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    Thursday, March 28, 2024
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      ‘व्यापमं’ की राह पर ‘सृजन’, एक और आरोपी की मौत

      “सृजन का कारोबार देखने वाला नवीन तब बीमार पड़ गया, जब उसे पता चला कि बैंक को पैसे देने के नाम पर विपिन शर्मा आनाकानी कर रहा है। उसे एहसास हो गया था कि अब घोटाला उजागर हो जाएगा। अचानक उसे दिल का दौरा पड़ा।”

      भागलपुर। बिहार के 700 करोड़ के बहुचर्चित सृजन घोटाले की जांच चल ही रही है, इस बीच एक और शख्स की मौत की बड़ी खबर है। सृजन महिला विकास सहयोग समिति की सचिव रहीं मनोरमा देवी और पूर्व भाजपा नेता विपिन शर्मा का वह बहुत खास था और उनके कई राज जानता था।

      मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 20 दिन पूर्व हाजीपुर के रहने वाले नवीन को दिल का दौरा पड़ने के बाद भागलपुर के जवाहर लाल नेहरू मेडिकल कॉलेज अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां उसकी मौत हो गई थी। घोटाला उजागर होने के बाद नवीन के साथ काम करने वाले दीपक और प्रशांत अंडरग्राउंड हो गए हैं। घोटाले की जांच में जुटी पुलिस उनकी भी तलाश कर रही है।

      मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, सृजन से जुड़े लोगों का कहना है कि मनोरमा देवी और विपिन शर्मा की हर गतिविधियों की जानकारी नवीन को रहती थी। वह शुरुआत से मनोरमा देवी के साथ था। उसे इस बात की जानकारी रहती थी कि कौन चेक कहां से आया है, कहां जमा करना है, किसे कितने रुपये देने हैं, किसके पास कितने रुपये बकाया हैं, कौन-कौन से लोग सृजन से खास रूप से जुड़े हैं?

      विपिन शर्मा के मनोरमा के काफी निकट आ जाने के बाद नवीन उसका भी खास बन गया था। नवीन का करीबी था दीपक और दीपक का करीबी था प्रशांत। इस तिकड़ी के पास घोटाले की सारी जानकारी इकट्ठा थी। दीपक और प्रशांत के पास 24 घंटे लैपटॉप रहता था। इस लैपटॉप में सृजन के शुरुआत से लेकर घोटाला उजागर होने तक की पूरी जानकारी है।

      मनोरमा या विपिन के कारोबार का हिसाब-किताब दीपक और प्रशांत के लैपटॉप में है। संकट में फंसने के बाद उबारने का काम नवीन करता था। मनोरमा की मौत के बाद टूट गया था नवीन।

      कहा जा रहा है कि फरवरी में मनोरमा देवी की मौत के बाद नवीन को यह एहसास हो गया था कि सृजन का कारोबार अब ज्यादा दिनों तक चलने वाला नहीं है। सृजन का कारोबार देखने वाला नवीन तब बीमार पड़ गया, जब उसे पता चला कि बैंक को पैसे देने के नाम पर विपिन शर्मा आनाकानी कर रहा है। उसे एहसास हो गया था कि अब घोटाला उजागर हो जाएगा। अचानक उसे दिल का दौरा पड़ा। इसके बाद परिवार वालों और सृजन के सहयोगियों ने उसे अस्पताल में भर्ती कराया, जहां उसकी मौत हो गई। उसके मौत के कुछ दिन बाद ही सृजन घोटाला उजागर हो गया।

      बता दें कि इससे पहले  आरोपी महेश मंडल की रहस्यमयी तरीके से मौत हो गई। वे किडनी और कैंसर की बीमारी का इलाज करा रहे थे। महेश की गिरफ्तारी एक सप्ताह पहले भागलपुर से हुई थी, हालांकि गिरफ्तारी के बाद भी उनका इलाज एक अस्पताल में चल रहा था। परिवारवालों का आरोप है कि महेश की मौत जेल और पुलिस की लापरवाही का परिणाम है।

      महेश जिला कल्याण विभाग में थे और इस घोटाले के सामने आने के बाद उन्हें निलंबित कर दिया गया था। गिरफ्तारी के बाद महेश ने अपनी संपत्ति का जो ब्योरा दिया था वह काफी चौंकाने वाला था। उनके गांव में डेढ़ एकड़ का विशाल घर मिला था, जिसकी चर्चा है कि हर कमरा न केवल वातानूकुलित है, बल्कि बाथरूम में भी एयरकंडीशन लगा है। महेश का बेटा शिव मंडल जनता दल यूनाइटेड का भागलपुर इकाई का युवा विंग का अध्यक्ष था और इस मामले के प्रकाश में आने के बाद उसे भी पार्टी से बाहर कर दिया गया।

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