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    Friday, April 19, 2024
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      संदर्भ हरनौत बर्निंग बसः जलती मानवता वनाम सेल्फी की टीस

      burning bus harnaut

      कुछ घटनाएं दिल को कचोट जाती है। हरनौत की दर्दनाक हादसा को ही लीजिये। मानव जल कर राख हो रहा था और मानवता सेल्फी लेने में मस्त थी। अगर अमुमन खड़ी भीड़ थोड़ी सी भी व्यस्त हो जाती तो घटना का स्वरुप शायद इतना बड़ा न होता।

      अब तक हरनौत बर्निंग बस से जुड़े जिस तरह के फोटो और वीडियो वायरल हुये हैं, उसे देख समझ में नहीं आता है कि हम किस दिशा में जा रहे हैं।

      आज प्रायः हर कोई एंड्रॉयड, किटकैट, लालीपॉप सिस्टम बेस मोबाईल जरुर रखता है। जिसे वे हर अच्छी-बुरी चीज को बतौर ईमेज-वीडियो सहेजने के हरसंभव प्रयास करता है। उसे अपने हाथ में उपलब्ध इंटरनेट के जरिये ब्रेकिंग वायरल करने में आनंदित हो जाता है। उन्हें अपना सामाजिक कर्तव्य तो दूर मानवता तक का ख्याल नहीं रहता। सेल्फी के प्रचलन ने तो और भी बेड़ा गर्क कर रखा है।

      कितनी दुःखद बात है कि हरनौत बर्निंग बस के साथ सेल्फी। जिंदा जल रहे मानव के साथ सेल्फी। जल कर राख हो रहे शवों के साथ सेल्फी। वह भी दांत निपोड़ते हुये। मानो कि वह इतिहास रचने जा रहा हो। उन्हें अपनी ऐसे सेल्फी को सोशल माध्यमों पर शेयर करते शर्म भी नहीं आती।

      कई लोग बताते हैं कि अगर सेल्फीबाज भीड़ थोड़ी सी भी मानवता दिखाती तो इतने लोग जलते-मरते-राख नहीं होते। अगर फौरिक तौर पर बस के शीशे तोड़ दिये जाते, आसपास के देहाती जुगाड़ भी लोग अपनाते तो मंजर इतना दर्दनाक नहीं होता। बस सेल्फीबाजों के प्रति यही टीस मन-मस्तिष्क को बेचैन कर डालती है।

      ईश्वर हरनौत बर्निंग बस के शिकार निरीहों की आत्मा को शांति प्रदान करे और गंभीर मौकों के कवरेबाज-सेल्फीबाजों को सदवुद्धि। इसी प्रार्थना के साथ आपका…..मुकेश भारतीय

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