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    Saturday, April 20, 2024
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      यहां होता रहा कांग्रेस-भाजपा के बीच लुक्का-छिपी का अधिक खेल

      “रांची लोकसभा चुनाव क्षेत्र के दृष्टिकोण से कई मायने में अहम है। रांची अनारक्षित सीट है। यहां कांग्रेस और भाजपा ने अब तक सबसे अधिक बार चुनाव जीतने का रिकार्ड बनाया है…”

      रांची (एक्सपर्ट मीडिया न्यूज)। आजादी के बाद 1951 में हुए लोकसभा के पहले चुनाव में अब तक एक मात्र मुस्लिम उम्मीदवार अब्दुल इब्राहिम सांसद निर्वाचित हुए थे। वह कांग्रेस पार्टी के उम्मीदवार थे। उसके बाद पीके घोष, शिव प्रसाद साहु और सुबोधकांत सहाय ने यहां से कांग्रेस का परचम लहराया।

      मजेदार यह है कि रांची से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में मीनू मसानी ( मिनोचर रुस्तम मसानी) 1957 में चुनाव जीतकर गए। इसी तरह 1977 में भारतीय लोकदल से रवींद्र वर्मा चुनाव जीते। वह दुबारा लौटकर नहीं आए।

      सुबोधकांत सहाय रांची से पहली बार 1989 में चुनाव जीते थे। उस समय वह कांग्रेस से नहीं, जनता दल से जीते थे। मीनू मसानी और रवींद्र वर्मा रांची के रहनेवाले नहीं थे। दोनों बाहर से आकर चुनाव जीतकर गए।

      1962 में कांग्रेस से पीके घोष पहली बार जीते। उन्होंने जीत की हैट्रिक बनाई। 1962 के बाद 1967 और 1971 का चुनाव भी कांग्रेस के उम्मीदवार पीके घोष ही जीते।

      1977 में इंदिरा हराओ का चारों ओर नारा चल रहा था। रवींद्र वर्मा कहां से और कौन थे, रांची के लोग जानते भी नहीं थे। लेकिन वह आए, चुनाव जीते और चले गए।

      फिर बारी आयी शिव प्रसाद साहु की। शिव बाबू के नाम से कांग्रेसियों व रांची वासियों के बीच लोकप्रिय लोहरदगा के मूल निवासी शिव प्रसाद साहु 1980 और 1984 चुनाव जीतकर दिल्ली पहुंचे। वह लगातार दो बार सांसद निर्वाचित हुए।

      1989 में वह जनता दल के उम्मीदवार सुबोधकांत सहाय से हार गए। 1991 के बाद रांची में भारतीय जनता पार्टी का दबदबा कायम हो गया।

      रामटहल चौधरी 1991 से लगातार चुनाव जीतते आए। 1991, 1996, 1998 और 1999 का चुनाव रामटहल चौधरी जीते। 2004 और 2009 में वह सुबोधकांत सहाय के हाथों हार गए। 2014 लोकसभा चुनाव में एक बार फिर जीतकर दिल्ली पहुंचे। 2014 का चुनाव वह एक लाख 99 हजार मतों के अंतर से जीते।

      2014 के लोकसभा चुनाव में आजसू से सुदेश कुमार महतो पहली बार लोकसभा के लिए अपनी किस्मत आजमाने का फैसला लिया। लेकिन एक लाख 42 हजार 560 वोट लाकर वह तीसरे स्थान पर रहे। बंधु तिर्की तृणमूल कांग्रेस से लोकसभा लड़े और मात्र 46 हजार वोट ला पाए।

      रांची लोकसभा क्षेत्र दो जिलों के छह विधानसभा क्षेत्रों में फैला है। सरायकेला झ्रखरसांवा जिला का इचागढ़ विधानसभा और रांची जिले के पांच विधानसभा क्षेत्र रांची, कांके, सिल्ली, खिजरी व हटिया आते हैं। इनमें से सिल्ली को छोड़ दें तो शेष पांचों विधानसभा क्षेत्रों पर भाजपा का कब्जा है।

      2014 का चुनाव परिणामः

      रामटहल चौधरी (भाजपा)      4,48,729 मत

      सुबोधकांत सहाय (कांग्रेस)      2,49,420 मत

      सुदेश कुमार महतो (आजसू)    1,42,560 मत

      बंधु तिर्की (तृणमूल कांग्रेस)      46,126 मत

      यहां के कुल मतदाताओं की संख्या वर्तमान में 405871 है। जिसमें महिला मतदाता की संख्या 193479 है। वहीं, सिल्ली विधानसभा क्षेत्र में सबसे कम 194845 मतदाता हैं। यहां महिला मतदाताओं की संख्या 95511 है।

      जिले के वोटर लिस्ट में अभी तक 21,25,782 मतदाता हैं। इनमें 1018457 महिला और 1107248 पुरुष मतदाता हैं। हालांकि, नामांकन प्रक्रिया जारी है, इसलिए कुल मतदाताओं के आंकड़ों में वृद्धि हो सकती है। वैसे मतदान के लिए 2771 मतदान केंद्र बनाए गए हैं।

      विधानसभा पुरुष महिला अन्य कुल 
      तमाड़ 101709 99336 1 201046 
      सिल्ली 99333 95511 1 194845 
      खिजरी 162850 150334 0 313184 
      रांची 168397 146912 32 315341 
      हटिया 212376 193479 16 405871 
      कांके 200155 179161 7 379323
      मांडर 162428 153724 20 316172 
      कुल 1107248 1018457 77 2125782 

      सबसे अधिक ट्रांसजेंडर मतदाताः

      रांची लोकसभा सीट पर इस बार 77 ट्रांसजेंडर अपने मत का प्रयोग करेंगे। जबकि पिछले लोकसभा चुनाव में रांची में सिर्फ एक ही ट्रांसजेंडर था।

      सबसे अधिक 32 ट्रांस जेंडर मतदाता रांची विधानसभा क्षेत्र में हैं। मांडर में 20, हटिया में 16, कांके में 7, तमाड़ व सिल्ली में एक-एक ट्रांसजेंडर का नाम शामिल किया गया है। खिजरी विधानसभा में एक भी ट्रांसजेंडर मतदाता नहीं हैं।

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