राजगीर एसडीओ की यह लापरवाही या मिलीभगत? है फौरिक जांच का विषय
नालंदा (ब्यूरो न्यूज)। विश्व प्रसिद्ध नालंदा जिले के राजगीर नगर में पुरातन सांस्कृतिक, धार्मिक व ऐतिहासिक विरासत को हड़पने वाले सफेदपोशों के प्रति शासन-प्रशासन के लोग लापरवाह ही नहीं हैं अपितु, उनकी मिलीभगत के प्रमाण भी सामने आये हैं।
यह बात स्पष्ट हो गई है कि राजगीर मलमास मेला की जमीन से लेकर अन्य कई क्षेत्रों में सरकारी भूमि पर अनेक लोगों ने कब्जा कर अपनी व्यवसायिक अट्टालिकाएं खड़ी कर ली है। और अब यहां जो सब हो रहा है, वह प्रशासनिक जानकारी में हो रहा है।
राजनामा.कॉम के पास इस तरह के पक्के दस्तावेज उपलब्ध कराये गये हैं, जो यह चीख-चीख कह रहा है कि इसमें प्रशानिक महकमा पूरी तरह से संलिप्त है या फिर सफेदपोशों के आगे नतमस्तक है।
एक वादी ने नालंदा जिला लोक शिकायत निवारण पदाधिकारी की न्यायालय में 24 जनवरी,2016 को यह परिवाद दर्ज किया था कि राजगीर मलमास मेला सैरात की भूमि पर नियम-कानून को ताक पर रख कर बिजली कनेक्शन देने वाले कार्यपालक पदाधिकारी, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग-राजगीर, टेलीफोन कनेक्शन देने वाले जेटीओ-राजगीर एवं इनमें शामिल अन्य सभी दोषी लोगों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई सुनिश्चित करवाई जाये।
इस वाद को लेकर उक्त न्यायालय ने क्रमवार सात तिथियों की गहन सुनवाई के उपरांत 24 मार्च, 2017 को अपना यह अंतिम निर्णय में राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी को एक माह के भीतर वाद का वास्तविक निष्पादन सुनिश्चित करने के स्पष्ट निर्देश निर्गत किये।
इसके पूर्व पटना प्रमंडलीय आयुक्त आनंद किशोर ने भी राजगीर अनुमंडल पदाधिकारी को चिन्हित अतिक्रमणकारियों का बिजली-पानी का कनेक्शन तत्काल प्रभाव से काटने को निर्देशित किया गया था।
अब सबाल उठता है कि मलमास मेले की सैराती जमीन पर चिन्हित अतिक्रमणकारियों के व्यवसायिक-गैर व्यवसायिक आलीशान होटलों, मकानों आदि में बिजली-पानी के कनेक्शन क्यों नहीं काटे गये, जिसमें उल्लेख नाम,पता आदि के उपयोग सरकारी कार्यों में धड़ल्ले से होता है।
जाहिर है कि उपलब्ध साक्ष्यों के अनुसार इसके लिये राजगीर एसडीओ सीधे कटघरे में नजर आते हैं। क्योंकि वे इस मामले में उनके द्वारा अब तक की लापरवाही, जिसे लोग उनकी मिलीभगत भी मानते हैं, नियमारुप कोई कार्रवाई करने में विफल साबित करती है।