एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क (एक पाठक)। भारतीय प्रशासनिक सेवा के युवा अधिकारी और नालन्दा के डीएम योगेंद्र सिंह अपनी कार्य शैली से लोगों के बीच बेहद चर्चित हैं। नालन्दा से पहले वह शेखपुरा जिले में डीएम के रूप में अपनी कार्यशैली को लेकर लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय बने हुए थे।
लेकिन मात्र आठ महीने के छोटे से कार्यकाल में उनके कार्यों को देखते हुए बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिला नालन्दा का डीएम बनाया गया।
इसके पहले योगेंद्र सिंह पश्चिम चंपारण के डीडीसी भी थे। 2013 बैच के आईएएस अधिकारी पटना सिटी के एसडीएम भी रह चुके हैं।
सरकार ने पहली बार डीएम की जिम्मेवारी देकर इन्हें शेखपुरा जिला भेजा था। अपने छोटे कार्यकाल में ही यह शेखपुरा जिलावासियो में बेहद लोकप्रियता हासिल की।
योगेंद्र सिंह ने 2012 में सिविल सर्विस परीक्षा पास की थी। उन्होंने ऑल इंडिया में 28वां स्थान प्राप्त किया था।
वे ओबीसी कैटेगरी से आते हैं। योगेंद्र सिंह ने पहली बार डीएम के तौर पर शेखपुरा की कमान संभाला और विकास की कहानी गढ़ी।
बेपटरी हुए जिले के विकास की रफ्तार को वह प्रशासनिक महकमे को चुस्त -दुरुस्त कर भरसक पटरी पर लाने की कोशिश की। नालंदा में भी वे ठीक वैसे ही प्रयास में जुटे हैं।
31 साल के युवा और तेजतर्रार IAS अधिकारी योगेंद्र सिंह अपने पारदर्शी कार्यशैली के लिए जाने जाते है। लोगों से सीधे मिलने और उनकी बातों को सुनने की कला उन्हें जमीनी हकीकत से हमेशा रूबरू कराता रहता है।
लोगों से मिले फीडबैक विकास कार्यों को गति देने में उनकी इस कार्यशैली सफल बनाती है। भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की नीति को लागू करना लोगों के बीच बेहद लोकप्रिय बना रहा है।
किसी भी तरह की जानकारी देने पर तुरंत इसका जबाब देने की कार्यशैली आम जन के बीच लोकप्रियता दिलाई है।
युवा तेज -तर्रार डीएम ने औचक निरीक्षण से अधिकारियों की मनमानी पर कसा शिकंजा कस दिया है।
विकास कार्यो की जमीनी हकीकत को देखने लगातार स्थलों पर पहुंचना उन्हें विकास कार्यों की हकीकत से रूबरू कराती है।
कब किस कार्यालय का औचक निरीक्षण हो जाय इसका किसी को भनक भी नहीं लग पाता है।
अचानक कार्यालय का औचक निरीक्षण किये जाने से उस विभाग में चल रहे काम काज की जमीनी हकीकत भी सामने आ जाती है।
उसे दुरुस्त करने के लिए अधिकारियों के खिलाफ कड़ी कठोर कार्रवाई करने से भी नहीं रुकते।
डीएम के इस सख्त कार्यशैली से सभी विभाग के अधिकारी अपनी कार्यशैली में सुधार लाना ही अच्छा समझते हैं और जिले के मुखिया के अनुरूप कामकाज को करने में अब जुटे दिखने लगे हैं