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    Thursday, March 28, 2024
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      लकड़ी तस्करों ने राजगीर विपुलगिरी पर्वत पर लगाई आग, प्रशासन खामोश

      एक्सपर्ट मीडिया न्यूज। नालंदा जिले के अंतर्राष्ट्रीय मनोरम स्थल  राजगीर से एक बड़ी खबर आ रही है कि वहां के विपुलगिरि पहाड़ी पर भयंकर आग लग गई है। इस आग में भारी क्षेत्रफल में दुर्लभ जड़ी बुटी और पेड़ पौधे जल कर राख हो गये हैं। उधर राजगीर प्रशासन इस अग्नि को लेकर बेपरवाह है। इस भीषण अग्नि पर काबू करने के लिये अब तक प्रशासन की ओर से कोई पहल किये जाने की कोई सूचना नहीं हैं।

      यह आग कैसे लगी है ,यह अभी अधिकारक पुष्टि नही हो पाई है। लेकिन यह प्रबल आशंका व्यक्त की जा रही है कि इशमे जंगल माफियायो का हाथ है, जो कीमती लकड़ी का अवैध कारोबार में संलिप्त है। इसमें पुलिस प्रशाशन की भूमिका भी संदिग्घ बताई जाती है, जिनकी खु संरक्षण प्रापत है।rajgir agni crime1

      जानकार बताते हैं कि ऐसा हर साल होता आ रहा है। लेकिन सरकारी तंत्र सब कुछ जानते हुये भी कोई ठोस कार्रवाई नहीं करता क्योंकि इस अवैध कमाई में सब घुले मिले है।

      भीषण आग की लौ साफा स्पष्ट करती है क् यह आग कसी प्राकृतिक तरीके से स्वतः नही लगी है, बल्कि, लकड़ी माफियाओं द्वारा लगाई गई है, जो वन विभाग के करींदो के बल करोड़ों के अवैध लकड़ी का कारोबार का काला धंधा करते हैं।  

      उधर हमारे अधिकृत एक्सपर्ट मीडिया वरीय संवाददाता की खबर है कि पर्यटन नगरी राजगीर में यह अजूबा है या रहस्य चमत्कार है या भ्रष्टाचार ठंड में भी कुंड का पानी सूख जाना बावजूद महज 24 घंटे में पुनः कुंड में पानी आ जाना ऐसा भ्रामक बातें आखिर सुशासन बाबू के गृह जिले में ही होती है।

      अभी गर्मी तपने को बाकी है कि राजगीर के प्रसिद्ध कुंड सूख जाते हैं वही आज सायं करीब 6 बजे से सूरजकुंड के ही बगल के पहाड़ विपुल गिरी पर अचानक आग की लहरें नजर आई और यह आग देर रात्रि तक लगा हुआ है। आग की लपटें से पहाड़ पर मौजूद प्राकृतिक जड़ी बूटी जलकर राख हो गए ।

      आखिर सवाल उठता है कि राजगीर में यह चमत्कार है या भ्रष्टाचार दबी जुबान से लोग कहते हैं की लकड़ी माफियाओं के द्वारा आग लगाया जाता है. वहीं इस विपुल गिरी पहाड़ पर आग लगना कोई नई बात नहीं है इस पहाड़ पर प्रत्येक वर्ष आग की लपटें नजर आती है। मगर हल्की-हल्की ठंड की सिहरावन रहने के बावजूद भी पहाड़ पर आग लग जाना एक रहस्य है या भ्रष्टाचार ?

      जैसा लगता है कि षड्यंत्र में शामिल लोग यह भी नहीं कह कर बच सकते है की आग दो पत्थर के टुकड़े के आपस में टकराने लगा है क्योंकि अभी इतनी अच्छी से धरती भी नहीं तबती है? तब तो जेष्ठ महीने के गर्मी की दुपहरी में पूरा पहाड़ ही जल जाएगा. प्रशासन भी इसके पीछे किसी तरह का कोई ध्यान देने से कतराती है।

      जबकि इन्हीं पंच पहाड़ी और गर्म जल के कुंड के कारण राजगीर अंतरराष्ट्रीय पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है, जब यह सब प्रकृति प्रदत्त आकर्षक चीजें विलुप्त हो जाएंगी तो आखिर राजगीर में बचेगा ही क्या पर्यटक यहां फिर किस दृष्टिकोण से आएंगे।

      ऐसे में सुशासन बाबू को अपने नालंदा प्रशासन से कहना चाहिए था की राजगीर की गरिमा को बचाए रखने के लिए पर्यटन नगरी राजगीर को माफियाओं के हाथों से छुटकारा दिलाया जाए। प्राचीन मान्यता है कि यहां मलमास मेले के दौरान 33 करोड़ देवी देवताओं का निवास होता है लेकिन अब जगीर भूमाफिया खनन माफिया लकड़ी माफिया कहें तो माफियाओं का अड्डा बना हुआ है।

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