अन्य
    Thursday, April 25, 2024
    अन्य

      लज्जा नहीं आती…. ?

      -: मुकेश भारतीय / एक्सपर्ट मीडिया न्यूज नेटवर्क :-

      कुछ सूचनाएं मन-मस्तिष्क को अंदर से झकझोर देती है। समाज और व्यवस्था के प्रति घृणा-चिढ़ भाव उत्पन्न करती है। हम यह नहीं कहते कि समाज में मानवता को शर्मसार कर देने वाली घट रही घटनाएं सिर्फ पुलिस की निष्क्रियता के परिणाम हैं।

      LAJJA 2लेकिन बात जब कुछेक की लापरवाही की होती है तो सीधी उंगली उठनी स्वभाविक है। यह दीगर बात है कि उंगली उठाने के दौरान तीन उंगलियां खुद हमारी तरफ स्वतः उठ जाती है, उस सच्चाई को हमें भी स्वीकार करनी चाहिए।

      बीते देर शाम हमारे पास दो पुष्ट सूचनाएं आई। अमुमन ऐसी सूचनाएं आती रहती है। लेकिन इन दो अलग-अलग वारदातों में एक समान सूचना यह रही कि पुलिस ने सुसमय अपना काम नहीं किया।

      जाहिर है कि पुलिस की इस अकर्मण्यता में समाज के हर तबके लोग शामिल हैं। मीडिया के लोग भी बच नहीं सकते। चाहे इसके कारण जो भी रहे हों, वे भी जानबूझ कर अनदेखी अपनाई।

      पहली सूचना बिहार के सीएम नीतीश कुमार के गृह जिले नालंदा के हिलसा थाना क्षेत्र की है। पुलिस अकर्मण्यता से पीड़ित एक युवती ने अधिवक्ता के जरिए कोर्ट की शरण ली है।

      युवती का आरोप है कि जब वह अपनी बहन के साथ से बाहर मिट्टी लाने गयी तो वहां पहले से मौजूद एक युवक आया और मनमानी करने की कोशिश की। युवती ने जब इसका विरोध किया तो युवक द्वारा तरह-तरह का प्रलोभन दिए गए। अंतिम शादी का प्रस्ताव रखा गया।LAJJA 0

      इसके बाद युवती युवक के झांसे में आ गई और अपनी बहन को साथ लेकर युवक के साथ गांव से टेम्पो से हिलसा पहुंची। फिर बस से तीनों पटना चले गए। वहां मेंहदीगंज इलाके में स्थित अपने घर में युवक ने दोनों बहनों को बंद कर दिया।

      फिर रात में युवक पहुंचा और छेड़छाड़ करने लगा। युवती द्वारा विरोध जताने पर जबरदस्ती दुष्कर्म किया। फिर सुबह में सौ रुपये भाड़ा देकर युवती तथा उसकी बहन को हिलसा वापस बस पर चढ़ा दिया।

      घर पहुंचने के बाद घर पहुंची युवती ने सारी आपबीती परिवारवालों को सुनाया। परिवार वाले युवती को लेकर हिलसा थाना गए। जहां उसे 3 दिन तक रखा गया और फिर यह कहकर उसे महिला थाना भेज दिया गया कि यहां रेप का केस नहीं होता है।

      इसके बाद युवती परिजन समेत बिहार शरीफ महिला थाना पहुंची। लेकिन वहां भी उसकी पीड़ा को अनसुनी करते हुए डांट-डपट कर भगा दिया गया। अंततः थक-हार कर युवती हिलसा न्यायालय में शिकायत दर्ज कराई है।

      दूसरी वारदात सीतामढ़ी जिले के कन्हौली थाना क्षेत्र स्थित एक गांव की है। यहां आठ युवकों ने दो नाबालिग सगी बहनों के साथ रेप की वारदात को अंजाम दिया।

      आरोपी बदमाश दोनों बहनों को गांव के ही खेत में लेकर चले गए। वहां पीड़िता बहनों का हाथ पैर बांधकर आरोपियों ने बारी बारी से रेप की वारदात को अंजाम दिया।

      LAJJA 1

      यही नहीं आरोपियों ने दुःशासन को मात देते हुए दुष्कर्म की अश्लील वीडियो भी बना डाला। इसके बाद बहनों को वीडियो वायरल करने की धमकी देकर ब्लैकमेल करना शुरू कर दिया था।

      जब पीड़िता बहनें पुलिस से मदद की गुहार लगाने थाने पहुंची तो एससी-एसटी थाने का मामला कहकर भगा दिया गया।

      कहते हैं कि पीड़िता बहनें जब न्याय की गुहार लगाते हुए सीतामढ़ी एससी-एसटी थाने पहुंची तो वहां कहा गया कि थानेदार साहब अवकाश पर हैं।

      तीन दिनों पीड़िताएं थाने की चक्कर काटती रहीं, लेकिन दरिंदों की तरह पुलिस भी हैवान बनी रही।

      फिर यहां से पीड़िताओं को महिला थाने भेज दिया गया। इसके बाद पीड़िता वीडियो फुटेज लेकर महिला थाने पहुंची। यहां महिला पुलिस ने एक्शन लेते हुए पीड़ित बहनों को मेडिकल जांच के लिए भेजा।

      महिला थाना पुलिस के अनुसार दोनों ही बहनें अपने घर में मां के साथ रहती हैं। उनके पिता दूसरे राज्य में रहकर परिवार का खर्च चलाते हैं। जब घर पर मां नहीं थी तो आठ शख्स पहुंचे और जबरन बहनों को उठा ले गए। एक युवती की उम्र 14 और दूसरी युवती की उम्र 16 वर्ष है।

      यदि हम दोनों वारदातों का अवलोकन करें तो एक बात साफ तौर पर स्पष्ट होती है कि नालंदा जिले में जिस तरह के चरित्र का प्रदर्शन हिलसा थाना पुलिस और बिहार शरीफ महिला थाना पुलिस ने किया। ठीक वैसा ही चरित्र का प्रदर्शन कन्हौली थाना और सीतामढ़ी एसटी/एससी थाना पुलिस ने किया।

      यहां सवाल उठाया जा सकता है कि क्या थाना पुलिस का रेप की घटनाओं पर संगीन होना कोई जरुरी नहीं है। महिला थाना या एसटी/एससी थाना सिर्फ पुलिस अफसरों को तोंद फुलाने और चर्बी बढ़ाने के लिए बनाई गई है।

      लेकिन उससे अहम सवाल यह है कि मीडिया, समाज, राजनीति आदि सेवा से जुड़े लोग क्या इस दौरान ऐसी अमानवता से अनभिज्ञ रहे? नहीं। बिल्कुल नहीं। सबको जानकारी थी। लेकिन उसमें कुछेक लोग सामने आए भी तो पीड़िता की सहायता के लिए नहीं, बल्कि आरोपी दरिंदों की पैरवी करने। क्योंकि उसमें भी गंदी कमाई का विकेन्द्रीकरण निहीत होता है।   

      संबंधित खबरें
      error: Content is protected !!