से पिटायी हो रही है।

      पुलिस के बड़े अधिकारी भी क्या करें। जो कुछ करना भी चाहते हैं तो बस इस मुहावरे को याद कर चुप हैं कि ‘बिल्ली उठा ले गई ऊंट को बोलो तुम्हें कुछ कहना है, अपने पद पर रहना है तो बस हां जी-हां जी करना है।’

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